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PM सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना

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चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने PM सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना के लिये केंद्रीय वित्तीय सहायता और भुगतान सुरक्षा तंत्र हेतु प्रारूप दिशानिर्देश जारी किये हैं।

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2024 में 1 करोड़ परिवारों को लाभान्वित करने के लिये 75,000 करोड़ रुपए की PM सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना को मंज़ूरी दी थी।

प्रारूप दिशानिर्देशों के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • मॉडल: प्रारूप दिशानिर्देश अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी (RESCO) मॉडल और रूफटॉप सोलर पैनल- ‘PM सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना’ के यूटिलिटी लेड एसेट (ULA) मॉडल के तहत जारी किये गए हैं।
    • अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी (RESCO) मॉडल: RESCO उपभोक्ता की रूफटॉप सोलर पैनल का विकास और स्वामित्व कम-से-कम पाँच वर्षों के लिये वैधता बनाए रखती है।
      • RESCO आवश्यकतानुसार संयंत्र के रखरखाव के लिये आवश्यक सभी परिचालन व्यय भी करती है।
      • ग्राहक उत्पादित बिजली के लिये RESCO को भुगतान करते हैं और अपने बिजली बिल पर नेट मीटरिंग का लाभ प्राप्त करते हैं। 
      • ग्रिड को उत्पादित बिजली की बिक्री करने के लिये RESCO और वितरण कंपनी (Discom) के बीच विद्युत क्रय समझौता (PPA) किया जा सकता है।
    • उपयोगिता आधारित परिसंपत्ति (ULA) मॉडल: इस मॉडल में परियोजना के दौरान रूफटॉप इनस्टॉल्ड सोलर पैनल का स्वामित्व कम-से-कम पाँच वर्षों की परियोजना अवधि के लिये राज्य वितरण कंपनी डिस्कॉम (Discom) के पास रहता है, तदोपरांत स्वामित्व घर को अंतरित कर दिया जाता है।
  • केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) के लिये पात्रता:
    • आवासीय भवनों की छतों, छज्जों, बालकनियों और ऊँचे अवसंरचना/ढाँचों पर स्थापित सौर पैनल, जो ग्रिड से जुड़े होते हैं।
    • समूह नेट मीटरिंग और वर्चुअल नेट मीटरिंग जैसे मीटरिंग तंत्र के अंतर्गत स्थापना।
    • अपवर्जन: जिन घरों में पहले से ही रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित है, वे प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के लिये RESCO और ULA मॉडल के अंतर्गत पात्र नहीं हैं।
  • भुगतान सुरक्षा तंत्र: भुगतान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये 100 करोड़ रुपए का कोष स्थापित किया जाएगा, जिसका प्रबंधन एक राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा किया जाएगा।
    • भुगतान सुरक्षा कोष के निर्माण से सौर परियोजनाओं के लिये वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

PM सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना क्या है?

  • परिचय: यह पर्याप्त वित्तीय सब्सिडी प्रदान करके और इनस्टॉलेशन में सुविधा सुनिश्चित करके सोलर रूफटॉप सिस्टम को अपनाने को बढ़ावा देने के लिये एक केंद्रीय योजना है।
  • उद्देश्य: इसका लक्ष्य भारत में एक करोड़ परिवारों को मुफ्त विद्युत ऊर्जा उपलब्ध कराना है, जो रूफटॉप सोलर पैनल वाली बिजली इकाइयाँ स्थापित करना चाहते हैं।
    • परिवारों को प्रत्येक महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिल सकेगी।
  • कार्यान्वयन एजेंसियाँ: योजना का क्रियान्वयन दो स्तरों पर किया जाएगा।
    • राष्ट्रीय स्तर: राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (NPIA) द्वारा प्रबंधित।
    • राज्य स्तर: राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIA) द्वारा प्रबंधित, जो संबंधित राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों की वितरण उपयोगिताएँ (डिस्कॉम) या विद्युत/ऊर्जा विभाग हैं।
  • डिस्कॉम की भूमिका: SIA के रूप में डिस्कॉम रूफटॉप सौर ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देने की दिशा में विभिन्न उपायों को सुविधाजनक बनाने के लिये उत्तरदायी हैं, जिसमें नेट मीटर की उपलब्धता सुनिश्चित करना, समय पर निरीक्षण करना एवं प्रतिष्ठानों को चालू करना शामिल है।
  • सब्सिडी संरचना: यह योजना सोलर रूफटॉप सिस्टम इनस्टॉलेशन की लागत को कम करने के लिये सब्सिडी प्रदान करती है। सब्सिडी अधिकतम 3 किलोवाट क्षमता तक सीमित है।
    • 2 किलोवाट क्षमता तक के सोलर सिस्टम के लिये 60% सब्सिडी
    • 2 किलोवाट से 3 किलोवाट क्षमता के बीच सोलर सिस्टम के लिये 40% सब्सिडी
  • योजना की अतिरिक्त विशेषताएँ: 
    • आदर्श सौर गाँव: प्रत्येक ज़िले में एक मॉडल सोलर विलेजविकसित किया जाएगा, जो एक प्रदर्शन परियोजना के रूप में कार्य करेगा तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रूफटॉप सोलर सिस्टम अपनाने को बढ़ावा देगा।
    • स्थानीय निकायों के लिये प्रोत्साहन: शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थान को अपने-अपने क्षेत्रों में छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रधानमंत्री सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना के अपेक्षित लाभ क्या हैं?

  • आर्थिक लाभ: परिवारों को बिजली बिल में कमी का लाभ मिलेगा और वे वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को अधिशेष विद्युत की बिक्री कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे।
    • 3 किलोवाट की रूफटॉप सोलर सिस्टम प्रति माह 300 यूनिट से अधिक बिजली उत्पादन कर सकती है, जो योजना के उद्देश्यों के अनुसार मुफ्त बिजली उपलब्ध कराती है।
  • सौर ऊर्जा उत्पादन: इस योजना से भवन की छतों पर सोलर सिस्टम इनस्टॉलेशन के माध्यम से 30 गीगावाट सौर क्षमता के लाभ की उम्मीद है, जिससे सोलर सिस्टम के 25 वर्ष के जीवनकाल में 1000 बिलियन यूनिट (BU) बिजली का उत्पादन होगा।
  • कम कार्बन उत्सर्जन: इससे CO2 समतुल्य उत्सर्जन में 720 मिलियन टन की कमी आएगी, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
  • रोजगार सृजन: इस योजना से विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, बिक्री, स्थापना, संचालन और रखरखाव (O&M) जैसे विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 17 लाख प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होने का अनुमान है।

योजना के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • घरेलू अनिच्छा: एक महत्त्वपूर्ण चुनौती यह है कि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा मुफ्त बिजली उपलब्ध कराए जाने के कारण घरेलू परिवार रूफटॉप सोलर सिस्टम इनस्टॉल करने में रूचि नहीं दिखाते हैं।
  • सीमित स्थान उपयोग: सीमित छत स्थान, असमान भू-भाग, छाया, कम संपत्ति स्वामित्व तथा सौर पैनलों की चोरी या तोड़फोड़ जैसे जोखिमों के कारण 1-2 किलोवाट सेगमेंट को सुविधा मुहैया कराना जटिल है।
  • डिस्कॉम पर परिचालन संबंधी दबाव: वर्तमान नेट मीटरिंग प्रणाली डिस्कॉम के लिये वित्तीय रूप से बोझिल है, जो पहले से ही भारी घाटे का सामना कर रही है।
    • डिस्कॉम उन गृहस्वामियों के लिये अवैतनिक भंडारण सुविधाएँ बन जाती हैं, जो दिन में तो सौर ऊर्जा आधारित बिजली का उत्पादन करते हैं, लेकिन अन्य समय में विशेषकर रात के दौरान ग्रिड से ऊर्जा का उपभोग करते हैं।
  • भंडारण एकीकरण: रूफटॉप सोलर सिस्टम इनस्टॉल करने वाली भंडारण प्रणालियों के लिये अधिदेश की कमी से डक कर्व’ जैसी ग्रिड प्रबंधन समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • डक कर्व उन दिनों में ग्रिड से बिजली की मांग का ग्राफिकल प्रतिनिधित्व है, जब सौर ऊर्जा का उत्पादन अधिक होता है और ग्रिड में मांग कम होती है।
  • गुणवत्ता आश्वासन चुनौतियाँ: ग्राहकों को प्रायः स्थापित प्रणालियों की गुणवत्ता का आकलन करने में कठिनाई होती है, जिससे वे निम्न स्तरीय सेवा और प्रदर्शन के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

सौर ऊर्जा का उपयोग करने के लिये सरकार की अन्य पहलें क्या हैं?

आगे की राह 

  • लक्षित लाभार्थी तक पहुँच सुनिश्चित करना: स्थानीय निकायों के साथ साझेदारी करके उन आर्थिक रूप से वंचित परिवारों तक पहुँच बनाने के लिये रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है, जो मासिक 200-300 यूनिट से कम बिजली की खपत करते हैं।
  • सामुदायिक सौर परियोजनाएँ: सामुदायिक सौर परियोजनाओं के विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये जो एक केंद्रीय संयंत्र से साझा सौर उत्पादन की अनुमति देती हैं, जिससे निम्न-आय वाले और ग्रामीण परिवार लाभान्वित होते हैं, जो रूफटॉप सोलर सिस्टम इनस्टॉल नहीं कर सकते हैं।
  • नेट मीटरिंग में संशोधन: समय-उपयोग (TOU) मूल्य निर्धारण जैसे विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिये, जहाँ उपभोक्ताओं से ऊर्जा उपभोग के समय के आधार पर शुल्क लिया जाता है, ताकि दिन के समय अतिरिक्त सौर ऊर्जा उत्पादन से ग्रिड पर पड़ने वाले दबाव को कम किया जा सके।
  • भंडारण एकीकरण की अनिवार्यता: ग्रिड स्थिरता को बढ़ाने और अधिशेष सौर ऊर्जा के उपयोग को अनुकूलित करने के लिये सभी रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिये भंडारण एकीकरण को अनिवार्य करने की आवश्यकता है।

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