यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में राजनीति अनुभाग के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नरों की सूची एक महत्वपूर्ण विषय है. आज का यह आर्टिकल आपको भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नरों के नाम, उनकी सूची तथा उनके द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक में काम करने की अवधि के बारे में जानकारी देगा. इसके अलावा इस आर्टिकल में आप आरबीआई गवर्नर की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में भी जानेंगे. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं
गठन और नेशनलाईजेशन –
भारत में सबसे पहले हिल्टन यंग कमीशन आयोग की सलाह पर भारतीय रिजर्व बैंक का गठन किया गया था. नेशनलाईजेशन की बात करें तो भारतीय रिजर्व बैंक का नेशनलाईजेशन वर्ष 1949 में किया गया था. भारतीय रिजर्व बैंक का एकाउंटिंग इयर 1 जुलाई से 30 जून तक होता है.
आरबीआई गवर्नर्स –
- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और इसके सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर के एक्स-ऑफिसियो चेयरमैन होते हैं.
- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर एक निश्चित टाइम पीरियड के लिए भारत सरकार के द्वारा अपॉइंट किए जाते हैं . और ये इलेक्टेड नहीं होते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी भारतीय नोटों पर आरबीआई के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं.
- भारतीय रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर ब्रिटिश बैंकर सर ओसबोर्न स्मिथ थे. और आईए अब जानते हैं कि भारत में आरबीआई के पहले भारतीय मूल के गवर्नर कौन थे ? तो इसका ज़वाब है कि भारत के पहले भारतीय मूल के आरबीआई गवर्नर का नाम सर सी.डी. देशमुख था.
भारत के वर्तमान आरबीआई गवर्नर कौन हैं?
श्री शक्तिकांता दास जो एक सेवानिवृत्त आईएएस, रेवेन्यू डिपार्टमेंट और इकॉनोमिक अफेयर डिपार्टमेंट के फॉर्मर सेक्रेटरी, (मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस, गवर्मेंट ऑफ़ इंडिया) ने 12 दिसंबर, 2018 से भारतीय रिजर्व बैंक के 25 वें प्रभावी गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया जो आज भी पदासीन हैं.
आरबीआई गवर्नर के कर्तव्य, भूमिकाएं और जिम्मेदारियां –
1. सबसे प्रतिष्ठित वित्तीय संस्थानों के प्रमुख होने के नाते, एक आरबीआई गवर्नर का काम इकॉनोमी में मोनेटरी स्टेबिलिटी को बनाए रखना होता है. इस प्रकार, वह भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों को तैयार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
2. नए विदेशी और निजी बैंक खोलने के लिए लाइसेंस जारी करने की जिम्मेदारी भी आरबीआई के गवर्नर की हीं होती है.
3. अग्रिमों और जमाराशियों पर इंटरेस्ट रेट (ब्याज दरों) को नियंत्रित करने की शक्ति भी देश के आरबीआई गवर्नर के पास निहित होती है. हालाँकि, इस शक्ति का दायरा बचत खातों पर न्यूनतम उधार दरों और ब्याज दरों को निर्धारित करने तक सीमित है.
4. राष्ट्र के फाइनेंसियल सिस्टम को आरबीआई गवर्नर के द्वारा नियंत्रित और प्रशासित किया जाता है. एक आरबीआई गवर्नर उन मापदंडों को निर्धारित करता है जिनके भीतर पूरा का पूरा फाइनेंसियल सिस्टम (वित्तीय प्रणाली) काम करता है.
5. आरबीआई के गवर्नर एक्सटर्नल ट्रेड और पेमेन्ट का प्रबंधन करते हैं और भारत के फॉरेन एक्सचेंज मार्केट एक्ट 1999 के तहत आने वाले फॉरेन एक्सचेंज मार्केट के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को भी बढ़ावा देते हैं.
6. देश में पर्याप्त मात्रा में करेंसी नोटों और सिक्कों की आपूर्ति की निगरानी के साथ मुद्रा को जारी करना और जो मुद्रा सार्वजनिक रूप से प्रचलन के लिए उपयुक्त नहीं है उसे नष्ट करना भी आरबीआई के गवर्नर के कार्य के तहत आता है.
7. आरबीआई गवर्नर नियमों और विनियमों पर भी नज़र रखता है ताकि उन्हें अधिक से अधिक कस्टमर फ्रेंडली (ग्राहक के अनुकूल) बनाया जा सके.
8. शहरी बैंक विभागों के माध्यम से आरबीआई गवर्नर को ऑपरेटिव बैंकों का नेतृत्व और पर्यवेक्षण करता है.
9. इसके अलावा, एक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की लघु उद्योगों, ग्रामीण और एग्रीकल्चर सेक्टर (कृषि क्षेत्रों) में ऋण के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने और निगरानी करने की भी भूमिका होती है. राज्य सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और विभिन्न स्थानीय क्षेत्र के बैंकों को विनियमित करने की जिम्मेदारी भी आरबीआई के गवर्नर की होती है. उपरोक्त सभी जिम्मेदारियों के अलावा कई अन्य जिम्मेदारियों को भी भारतीय रिजर्व बैंक में गवर्नर के रूप में कार्यरत व्यक्ति द्वारा वहन किया जाता है.
आरबीआई गवर्नर्स की सूची –
आरबीआई गवर्नर्स की सूची तथा कार्य के संदर्भ में जानना किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए जी.के का एक प्रमुख हिस्सा है. 1935 में ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित भारतीय रिजर्व बैंक, देश का सर्वोच्च मोनेटरी अथॉरिटी (मौद्रिक प्राधिकरण) है. भारत में रिजर्व बैंक की स्थापना के बाद से 25 लोग इस संगठन में आरबीआई गवर्नर के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं. आइए एक नज़र डालते हैं आरबीआई गवर्नर्स की सूची पर –
- 1. सर ऑस्बॉर्न – 1 अप्रैल 1935 से 30 जून 1937
- 2. सर जेम्स बैर्ड टेलर – 1 जुलाई 1937 से 17 फरवरी 1943
- 3. सर सीडी देशमुख – 11 अगस्त 1943 से 30 जून 1949
- 4. सर बेनेगल रामा राव – 1 जुलाई 1949 से 14 जनवरी 1957
- 5. केजी अंबेगांवकर – 14 जनवरी 1957 से 28 जनवरी 1957
- 6. एचवीआर इंगर – 1 मार्च 1957 से 28 फरवरी 1962
- 7. पीसी भट्टाचार्य – 1 मार्च 1962 से 30 जून 1967
- 8. एल के झा – 1 जुलाई 1967 से 3 मई 1970
- 9. बी एन अधारकर – 4 मई 1970 से 15 जून 1970
- 10. एस जगन्नाथन – 16 जून 1970 से 19 मई 1975
- 11. एनसी सेन गुप्ता – 19 मई 1975 से 19 अगस्त 1975
- 12. केआर पुरी – 20 अगस्त 1975 से 2 मई 1977
- 13. एम नरसिम्हा – 3 मई 1977 से 30 नवंबर 1977
- 14. डॉ. आईजी पटेल – 1 दिसंबर 1977 से 15 सितंबर 1982
- 15. डॉ. मनमोहन सिंह – 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985
- 16. ए घोष – 15 जनवरी 1985 से 4 फरवरी 1985
- 17. आर एन मलहौत्रा – 4 फरवरी 1985 से 22 दिसंबर 1990
- 18. एस वेंकटरमन – 22 दिसंबर 1990 से 21 दिसंबर 1992
- 19. सी. रंगराजन – 22 दिसंबर 1992 से 21 नवंबर 1997
- 20. डॉ. बिमल जलान – 22 नवंबर 1997 से 6 सितंबर 2003
- 21. डॉ. वाई वी रेड्डी – 6 सितंबर 2003 से 5 सितंबर 2008
- 22. डी. सुब्बाराव – 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013
- 23. रघुराम राजन – 5 सितंबर 2013 से 4 सितंबर 2016
- 24. उर्जित पटेल – 4 सितंबर 2016 से 11 दिसम्बर 2018
- 25. शक्तिकांत दास – 12 दिसम्बर 2018 से पदधारी.
महत्वपूर्ण तथ्य –
*आरबीआई गवर्नर के रूप में सबसे लंबे समय तक कार्य करने वाले व्यक्ति बेनेगल रामा राव थे. उन्होंने 1 जुलाई 1949 से 14 जनवरी 1957 तक यानि 7 साल तक इस पद पर काम किया था.
*सबसे कम समय के लिए आरबीआई के गवर्नर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति अमिताभ घोष थे. उन्होंने 15 जनवरी 1985 से 4 फरवरी 1985 तक केवल 20 दिनों के लिए इस पद पर कार्य किया.