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PoK में अशांति फैलाने वाले सामाजिक-आर्थिक कारक

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चर्चा में क्यों? 

बढ़ती कीमतों और आर्थिक संकट के कारण पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan-occupied Kashmir- PoK) में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं। क्षेत्र की अशांति के कारण हिंसक झड़पें हुईं, जिससे मौतें हुईं। उच्च मुद्रास्फीति से चिह्नित पाकिस्तान के आर्थिक संकट ने जीवन की स्थिति खराब कर दी है।

  • वर्ष 2019 पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तानी सामानों पर सीमा शुल्क बढ़ाने के बाद PoK में व्यापार प्रभावित हुआ, जिससे वित्तीय तनाव बढ़ गया।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था क्यों संघर्ष कर रही है?

  • उच्च मुद्रास्फीति: मई 2022 से उपभोक्ता मुद्रास्फीति 20% से ऊपर रही है, जो मई 2023 में 38% तक पहुँच गई है।
  • ऊर्जा लागत: पाकिस्तान में ऊर्जा की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे समग्र मुद्रास्फीति में योगदान हुआ है। इसका संपूर्ण अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
  • व्यापार व्यवधान: वर्ष 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया और उसका सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most Favored Nation- MFN) का दर्जा रद्द कर दिया तथा सूखे खजूर, सेंधा नमक, सीमेंट एवं जिप्सम जैसे पाकिस्तानी उत्पादों पर 200% आयात शुल्क लगा दिया।
    • भारत द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ सामान्य व्यापार गतिविधियों को फिर से शुरू करने में एक महत्त्वपूर्ण बाधा के रूप में कार्य करते हैं।
    • पुलवामा के बाद, भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद, तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप लगाया, जिसके कारण नियंत्रण रेखा (Line of Control- LoC) के पार व्यापार निलंबित हो गया।
    • इससे भारत में पाकिस्तान के निर्यात में भारी गिरावट आई, जो वर्ष 2018 में औसतन 45 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति माह से घटकर मार्च और जुलाई 2019 के बीच केवल 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति माह रह गया।
    • भारत को निर्यात में उल्लेखनीय कमी ने व्यापारियों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, विशेष रूप से PoK जैसे क्षेत्रों में, जिससे आर्थिक अस्थिरता में सहायक हुआ है।
      • भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को रद्द करने से स्थिति और जटिल हो गई है, क्योंकि पाकिस्तान इसे विवादित क्षेत्र पर हमले के रूप में देखता है।
    • वर्ष 2021 में पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने का प्रयास किया, लेकिन घरेलू दबाव और कश्मीर मुद्दे ने प्रगति रोक दी।
    • भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंधों की वर्तमान स्थिति वर्ष 2019 से निलंबित है।

भारत पाकिस्तान के साथ व्यापार संबंध फिर से शुरू क्यों नहीं करना चाहता?

  • पाकिस्तान के साथ भारत का व्यापार हमेशा इसके समग्र विदेशी व्यापार का एक छोटा सा हिस्सा रहा है, जो इसके निर्यात और आयात का 1% से भी कम है।
    • राजनीतिक अस्थिरता, कम विदेशी भंडार, सख्त वीज़ा नीतियाँ और भारत की तुलना में पाकिस्तान के छोटे बाज़ार का आकार पाकिस्तान के साथ व्यापार को भारत के लिये एक जोखिम भरा प्रस्ताव बनाता है।
  • भारत में कुछ लोगों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना से न्यूनतम खतरा, जो उसकी पश्चिमी सीमाओं पर व्यस्त है, व्यापार के माध्यम से विश्वास-निर्माण उपायों की आवश्यकता को कम कर देता है।

प्रतिबंध से पूर्व भारत-पाकिस्तान व्यापार:

  • वर्ष 1996 से पाकिस्तान को सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most-Favoured Nation- MFN) का दर्ज़ा प्राप्त है, लेकिन उसने 1,209 उत्पादों की एक नकारात्मक सूची बनाए रखी है, जिन्हें भारत से आयात करने की अनुमति नहीं है
    • हालाँकि, वाघा-अटारी सीमा से पाकिस्तान द्वारा 138 उत्पादों को आयात करने अनुमति दी गई।
  • इसके बावजूद, भारत के पास पाकिस्तान पर एक महत्त्वपूर्ण व्यापार अधिशेष था, वह पाकिस्तान से आयात की तुलना में पाकिस्तान को अधिक सामान और सेवाएँ निर्यात करता था।
    • भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव ने व्यापार को अत्यधिक प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर व्यापार पर प्रतिबंध लगे तथा व्यापारिक गतिविधियाँ बाधित हुईं।
  • पाकिस्तान को भारतीय वस्तुओं का निर्यात: वर्ष 2018-19 में भारत द्वारा पाकिस्तान को निर्यात किये गए कुल माल का आधा भाग कपास और जैविक रसायनों का था। अन्य महत्त्वपूर्ण वस्तुओं में प्लास्टिक, टैनिंग/रंगाई के अर्क, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण शामिल थे।
  • पाकिस्तान से भारतीय आयात: वर्ष 2018-19 में भारत ने पाकिस्तान से खनिज ईंधन और तेल, खाद्य फल एवं मेवे, नमक, सल्फर, पत्थर, लावा, राख तथा चमड़े का आयात किया।
    • प्रतिबंध के बाद कई वस्तुओं के आयातों में काफी कमी आई। एकमात्र वृद्धि फार्मास्युटिकल उत्पादों में हुई है, क्योंकि पाकिस्तान ने कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये दवा उत्पादों और जैविक रसायनों का आयात किया था।

भविष्य में भारत-पाकिस्तान व्यापार वार्ता की क्या संभावनाएँ हैं?

  • ऐतिहासिक रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच सफल वार्ताएँ अक्सर निजी और गोपनीय रूप से ही संपन्न हुई हैं और वर्ष 2024 के भारतीय आम चुनाव के बाद दोनों देश ‘शांत कूटनीति’ का विकल्प अपना सकते हैं।
    • LoC पर निरंतर युद्धविराम और पुलवामा के बाद से आतंकवादी घटनाओं की अनुपस्थिति भारत-पाकिस्तान संबंधों को फिर से शुरू करने के लिये एक अनुकूल आधार प्रदान करती है।
  • बिज़नेस-टू-बिज़नेस लिंक और पाकिस्तान द्वारा अपने क्षेत्र के माध्यम से अफगानिस्तान तथा मध्य एशिया में भारतीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने की क्षमता का लाभ द्विपक्षीय व्यापार की वकालत के लिये उठाया जा सकता है।
  • भारत-पाकिस्तान व्यापार संबंधों में सुधार से भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को भी बढ़ावा मिल सकता है, जो चीन के बढ़ते प्रभाव और भारत-प्रशांत पर भारत के फोकस के कारण कम हो रहा है।

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) क्या है?

  • ऐतिहासिक संदर्भ: PoK ऐतिहासिक रूप से जम्मू और कश्मीर रियासत का हिस्सा था, जो वर्ष 1947 में विभाजन के बाद भारत में शामिल हो गया था।
    • हालाँकि, वर्ष 1947 में पश्तूनी आदिवासियों और पाकिस्तानी सेना के आक्रमण के बाद इस क्षेत्र पर पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया गया था।
  • भौगोलिक विस्तार: PoK का क्षेत्रफल 13,297 वर्ग कि.मी. है और इसकी जनसंख्या 40 लाख से अधिक है। यह 10 ज़िलों में विभाजित है और इसकी राजधानी मुज़फ्फराबाद है।
    • वर्ष 1963 में पाकिस्तान ने शक्सगाम क्षेत्र में इस भूमि का 5,000 वर्ग कि.मी. से अधिक भाग चीन को सौंप दिया।
  • गिलगित बाल्टिस्तान:
    • गिलगित बाल्टिस्तान (GB) PoK के उत्तर में और पाकिस्तानी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व में स्थित एक पृथक क्षेत्र है।
      • GB को अंग्रेज़ों ने जम्मू के डोगरा शासक को पट्टे पर दिया था और बाद में 1947 में पाकिस्तान को सौंप दिया गया था।
  • प्रशासनिक स्थिति: न तो PoK और न ही GB आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के चार प्रांतों के हिस्से के रूप में सूचीबद्ध हैं।
    • दोनों को सीधे इस्लामाबाद से शासित “स्वायत्त क्षेत्र” माना जाता है, जो कश्मीर विवाद पर अपनी अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को हानि पहुँचाने से बचने के लिये पाकिस्तान द्वारा बनाई गई एक कल्पना है।
  • भारत की स्थिति: भारत के लिये PoK और GB जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा हैं, जो वर्ष 1994 के संसदीय संकल्प के अनुसार देश का अभिन्न अंग है।

 

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