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List of Amendment in Indian Constitution, भारतीय संविधान में हुए प्रमुख संशोधन की सूची

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List of Amendments in the Indian Constitution- भारत में संविधान 26 जनवरी 1950 में लागु हुआ था जिसके बाद से अभी तक कई बार इसमें संशोधन किए जा चुके है। अक्टूबर 2021 तक भारत के संविधान में 105 बार अमेंडमेंट (संशोधन) किए जा चुके है। हमारे देश के संविधान में किसी भी तरह के संशोधन के लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो तिहाई सदस्य की सहमति के बाद ही संशोधन किया जा सकता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है और इसके साथ ही भारत का संविधान दुनिया का सबसे ज्यादा बार संशोधन किया जाने वाला संविधान भी है। हमारे देश के संविधान में राज्य सरकार केंद्र सरकार और लोकल बॉडीज के काम करने के तरीके साथ ही तीनों के बीच ताकत का बंटवारा विस्तार से किया गया है। भारतीय संविधान में संशोधन से जुड़े टॉपिक अक्सर कई प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

संविधान संशोधन सूची (List of Amendment in Indian Constitution)

प्रथम संशोधन, 1951 : यह संविधान का प्रथम संशोधन था। इसमें नवीन अनुच्छेद अर्थात् 31 क और 31ख को संविधान में अंतः स्थापित किया गया है। इसके द्वारा संविधान में एक नवीन अर्थात् नौवीं अनुसूची जोड़ी गई।

दूसरा संशोधन अधिनियम, 1952 : संविधान का दूसरा संशोधन, 1952: इस संशोधन के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 81 में संशोधन किया गया। यह संशोधन विधेयक संसद में राज्यों के प्रतिनिधित्व में परिवर्तन से संबंधित था।

अतः इस विधेयक के अनुच्छेद 368 की अपेक्षाओं के अनुरूप भाग क और भाग ख में निर्दिष्ट राज्यों में से आधे राज्यों के विधान मंडल का समर्थन प्राप्त किया गया है।
तीसरा संशोधन अधिनियम, 1954 : इस संशोधन द्वारा संविधान को सातवीं अनुसूची की सूची 3 (अर्थात समवर्ती सूची की प्रविष्ट 33 में संशोधन किया गया। चूंकि यह संशोधन अधिनियम केंद्र राज्य विधायी संबंधों को शासित करने वाली सातवीं अनुसूची की एक सूची में संशोधन के लिए था, अतः इस अधिनियम के संबंध में भी अनुच्छेद 368 की अपेक्षाओं के अनुरूप भाग क और भाग ख में निर्दिष्ट राज्यों में से आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों का समर्थन प्राप्त किया गया।

चौथा संशोधन अधिनियम, 1955 : इस संशोधन अधिनियम के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 31 ए, 31 क और 305 तथा संविधान की नौवीं अनुसूची में संशोधन किया गया।
7वां संविधान संशोधन, 1956 : यह संविधान संशोधन राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और परिणामिक परिवर्तनों को शामिल करने के उद्देश्य से किया गया था। मोटे तौर पर तत्कालीन राज्यों और राज्य क्षेत्रों का राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में वर्गीकरण किया गया। इस संशोधन में लोकसभा का गठन, प्रत्येक जन गणना के पश्चात पुनः समायोजन, नए उच्च न्यायालयों की स्थापना और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों आदि के बारे में उपबंधो की  व्यवस्था की गई है।

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9वां संशोधन अधिनियम, 1960 : भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए समझौते के क्रियान्वयन हेतु असोम, पंजाब, प. बंगाल और त्रिपुरा के संघ राज्य क्षेत्र से पाकिस्तान को कुछ राज्य क्षेत्र प्रदान करने के लिए इस अधिनियम द्वारा प्रथम अनुसूची में संशोधन किया गया। यह संशोधन इसलिए आवश्यक हुआ कि बेरुवाडी क्षेत्र में हस्तांतरण के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि किसी राज्य क्षेत्र में हस्तांतरण के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया गया था कि किसी राज्य क्षेत्र को किसी दूसरे देश में देने के करार अनुच्छेद 3 द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा क्रियान्वित नहीं किया जा सकता, अपितु इसे संविधान में संशोधन करके ही क्रियान्वित किया जा सकता है।
10वां संविधान संशोधन, 1960: इस संविधान संशोधन के अंतर्गत भूतपूर्व पुर्तगाली अंतः क्षत्रों – दादर एवं नगर हवेली को भारत में शामिल कर उन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया।

11वां संविधान संशोधन, 1961: इस संविधान संशोधन के अंतर्गत उपराष्ट्रपति के निर्वाचन की विधि मान्यता को प्रश्नगत करने के अधिकार को संकुचित बना दिया गया।

12वां संविधान संशोधन,1962: इसके अंतर्गत संविधान की प्रथम अनुसूची में संशोधन कर गोवा, दमन और दीव को भारत में केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल कर लिया गया।

13वां संविधान संशोधन, 1962: इस संविधान संशोधन के द्वारा एक नवीन अधिनियम अर्थात् 371 क संविधान में स्थापित किया गया। इसके द्वारा नागालैंड के संबंध में विशेष प्रावधान अपना कर उसे एक राज्य का दर्जा दे दिया गया ।

14 वां संविधान संशोधन 1963: इस संविधान संशोधन के द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुदुचेरी को भारत में शामिल किया गया तथा संघ राज्य क्षेत्रों का लोकसभा में प्रतिनिधित्व 20 से बढ़ाकर 25 कर दिया गया।

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