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TRIPS के 30 वर्ष

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चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्यों ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं (TRIPS) पर समझौते की 30वीं वर्षगाँठ  मनाई।

  • माराकेस में एक महत्त्व पूर्ण समझौता किया गया जिसके आधार पर 1995 में WTO बनाया गया। TRIPS नामक इस समझौते का प्रभाव लंबे समय तक रहा है।

ट्रिप्स समझौते का विकास:

  • वेनेशियन पेटेंट कानून (1474): यह यूरोप में पहली संहिताबद्ध पेटेंट प्रणाली थी, जिसने आविष्कारकों को “नए और सरल उपकरणों” पर अस्थायी एकाधिकार प्रदान किया।
  • औद्योगिक क्रांति एवं अंतर्राष्ट्रीय मानकों की आवश्यकता (19वीं शताब्दी): तीव्र तकनीकी प्रगति ने पेटेंट कानूनों के सामंजस्य की आवश्यकता उत्पन्न की।
    • पेरिस कन्वेंशन (1883) अन्य देशों में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिये उठाया गया पहला कदम था।
    • टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौता (General Agreement on Tariffs and Trade- GATT) ने बौद्धिक संपदा को सीमित तरीके से संबोधित किया।
    • 1987 से 1994 तक चले उरुग्वे राउंड में माराकेस समझौते के परिणामस्वरूप WTO की स्थापना हुई, जिसमें TRIPS समझौता भी शामिल था।
      • TRIPS पर WTO समझौता बौद्धिक संपदा (IP) पर सबसे व्यापक बहुपक्षीय समझौता है।

 

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में TRIPS समझौते की क्या भूमिका रही है?

  • IP कानूनों का सामंजस्य: TRIPS ने सदस्य देशों में IP सुरक्षा के लिये न्यूनतम मानक निर्धारित किये हैं।
    • TRIPS ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में सहयोग के लिये अधिक पूर्वानुमानित कानूनी वातावरण तैयार किया।
  • पारदर्शिता में वृद्धि: TRIPS ने सदस्यों को अपने बौद्धिक संपदा (IP) कानूनों एवं विनियमों को स्पष्ट करने के लिये बाध्य किया, जिससे वैश्विक IP प्रणाली में अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा मिला।
  • ज्ञान साझा करनाः प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर TRIPS प्रावधान विकसित और विकासशील देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं।
    • विकसित देश कुछ शर्तों के तहत विकासशील देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने के लिये तंत्र प्रदान करने के लिये बाध्य हैं।
  • सामाजिक एवं आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देना: WTO ने SDGs लक्ष्यों के अनुरूप, सामाजिक और आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिये दायित्वों के साथ अधिकारों को संतुलित करने में TRIPS की भूमिका पर प्रकाश डाला।
    • 1990 के दशक के उत्तरार्ध के संकट के दौरान एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट तक पहुँच प्रदान करने के लिये TRIPS का लचीला होना आवश्यक था, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान इसके महत्त्व को दर्शाता है।

TRIPS से संबंधित चुनौतियाँ:

  • अधिकारों और पहुँच के बीच संतुलन: मज़बूत IP अधिकारों पर TRIPS का ध्यान विकासशील देशों में आवश्यक दवाओं, शैक्षिक सामग्रियों और कृषि प्रौद्योगिकियों तक पहुँच को सीमित कर सकता है।
  • बायोपाइरेसी और पारंपरिक ज्ञान: बिना उचित मुआवज़े के विकासशील देशों से पारंपरिक ज्ञान और आनुवंशिक संसाधनों का पेटेंट कराना चिंता उत्पन्न करता है।
    • ऐसा माना जाता है कि पारंपरिक ज्ञान और आनुवंशिक संसाधन उत्पत्ति के प्रकटीकरण पर ट्रिप्स की आवश्यकताएँ अपर्याप्त हैं।
  • प्रवर्तन के मुद्दे: IP अधिकारों को लागू करना, विशेष रूप से कॉपीराइट उल्लंघन और जालसाज़ी जैसे क्षेत्रों में, कई विकासशील देशों के लिये एक चुनौती बनी हुई है।
    • संसाधनों और मज़बूत कानूनी प्रणालियों की कमी प्रभावी IP सुरक्षा में बाधा बन सकती है।
  • डेटा गोपनीयता: डेटा स्वामित्व, गोपनीयता, ई-कॉमर्स के मुद्दे और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) तथा बिग डाटा के संदर्भ में डेटा-संचालित आविष्कारों की पेटेंटेबिलिटी को संबोधित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय चर्चा की आवश्यकता है।
  • वैश्विक स्वास्थ्य समानता: TRIPS समझौते के भीतर अनिवार्य लाइसेंसिंग जैसे लचीलापन पर चल रही बहस के बीच, सस्ती दवाओं तक पहुँच अभी भी एक चुनौती बनी हुई है, खासकर वैश्विक दक्षिण में।

आगे की राह 

  • मानकीकरण और क्षमता निर्माण: विकासशील देशों के लिये क्षमता निर्माण की नई पहल के साथ-साथ देशों में IP प्रवर्तन के लिये सामान्य मानकों तथा सर्वोत्तम प्रथाओं का विकास, एक निष्पक्ष वैश्विक IP परिदृश्य बना सकता है।
  • ओपन इनोवेशन और नॉलेज शेयरिंग: ओपन-सोर्स कोलैबोरेशन और क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेंस जैसे मॉडल की खोज ज्ञान की पहुँच सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा दे सकती है।
  • उभरती प्रौद्योगिकियों को संबोधित करना: IP स्वामित्व और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित अधिकारों के लिये स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित करना ज़िम्मेदार नवाचार को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।

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