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PAC द्वारा नियामक निकायों के प्रदर्शन की समीक्षा

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चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोक लेखा समिति (PAC) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) जैसी नियामक संस्थाओं के प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिये स्वतः पहल की है

PAC ने नियामक निकायों की समीक्षा क्यों शुरू की है?

  • समीक्षा का उद्देश्य सार्वजनिक निधि के प्रभावी उपयोग को बढ़ाना तथा सरकारी निगरानी में सुधार करना है।
  • यह निर्णय SEBI प्रमुख के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों को लेकर उठे राजनीतिक विवाद के बीच लिया गया।
  • पैनल ने स्वप्रेरणा से जाँच के लिये 5 विषयों का चयन किया है, जिनमें “संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित नियामक निकायों की कार्य निष्पादन समीक्षा” और “सार्वजनिक अवसंरचना एवं अन्य सार्वजनिक उपयोगिताओं पर शुल्क, टैरिफ, उपयोगकर्त्ता प्रभार आदि का अधिरोपण और विनियमन” शामिल हैं।

लोक लेखा समिति (PAC) क्या है?

  • परिचय: 
    • PAC भारत सरकार के राजस्व और व्यय की लेखापरीक्षा के उद्देश्य से भारत की संसद द्वारा गठित चयनित संसद सदस्यों की एक समिति है।
    • संसदीय समितियों को संविधान के अनुच्छेद 105 और अनुच्छेद 118 के तहत अधिकार प्राप्त हैं। PAC तीन वित्तीय संसदीय समितियों में से एक है, अन्य दो प्राक्कलन समिति तथा सार्वजनिक उपक्रम समिति हैं।
      • CAG समिति का कोई भी सदस्य सरकारी मंत्री के रूप में किसी भी पद पर बना नहीं रह सकता।
  • पृष्ठभूमि:
    • PAC की शुरुआत 1921 में हुई थी, जिसका उल्लेख भारत सरकार अधिनियम, 1919 में पहली बार किया गया था, जिसे मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार भी कहा जाता है।
      • इसका गठन प्रत्येक वर्ष लोकसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के नियम 308 के अंतर्गत किया जाता है।
  • संरचना: वर्तमान में इसमें 22 सदस्य होते हैं (लोकसभा अध्यक्ष द्वारा निर्वाचित 15 सदस्य और राज्यसभा के सभापति द्वारा निर्वाचित 7 सदस्य) जिनका कार्यकाल केवल 1 वर्ष होता है
    • समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
  • शक्तियाँ और कार्य:
    • व्यय के लिये सदन द्वारा दी गई निधियों के विनियोजन और सरकार के वार्षिक वित्त लेखों की जाँच करना।
    • सदन में प्रस्तुत अन्य लेखों की समीक्षा करना, जिन्हें समिति उचित समझे, सिवाय उन लेखों के जो सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित हों तथा जिन्हें सार्वजनिक उपक्रमों संबंधी समिति को सौंपा गया हो।
    • समिति राजस्व प्राप्तियों, विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा सरकारी व्यय तथा स्वायत्त निकायों के खातों पर विभिन्न CAG लेखापरीक्षा रिपोर्टों की समीक्षा करती है।
      • जाँच के दौरान CAG समिति की सहायता करता है।
  • अनुशंसाएँ:
    • PAC की सिफारिशें सलाहकारी हैं और सरकार पर बाध्यकारी नहीं हैं, क्योंकि यह एक कार्यकारी निकाय है, जो आदेश जारी नहीं कर सकता है तथा केवल संसद ही समिति के निष्कर्षों पर अंतिम निर्णय ले सकती है।

भारत में नियामक निकाय क्या हैं?

  • परिचय: 
    • ये एजेंसियाँ प्रत्यक्ष कार्यकारी पर्यवेक्षण के साथ या उसके बिना कार्य कर सकती हैं।
      • नियामक निकाय स्वतंत्र सरकारी संस्थाएँ हैं, जो विशिष्ट गतिविधि या संचालन के क्षेत्रों में मानक निर्धारित करने और लागू करने के लिये स्थापित की जाती हैं।
  • कार्य:
    • विनियम और दिशानिर्देश बनाना
    • गतिविधियों की समीक्षा और मूल्यांकन
    • लाइसेंस जारी करना
    • निरीक्षण करना
    • सुधारात्मक कार्रवाइयों का कार्यान्वयन
    • मानकों को लागू करना
  • उदाहरण: 
    • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)
      • स्थापना: 1992
      • मुख्यालय: मुंबई
      • भूमिका: प्रतिभूति बाज़ारों को विनियमित करना, निवेशकों की सुरक्षा करना और बाज़ार की अखंडता सुनिश्चित करना।
      • संरचना: अध्यक्ष, पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्यों सहित बोर्ड। अपीलों का निपटारा प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) द्वारा किया जाता है, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाती है।
      • कार्य: विनियमों का मसौदा तैयार करना, जाँच करना, जुर्माना लगाना, विदेशी उद्यम पूंजी कोष, म्यूचुअल फंड तथा धोखाधड़ी की प्रथाओं को संबोधित करना।
    •  भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)
      • स्थापना: 1997
      • मुख्यालय: नई दिल्ली
      • भूमिका: दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करना, टैरिफ संशोधित करना, सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और दूरसंचार नीति पर सरकार को सलाह देना।
      • संरचना: अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक और दो अंशकालिक सदस्य।
      • अपीलीय प्राधिकरण: दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) की स्थापना वर्ष 2000 में की गई थी, जो TRAI के निर्णयों से संबंधित विवादों तथा अपीलों को संभालता है।

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