Current Affairs For India & Rajasthan | Notes for Govt Job Exams

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कांस्टेबल भर्ती 2023 उदयपुर रेंज

कांस्टेबल भर्ती 2023 उदयपुर रेंज के सभी पुलिस अधीक्षकों को कांस्टेबल सामान्य का cbt परिणाम विशेष योग्यता अंक सहित उपस्थित होने हेतु आदेश,….इस आधार पर यदि सभी रेंज में फास्ट प्रोसेस अपनाई जाती है तो ड्राइवर इत्यादि की दक्षता परीक्षा से पहले भी सामान्य कांस्टेबल का परिणाम जारी किया जा सकता है…

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RAS Kaise Bane 2024 : आरएएस बनने के 7 नियम

RAS बनने के लिए क्या करना चाहिए? आरएएस बनने के लिए आपके पास कुछ योग्यताएं होनी चाहिए योग्यता के साथ-साथ ग्रेजुएशन कंपलीट और आपकी उम्र 21 से 35 वर्ष के मध्य होनी चाहिए आरएएस बनने के लिए पढ़ाई के लिए एक अच्छी रणनीति होनी चाहिए साथ ही रोज 6 से 8 घंटे पढ़ाई करनी चाहिए और RAS सिलेबस की जानकारी होनी चाहिए। इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप आरएएस की तैयारी कर सकते है। इस परीक्षा को पास करने के बाद आर ए एस अधिकारी को एचसीएम राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान में 2 वर्ष की परीक्षा प्रशिक्षण अवधि में गुजारना पड़ता है। RAS भर्ती 2024 कब आएगी? आर ए एस न्यू वैकेंसी 2023-24 के ऑनलाइन आवेदन मार्च अप्रैल माह में शुरू हो जाएंगे और इसके लिए आरपीएससी बोर्ड द्वारा ऑफिशल नोटिफिकेशन जल्द जारी कर दिया जाएगा, आरपीएससी आरएएस भर्ती 988 पदों के लिए आयोजित की जाएगी। RAS की तैयारी में कितना समय लगता है? आरएएस मेंस की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को लगभग 6 से 8 घंटे रोज पढ़ाई चाहिए। संपूर्ण आरएएस सिलेबस को कवर करने में अभ्यर्थी को लगभग 8 से 10 माह का समय लगता हैं। और इसके अलावा प्री और मेंस एग्जाम में अंतराल लगभग 8 से 10 महीने का मिलेगा। इस अंतराल में आप अपनी तैयारी को और अच्छा कर सकते हैं, पिछली चार आरएएस की भर्तियों में प्री और मेंस एग्जाम में अंतराल लगभग 6 से 10 माह का रहा है। आरएएस प्री व मेंस एग्जाम के मध्य कितना समय होता है? पिछली चार आरएएस भर्तियों का अवलोकन किया जाए तो यह ज्ञात होता है कि आरएएस प्री व मेंस एग्जाम के मध्य लगभग 7 से 8 माह का अंतराल होता है। इस अंतराल में राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा प्री परीक्षा का परिणाम जारी किया जाता है व आरएएस मेंस की एग्जाम डेट घोषित की जाती है। RAS की तैयारी कब से शुरू करें? जब आप की उम्र 21 से 40 वर्ष के बीच हो तब आप आरएएस भर्ती परीक्षा में भाग ले सकते हैं। इसलिए यदि आप अभी कक्षा 12 या ग्रेजुएशन में अध्ययनरत हैं, तो आपको अभी से ही आरएएस भर्ती परीक्षा की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। घर बैठे RAS की तैयारी कैसे करे? जी हां, आप घर बैठकर आरएएस की तैयारी कर सकते हैं। सबसे पहले तो आपको आर ए एस भर्ती के सिलेबस और एग्जाम पैटर्न की सम्पूर्ण जानकारी होनी जरूरी है फिर आप यूट्यूब के माध्यम से तथा और अन्य ऑनलाईन प्लेटफार्म के माध्यम से आरएएस भर्ती की तैयारी कर सकते हैं। इसकी तैयारी करते समय रोजाना कम से कम 6 से 8 घंटा पढ़ाई करनी चाहिये तथा मॉक टेस्ट और सिलेबस रिवाईज करते रहना चाहिए। आरएएस की सैलरी कितनी होती है? आरएएस की सैलरी की बात करें तो इसमें आपको 7वां Pay Commission के आधार पर हर महीने 16,000 से लेकर 40,000 तक सैलरी दी जाएगी। राजस्थान प्रशासनिक सेवा का वेतनमान पे मैट्रिक्स लेवल 14 (L-14) के अनुसार निर्धारित है। आरएएस परीक्षा में कितने विषय होते हैं? RAS परीक्षा में राजस्थान ज्योग्राफी, हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, पॉलिटी व भारत का सामान्य ज्ञान के साथ सामान्य विज्ञान, हिंदी व अंग्रेजी विषय सम्मिलित होते हैं। आरपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा RAS की प्रारंभिक परीक्षा में एक ही पेपर होता है जो सामान्य ज्ञान और सामान्य विज्ञान का होता है। मुख्य परीक्षा में कुल 4 पेपर होते हैं। जिसमें भाषा का एक पेपर भी सम्मिलित होता है और तीन सामान्य अध्ययन के होते हैं। इन पेपरो को क्लियर करने के बाद इंटरव्यू को पास करना जरूरी है, तभी आपका आरएएस भर्ती में चयन होगा। RAS बनने के लिए कौन सा सब्जेक्ट लेना चाहिए? आरएएस बनने के लिय आप किसी भी सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन कंप्लीट कर सकते हैं। अगर आप आरएएस बनना चाहते हो तो किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कंप्लीट होनी अनिवार्य है। साथ ही न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए और अधिकतम उम्र 35 वर्ष रखी जा सकती हैं। कक्षा 12 में आप किसी भी स्ट्रीम के विषय ले सकते हैं। नीचे देखें‌‌‌‌- Science – B.Sc. Arts      – B.A. Commerce- B.Com RAS के लिए उम्र कितनी होनी चाहिए? आरएएस बनने के लिए उम्र सीमा निर्धारित की हुई है उसके अनुसार अभ्यर्थी आवेदन कर सकते है इसमें आवेदन के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 35 वर्ष निर्धारित की जा सकती है साथ ही कैटिगरी वाइज छूट दी जाती है। आरएएस भर्ती आयु सिमा में छुट जो आरक्षित वर्ग है, उन्हें आवेदन करने के लिए उम्र में कुछ छूट दी जाती है। जो हर वर्ग के लिए नियमानुसार अलग-अलग होती है। Category Age relaxation SC/ST/OBC MALE 5 YEAR SC/ST/OBC FEMALE 10 YEAR General Women 5 YEAR आरएएस भर्ती दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिय आयु सिमा में छुट Category Age relaxation General 10 YEAR BC/SBC 13 YEAR SC/ST 15 YEAR RAS बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए? अगर आप आरएएस बनना चाहते हो तो किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट होनी अनिवार्य है साथ ही न्यूनतम आयु 21वर्ष होनी चाहिए आप ग्रेजुएशन किसी भी विषय से कर सकते हो। Science – Bsc Arts      –  B.A Commerce- B.com RAS में कौन कौन सी नौकरी आती है? आरएएस का एग्जाम आरपीएससी बोर्ड यानी राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा करवाया जाता है। RPSC द्वारा राजस्थान राज्य एवं सबोर्डिनेट सर्विसेज कंबाइंड कंपटीशन एग्जाम के नाम से ऑफिशल नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, जिसमें आरएएस के साथ-साथ निम्न भर्तियां भी सम्मिलित होती है- राजस्थान प्रशासनिक सेवा (Rajasthan Administrative Service) राजस्थान पुलिस सेवा (Rajasthan Police Service) राजस्थान लेखा सेवा (Rajasthan Accounts Service) राजस्थान सहकारी सेवा (Rajasthan Cooperative Service) राजस्थान नियोजन सेवा (Rajasthan Planning Service अन्य RAS के कितने पेपर होते है? आरएएस परीक्षा आरपीएससी बोर्ड द्वारा करवाई जाती है, यह परीक्षा तीन चरणों में होती है प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार तथा आपका चयन बोर्ड द्वारा रखी गई मैरिट लिस्ट अनुसार किया जायेगा। क्या मैं 6 महीने में आरएएस की तैयारी कर सकता हूं? आर ए एस बनने के लिए एक लंबी तैयारी की जरूरत होती है। सामान्य तौर पर एक अभ्यर्थी को आर एस भर्ती परीक्षा की तैयारी करने में लगभग 8 से 10 माह

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आरपीएससी आरएएस सिलेबस 2023 (प्रीलिम्स और मेन्स)

राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) ने आरएएस परीक्षा के लिए आरपीएससी सिलेबस 2023 जारी कर दिया है। उम्मीदवार जो राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) में सेवा करना चाहते हैं, उन्हें इसके पाठ्यक्रम का अच्छा ज्ञान होना चाहिए, जिसे दो चरणों, प्रीलिम्स और मेन्स में विभाजित किया गया है। परीक्षा के लिए अच्छी तरह से तैयार करने के लिए उम्मीदवारों को नवीनतम आरपीएससी आरएएस प्री सिलेबस और आरएएस मेन्स सिलेबस से परिचित होना चाहिए। प्रीलिम्स के लिए आरएएस पाठ्यक्रम में केवल एक पेपर होता है जो प्रकृति में उद्देश्यपूर्ण होता है। दूसरी ओर, मेन्स के लिए आरपीएससी आरएएस पाठ्यक्रम में चार सैद्धांतिक या वर्णनात्मक पेपर हैं। इस प्रकार, आरपीएससी आरएएस परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए, एक उम्मीदवार को अपने समय को विभाजित करने की आवश्यकता होती है ताकि प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दोनों के लिए तैयारी की जा सके। बाद में, एक साक्षात्कार भी मुख्य परीक्षा के बाद आरपीएससी पाठ्यक्रम का एक हिस्सा बनता है। उम्मीदवार यहां नवीनतम आरएएस पाठ्यक्रम देख सकते हैं और नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से आरपीएससी पाठ्यक्रम पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। RPSC RAS पाठ्यक्रम 2023 आरएएस सिलेबस में उम्मीदवारों के चयन के लिए लिखित परीक्षा के दो चरण हैं। एक प्रीलिम्स है, और दूसरा मेन्स है, इसके बाद एक साक्षात्कार है। प्रीलिम्स पाठ्यक्रम 200 अंकों के लिए सामान्य ज्ञान और सामान्य विज्ञान विषय है। मेन्स पाठ्यक्रम एक वर्णनात्मक पेपर है और परिणाम निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके अंक अंतिम मेरिट सूची तैयार करने में शामिल किए जाएंगे। आरएएस मेन्स पाठ्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण विषय जीएस 1, 2, 3, और सामान्य हिंदी और सामान्य अंग्रेजी हैं। आरएएस के लिए आरपीएससी परीक्षा में कोई वैकल्पिक पेपर नहीं है। उम्मीदवार आरपीएससी पाठ्यक्रम को व्यापक रूप से समझने के लिए निम्नलिखित पद के माध्यम से जा सकते हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी में आरपीएससी आरएएस सिलेबस पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं। सभी तीन चरणों के लिए आरएएस पाठ्यक्रम को निम्नलिखित तरीके से अभिव्यक्त किया जा सकता है। RAS पाठ्यक्रम में परीक्षा के निम्नलिखित चरण शामिल हैं: RPSC RAS प्रारंभिक परीक्षा RPSC RAS मुख्य परीक्षा RPSC RAS प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम 2023 आरपीएससी आरएएस प्रीलिम्स पाठ्यक्रम में केवल एक विषय होता है: सामान्य ज्ञान और सामान्य विज्ञान। जैसा कि नाम से पता चलता है, उम्मीदवारों को इतिहास, राजनीति, विज्ञान, भूगोल आदि पर वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहा जाएगा। प्राथमिक फोकस राजस्थान जीके पर दिया जाएगा। नीचे उम्मीदवार इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए प्रीलिम्स के लिए आरपीएससी आरएएस पाठ्यक्रम देख सकते हैं। विषय उपविषय राजस्थान का इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परंपरा और विरासत राजस्थान के इतिहास में प्रमुख प्रागेतिहसिक स्‍थल, प्रमुख राजवंश, उनकी प्रशासनिक और राजस्व व्‍यवस्‍था। सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दे। स्वतंत्रता आंदोलन, राजनीतिक पुनरुत्‍थान और अखंडता। वास्तुकला – किले और स्मारक की मुख्य विशेषताएं कला, चित्रकला और हस्तशिल्प। राजस्थानी साहित्य की महत्वपूर्ण रचनाएं। स्थानीय बोलियां मेले, महोत्‍सव, लोक संगीत और लोक नृत्य। राजस्थानी संस्कृति, परंपराएं और विरासत। राजस्थान के धार्मिक आंदोलन, संत और लोक देवता। महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल। राजस्थान की प्रमुख हस्तियां। भारतीय इतिहास प्राचीन और मध्‍यकालीन युग: प्राचीन और मध्यकालीन भारत की मुख्य विशेषताएं और प्रमुख ऐतिहासिक स्‍थल। कला, संस्कृति, साहित्य और वास्तुकला। प्रमुख राजवंश, उनकी प्रशासनिक व्यवस्था। सामाजिक-आर्थिक स्थितियां, प्रमुख आंदोलन। मध्‍यकालीन युग आधुनिक भारतीय इतिहास (लगभग अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान तक)- महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्ति और मुद्दे। स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से महत्वपूर्ण योगदानकर्ता और योगदान। 19वीं और 20वीं शताब्‍दी में सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन। आजादी के बाद देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन। संसार और भारत का भूगोल विश्व का भूगोल: व्यापक भौतिक विशेषताएं। पर्यावरण और पारिस्थितिक मुद्दे। वन्यजीव और जैव-विविधता। अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग। प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र। भारत का भूगोल: व्यापक भौतिक विशेषताएं और प्रमुख भौगोलिक विभाजन। कृषि और कृषि आधारित गतिविधियां। खनिज – लोहा, मैंगनीज, कोयला, तेल और गैस, परमाणु खनिज। प्रमुख उद्योग और औद्योगिक विकास। परिवहन- प्रमुख परिवहन गलियारे। प्राकृतिक संसाधन। पर्यावरणीय समस्याएं और पारिस्थितिक मुद्दे। राजस्थान का भूगोल: व्यापक भौतिक विशेषताएं और प्रमुख भौगोलिक विभाजन। राजस्थान के प्राकृतिक संसाधन जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति, वन, वन्य जीवन और जैव विविधता प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं। खान और खनिज। जनसंख्‍या प्रमुख उद्योग और औद्योगिक विकास की संभावनाएं। भारतीय संविधान, राजनीतिक व्यवस्था और शासन संवैधानिक विकास और भारतीय संविधान: भारत सरकार अधिनियम: 1919 और 1935, संविधान सभा, भारतीय संविधान की प्रकृति; प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, राज्य के निर्देशक सिद्धांत, मौलिक कर्तव्य, संघीय संरचना, संवैधानिक संशोधन, आपातकालीन उपबंध, जनहित याचिका (PIL) और न्यायिक समीक्षा। भारतीय राजनीतिक व्यवस्था और शासन: भारतीय राज्यों की प्रकृति, भारत में लोकतंत्र, राज्यों का पुनर्गठन, गठबंधन की सरकारें, राजनीतिक दल, राष्ट्रीय अखंडता। संघ और राज्य कार्यकारिणी; संघ और राज्य विधानमंडल, न्यायपालिका। राष्ट्रपति, संसद, सर्वोच्‍च न्‍यायालय, निर्वाचन आयोग, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, योजना आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), केंद्रीय सूचना आयोग, लोकपाल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)। स्थानीय स्वशासन और पंचायती राज। लोक नीति और अधिकार: लोक हितकारी राज्य के रूप में राष्ट्रीय लोक नीति। विभिन्न विधिक अधिकार और नागरिक चार्टर। राजस्थान की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था: राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य विधानसभा, उच्च न्यायालय, राजस्थान लोक सेवा आयोग, जिला प्रशासन, राज्य मानवाधिकार आयोग, लोकायुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग, राज्य सूचना आयोग। लोक नीति, विधिक अधिकार और नागरिक चार्टर। आर्थिक अवधारणाएं और भारतीय अर्थव्यवस्था अर्थशास्त्र की मूल अवधारणाएं: बजट, बैंकिंग, लोक वित्त, राष्ट्रीय आय, वृद्धि और विकास का बुनियादी ज्ञान लेखांकन- अवधारणा, उपकरण और प्रशासन में उपयोग स्टॉक एक्सचेंज और शेयर बाजार राजकोषीय और मौद्रिक नीतियां सब्सिडी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली ई-कॉमर्स मुद्रास्फीति- अवधारणा, प्रभाव और नियंत्रण तंत्र। आर्थिक विकास और योजना: पंचवर्षीय योजनाएं – उद्देश्य, रणनीतियां और उपलब्धियां। अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र- कृषि, उद्योग, सेवा और व्यापार- वर्तमान स्थिति, मुद्दे और पहल। प्रमुख आर्थिक समस्याएं और सरकारी पहल। आर्थिक सुधार और उदारीकरण। मानव संसाधन और आर्थिक विकास: मानव विकास सूचकांक गरीबी और बेरोजगारी: – अवधारणा, प्रकार, कारण, उपचार और वर्तमान प्रमुख योजनाएं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता: कमजोर वर्गों के लिए उपबंध। राजस्थान की अर्थव्यवस्था अर्थव्यवस्था की वृहत समीक्षा। प्रमुख कृषि, औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के मुद्दे। वृद्धि, विकास और योजना। अवसंरचना और संसाधन। प्रमुख विकास परियोजनाएं। कार्यक्रम और योजनाएं- अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ पिछड़ा वर्ग/ अल्पसंख्यकों/ विकलांगों, निराश्रितों, महिलाओं, बच्चों, वृद्धजनों, किसानों और मजदूरों के लिए सरकारी

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यूपीएससी की तैयारी कैसे करें?

IAS एग्जाम कंडक्टिंग बॉडी यूपीएससी एग्जाम मोड ऑफलाइन आयुसीमा (21 से 32 साल) योग्यता किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन। एग्जाम पैटर्न प्रीलिम्स (MCQs), मेन्स (डिस्क्रिप्टिव पेपर) यूपीएससी की तैयारी कैसे करें? यूपीएससी की तैयारी में सबसे महत्वपूर्ण उसका सिलेबस है। बेसिक क्लियर होने के बाद ही अभ्यार्थी सही रणनीति बना सकते हैं। यूपीएससी प्रीलिम्स और मेन्स एग्जाम की तैयारी में फर्क होता है, क्योंकि प्रीलिम्स में 2 पेपर होते हैं और मेंस में 9 पेपर होते हैं। हर पेपर में कई सब्जेक्ट्स पढ़ने होते हैं और फिर उन सब्जेक्ट्स के हिसाब से तैयारी करनी होती है। यूपीएससी की तैयारी कैसे करें के बारे में हम यहां विस्तार से जानेंगे। कोचिंग के बिना यूपीएससी की तैयारी कैसे करें? हमारे देश में आईएएस परीक्षा काफी महत्वपूर्ण परीक्षा मानी जाती है, इसके लिए अक्सर छात्र कोचिंग करना पसंद करते है। कोचिंग करने से उनको लगता है कि वे आसानी से इस परीक्षा को पास कर लेंगे, लेकिन बिना कोचिंग के सफलता पाने के लिए ये टिप्स जरूर अपनाने चाहिएः सिलेबस को जानें- किसी भी एग्जाम को क्लियर करने के लिए उसका सिलेबस सही से समझना आवश्यक है। सिलेबस की सही समझ आपकी सफलता की राह आसान कर सकती है, क्योंकि सिलेबस समझने के बाद कैंडिडेट्स को यह पता चल जाता है कि उसे क्या पढ़ना है और कितना पढ़ना जो उसके एग्जाम में फायदेमंद होगा। टाइम मैनेजमेंट पर फोकस- टाइम मैनेंजमेंट जिंदगी के हर पड़ाव पर महत्वपूर्ण है। किसी भी काम के लिए एक समय निर्धारित करना और उसे अपने निर्धारित समय पूरा करना भी जरूरी है, यूपीएससी एग्जाम के लिए टाइम मैनेज करना बहुत जरूरी है। करंट अफेयर्स – यूपीएससी एग्जाम में करंट अफेयर्स बहुत इंपोर्टेंट है, क्योंकि 3-4 पेपर जनरल नाॅलेज के होते हैं। न्यूजपेपर जरूर पढ़ें– न्यूजपेपर पढ़ने की आदत कैंडिडेट्स की एग्जाम की तैयारी के अलावा इंटरव्यू की तैयारी को भी बेहतर बनाती है। बीते वर्षों के प्रश्नपत्र साॅल्व करें– बीते वर्षों के प्रश्न पत्र देखकर एग्जाम का पैटर्न और आने वाले एग्जाम की समझ विकसित होती है। माॅक टेस्ट दें– ज्यादा से ज्यादा माॅक टेस्ट देना किसी भी एग्जाम को क्लियर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। माॅक टेस्ट देने से स्पीड और एक्योरिसी बढ़ने के साथ ही अपनी तैयारी का भी पता चलता है। एनसीईआरटी पुस्तकें पढ़ें- एनसीईआरटी पुस्तकें यूपीएससी के लिए बहुत उपयोगी होती हैं। कई बार टीचर और सिविल सर्विस एग्जाम क्लियर करने वाले भी एनसीईआरटी पुस्तकें पढ़ने की सलाह देते हैं। डिटेल नोट्स तैयार करें- यूपीएससी के एग्जाम में कुछ सब्जेक्ट्स में काफी लिखना होता है, इसलिए डिटेल नोट्स तैयार करना भी आवश्यक है। अभ्यास टेस्ट सीरीज देखें– प्रैक्टिस टेस्ट सीरीज की समझ और लगातार अभ्यास करने से एग्जाम को क्लियर करने में आसानी हो जाती है। रिवीजन जरूर करें- किसी भी एग्जाम की तैयारी के लिए 1 से 2 साल का समय काफी माना जाता है, लेकिन एग्जाम से कुछ दिन पहले रिवीजन करना जरूरी है। रिवीजन करने से कैंडिडेट्स भूले हुए टाॅपिक्स भी ध्यान कर लेते हैं और अपनी तैयारी को औरों से बेहतर कर लेते हैं। घर बैठे यूपीएससी की तैयारी कैसे करें? वैसे तो किसी भी परीक्षा के लिए कोई समय निर्धारण नहीं किया जा सकता, लेकिन यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए छात्र 18 महीने की अथक परिश्रम से उस समय सीमा तक पहुंच सकते हैं। ऐसे में अगर आप घर बैठे बैठे यूपीएससी की तैयारी करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए स्टेप्स को फाॅलो कर सकते हैंः सबसे पहले परीक्षा के सिलेबस को समझें। शुरू में थोड़ा पढ़ें और बाद में ज्यादा टाइम दें। एक व्यवस्थित शेड्यूल/टाइमटेबल बनाएं। करेंट अफेयर्स के लिए मासिक पत्रिकाएँ पढ़ें। आईएएस के लिए समाचार पत्र पढ़ें। सरकारी प्रकाशन पढ़ें। एनसीईआरटी पुस्तकें पढ़ें। 10वीं के बाद यूपीएससी की तैयारी कैसे करें? 10 वीं के बाद यूपीएससी परीक्षा नहीं दी जा सकती, लेकिन आप नीचे दी गईं टिप्स के द्वारा 10 वीं से ही आईएएस बनने की तैयारी शुरू कर सकते हैंः सबसे पहले एग्जाम की पूरी जानकारी होना जरूरी है। एग्जाम में आने वाले सिलेबस को समझें। रणनीति और अध्ययन की सामग्री को इकट्ठा करें। एकाग्रता के साथ पढ़ाई करें। पढ़ाई के साथ ही साथ लेखन करना भी जरूरी है। बार-बार मोक टेस्ट दें। रोज़ाना न्यूज़ पेपर और मैगज़ीन पढ़ें। 12वीं के बाद आईएएस की तैयारी कैसे करें? अगर आप सिविल सर्विस एग्जाम के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो आपके पास कम से कम बैचलर की डिग्री होना आवश्यक है, लेकिन इसकी तैयारी भी 12वीं के बाद शुरू की जा सकती है। 12वीं के बाद आईएएस की तैयारी इस तरह कर सकते हैंः सबसे पहले सही स्ट्रेटजी बनाना बहुत ही जरूरी है। ग्रेजुएशन में अपने पसंद के विषय का चयन करें। यूपीएससी का सिलेबस अच्छी तरह से देखें। टाइम टेबल बनाएं। करंट अफेयर्स और न्यूजपेपर पर फोकस करें। हर वर्ष आने वाले बजट का एनालिसिस करें। NCERT की किताबों का अध्ययन शुरू करें। 4-5-6 घंटे तो रोजाना पढ़ाई आवश्यक है। लिखना शुरू करें। शाॅर्ट नोट्स बनाएं। माॅक टेस्ट दें , यूपीएससी के बीते वर्षों के पेपर साॅल्व करें। इकोनॉमिक्स के एग्जाम से पहले जरूर अपनाएं ये टिप्स पढ़ाई के दौरान टॉपिक को लिखकर उन्‍हें याद करें, जब भी मौका मिले उन्‍हें दोहराएं। साथ ही संख्यात्मक प्रश्नों और रेखाचित्रों का भी अभ्यास करें, और साफ़ कार्य करने की आदत डालें। परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्‍नों का अनुभव करने के लिए स्कूल की सभी प्रीबोर्ड परीक्षा में अवश्य भाग ले, एनसीईआरटी की पुस्तकें जरुर पढ़ें। दोनों इकोनॉमिक्स मैक्रो और माइक्रो दोनों में कई तरह के डाइग्राम होते है, इसलिए आपको इन डाइग्राम को बनाने का अभ्यास होना चाहिए, अगर आप पेपर में अच्छे डाइग्राम बनाते है तो आपको अंक मिलते है लेकिन अगर आपके डाइग्राम सही नहीं है तो आपको किसी भी तरह अंको का लाभ नहीं होता है। अर्थशास्त्र के पेपर के कॉन्सेप्ट्स और टर्म में बहुत अंतर होता है। इसलिए इनमें अंतर समझने के लिए आपको तैयारी की जरुरत है। साथ ही इसे सारणीबद्ध रूप से प्रस्तुत करना भी आपको आना चाहिए। तभी आप पेपर में अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगे। पिछले साल के पेपर्स को भी सॉल्व करें इससे आपको परीक्षा का क्या पैटर्न है, पता चलता है और साथ

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UPSC प्रारंभिक पाठ्यक्रम 2024 – सामान्य अध्ययन और CSAT सिलेबस

यूपीएससी प्रीलिम्स सिविल सेवा परीक्षा का स्क्रीनिंग चरण है जो हर साल संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित किया जाता है। इस चरण को आधिकारिक तौर पर सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के रूप में जाना जाता है, लेकिन आम बोलचाल में, उम्मीदवार इसे UPSC Prelims या IAS प्रारंभिक परीक्षा के रूप में संदर्भित करते हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि UPSC प्रीलिम्स सिलेबस क्या है, और यह लेख आपको विस्तार से उत्तर प्रदान करता है। IAS प्रारंभिक परीक्षा का सिलेबस UPSC प्रीलिम्स पाठ्यक्रम को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है: सामान्य अध्ययन पेपर I CSAT या सामान्य अध्ययन पेपर- II यूपीएससी प्रीलिम्स सिलेबस 2022 अधिकतम अंक परीक्षा की अवधि सामान्य अध्ययन पेपर – I  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की सामयिक घटनाएं I भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन। भारतीय और विश्व भूगोल- भारत और विश्व का प्राकृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक भूगोल। भारतीय राज्यतंत्र  और शासन – संविधान, राजनैतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोक नीति, अधिकारों संबंधी सामान्य मुद्दे, आदि। आर्थिक और सामाजिक विकास – सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि I पर्यावरण पारिस्थितिकी जैव-विविधता और मौसम परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे – जिनके लिए विषय विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है सामान्य विज्ञान 200 अंक 2 घंटे सीसैट/सामान्य अध्ययन पेपर-II  बोधगम्यता संचार कौशल सहित अंतर व्यैक्तिक कौशिक तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता निर्णय लेना और समस्या समाधान सामान्य मानसिक योग्यता आधारभूत संख्यनन (संख्याएं और उनके संबंध, विस्तार क्रम आदि ) (दसवी कक्षा का स्तर), आंकड़ों का निर्वाचन  (चार्ट , ग्राफ, तालिका, आंकड़ों की पार्यप्ता आदि – दसवी कक्षा का स्तर) 200 अं यूपीएससी CSAT सिलेबस UPSC प्रीलिम्स में सामान्य अध्ययन पेपर- II को अक्सर CSAT या सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट के रूप में जाना जाता है। CSAT परीक्षा शुरू होने के बाद से ही विवादों का हिस्सा रही है। उम्मीदवारों के एक वर्ग ने आरोप लगाया है कि सीएसएटी उनके प्रति नकारात्मक पक्षपाती है। 2014-2015 में, CSAT को 33% उत्तीर्ण मानदंड के साथ ‘योग्यता परीक्षा’ घोषित किया गया था। जीएस II या CSAT आईएएस उम्मीदवारों के विश्लेषणात्मक कौशल की जांच करना चाहता है। सामान्‍य अध्‍ययन पेपर I (GS 1) के लिए यूपीएससी प्रारंभिक पाठ्यक्रम क्या है? IAS प्रारंभिक परीक्षा में GS I के पेपर में इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, राजनीति और शासन, सामान्य विज्ञान और सबसे महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स के विषय शामिल हैं। उपविषयों का उल्लेख नीचे किया गया है। करेंट अफेयर्स सिलेबस UPSC प्रीलिम्स (और मेन्स) में, हाल के वर्षों में गतिशील प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यहां तक ​​कि राजनीति जैसे वर्गों से, जिन्हें स्थिर माना जाता था, अधिक से अधिक प्रश्नों का आधार हाल के किसी अंक/विषय में समाचारों में है। इसके अलावा, UPSC प्रीलिम्स सिलेबस में भारतीय अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के हिस्से ज्यादातर करेंट अफेयर्स पर केंद्रित हैं। करेंट अफेयर्स की तैयारी के लिए कुछ आवश्यक स्रोत हैं: योजना पत्रिका और कुरुक्षेत्र पत्रिका पत्र सूचना कार्यालय  (PIB) दैनिक ट्रिब्यून, दैनिक भास्कर UPSC प्रीलिम्स सिलेबस – भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन यूपीएससी प्रीलिम्स जीएस 1 के पाठ्यक्रम में उल्लेख है कि पेपर में “भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन” पर प्रश्न होंगे। यह एक व्यापक वर्गीकरण है और यूपीएससी प्रीलिम्स पाठ्यक्रम के अनुसार इतिहास तैयार करने के लिए, उम्मीदवारों को बोलने के लिए “फूट डालो और जीतो” का उपयोग करने की आवश्यकता है। भारत का प्राचीन इतिहास भारत में प्रागैतिहासिक संस्कृतियां सिंधु घाटी सभ्यता । उत्पत्ति- विभिन्न चरण- समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति- अन्य संस्कृतियों के साथ संपर्क- कारक गिरावट का कारण बनते हैं। देहाती और कृषक समाज का भौगोलिक वितरण और विशेषताएं। वैदिक समाज-वैदिक ग्रंथ- ऋग्वैदिक से उत्तर वैदिक चरणों में परिवर्तन। वैदिक समाज धर्म- उपनिषद विचार-राजनीतिक और सामाजिक संगठन, वर्ण व्यवस्था का विकास और राजतंत्र। राज्य का गठन और शहरीकरण, महाजनपदों से नंदों तक। बौद्ध धर्म और जैन धर्म- बौद्ध धर्म के प्रसार के कारक । मौर्य साम्राज्य- चंद्रगुप्त और मेगस्थनीज। अशोक और उनके शिलालेख, उनके धम्म, संस्कृति, प्रशासन और कला मौर्योत्तर भारत का समाज, ईसा पूर्व 200- ईस्वी 300- जातियों का विकास। सातवाहन और प्रायद्वीप में राज्य का गठन। संगम ग्रंथ और समाज। इंडो-यूनानी, शक, पार्थियन, कुषाण, कनिष्क-बाहरी दुनिया के साथ संपर्क। विभिन्न धर्म- भागवतवाद, शैववाद, महायान बौद्ध धर्म और हीनयान, जैन धर्म और संस्कृति और कला। गुप्त और उनके वंशज। साहित्य विज्ञान, कला, अर्थव्यवस्था और समाज – साम्राज्य के राजनीतिक संगठन में संशोधन। मध्यकालीन भारतीय इतिहास प्रारंभिक मध्यकालीन भारत । प्रमुख राजवंश; राजनीतिक और कृषि संगठन। महिलाओं की स्थिति, सामाजिक गतिशीलता की सीमा। सिंध में अरब और गजनवी। सांस्कृतिक रुझान, 750-1200, धार्मिक परिस्थितियाँ: मंदिरों और मठों की संस्थाओं का महत्व; शंकराचार्य; इस्लाम; सूफीवाद। कला और वास्तुकला। साहित्य और विज्ञान। 13वीं और 14वीं शताब्दी: घोरियों के आक्रमण के कारण और परिणाम। गुलाम शासकों के अधीन दिल्ली सल्तनत। अलादीन खिलजी: आक्रमण; प्रशासनिक, कृषि और आर्थिक उपाय। मुहम्मद तुगलग के आविष्कार। फिरोज तुगलक और दिल्ली सल्तनत का पतन। शहरीकरण और वाणिज्य का विकास। हिंदू धर्म और इस्लाम में आध्यात्मिक आंदोलन। साहित्य। वास्तुकला, तकनीकी परिवर्तन। 15वीं और प्रारंभिक 16वीं शताब्दी: प्रमुख प्रांतीय राजवंश; विजयनगर साम्राज्य। लोधी, मुगल साम्राज्य का पहला चरण: सुर साम्राज्य और प्रशासन। एकेश्वरवादी आंदोलन: कबीर; गुरु नानक और सिख धर्म; भक्ति। क्षेत्रीय साहित्य का प्रसार। कला और संस्कृति। मुगल साम्राज्य, अकबर: आक्रमण, प्रशासनिक उपाय, सुलह-ए-कुल की नीति। जागीर और मनसब प्रणाली; जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब: दक्कन में मुगल साम्राज्य का विस्तार; धार्मिक नीतियां। शिवाजी। फारसी और क्षेत्रीय साहित्य। धार्मिक विचार: अबुल फजल; महाराष्ट्र धर्म. आर्किटेक्चर। चित्र। अर्थव्यवस्था: किसानों और कारीगरों के मामलों की स्थिति, व्यापार में वृद्धि; यूरोप के साथ व्यापार। सामाजिक स्तरीकरण और महिलाओं की स्थिति। मुगल साम्राज्य का पतन, पतन का कारण। पेशवाओं के अधीन मराठा शक्ति। अफगान। क्षेत्रीय राज्य। मिश्रित संस्कृति के सबसे महत्वपूर्ण घटक। सवाई जय सिंह, खगोलशास्त्री उर्दू भाषा का उदय। आधुनिक भारत-भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन ब्रिटिश विस्तार: कर्नाटक युद्ध, बंगाल पर आक्रमण। मैसूर और ब्रिटिश विस्तार के लिए उसका टकराव: तीन आंग्ल-मराठा युद्ध। रेगुलेटिंग एंड पिट्स इंडिया एक्ट्स। ब्रिटिश राज की प्रारंभिक रचना। ब्रिटिश राज का आर्थिक प्रभाव: जमींदारी, रैयतवारी, महलवारी जैसी भू-राजस्व बस्तियां; विऔद्योगीकरण; रेलवे और कृषि का व्यावसायीकरण; भूमिहीन श्रम की वृद्धि। सांस्कृतिक मुठभेड़ और सामाजिक परिवर्तन: पश्चिमी शिक्षा और आधुनिक विचारों की स्थापना। भारतीय पुनर्जागरण, धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन; 1857 से पहले के सामाजिक सुधार

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जानें कैसे करें Economics की तैयारी?

अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है जो परीक्षा में छात्रों को हाई मार्क्‍स भी दिला सकता है और फेल भी करा सकता है, इसलिए पढ़ाई के दौरान छात्रों को ख़ास ध्यान देने की जरुरत पड़ती है। यह गणित का मिलता-जुलता रूप है। अर्थशास्त्र में किसी व्यक्ति या संपूर्ण अर्थव्यवस्था से संबंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। देश के तेज आर्थिक विकास के लिए सही आर्थिक नीतियों को अपनाना आवश्यक होता है और आर्थिक नीतियों का निर्माण अर्थशास्त्र से ही संभव होता है। अर्थशास्‍त्र को जहां कई लोग विज्ञान मानते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो इसको कला कहते हैं। यह इसलिए है क्‍योंकि अर्थशास्त्र में जहां कला सैद्धांतिक जानकारी देती है, वहीं विज्ञान सैद्धांतिक जानकारी को व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत करता है। विज्ञान उन परीक्षणों पर आधारित होता है, जो कि नियंत्रित होते हैं तथा परिकल्पनाओं को संतुष्ट करते हैं। इसलिए अर्थशास्त्र को कला एवं विज्ञान के मिश्रण के रूप में भी देखा जाता है। तैयारी से न डरें अर्थशास्‍त्र की पढ़ाई के दौरान छात्र यह सोचकर परेशान हो जाते हैं कि इसके बड़े कोर्स को वह कैसे पूरा कर पाएंगे। हालांकि यह कोर्स उन छात्रों को ही बड़ा लग सकता है जो की कोर्स को समझने के लिए कई तरह की रेफरेंस बुक्स का उपयोग करते है, लेकिन जो छात्र केवल अपने सिलेबस कोर्स की किताब से पढाई करते है उनके लिए यह समय पर्याप्त होता है कोर्स को पूरा करने और उसका रिवीजन करने के लिए। अर्थशास्‍त्र में आप तभी अच्छे नंबर प्राप्त कर सकते है जब आपकी विश्लेषणात्मक और तार्किक स्किल (Analytical and Logical Skills) अच्छी हो। जानें कैसे पाएं अच्छे मार्क्स अगर आप बोर्ड परीक्षा में अर्थशास्त्र के अंदर अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको शुरू से ही समय सारणी बनाकर नियमित अध्ययन करना होगा। पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए ही तैयारी करें, बहुत अधिक सांकेतिक किताब पढ़ने से आप भ्रमित हो सकते है, इसलिए सिर्फ एनसीईआरटी की अच्छी रेफरेंस किताब ही पढ़ें। इकोनॉमिक्स के एग्जाम से पहले जरूर अपनाएं ये टिप्स पढ़ाई के दौरान टॉपिक को लिखकर उन्‍हें याद करें, जब भी मौका मिले उन्‍हें दोहराएं। साथ ही संख्यात्मक प्रश्नों और रेखाचित्रों का भी अभ्यास करें, और साफ़ कार्य करने की आदत डालें। परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्‍नों का अनुभव करने के लिए स्कूल की सभी प्रीबोर्ड परीक्षा में अवश्य भाग ले, एनसीईआरटी की पुस्तकें जरुर पढ़ें। दोनों इकोनॉमिक्स मैक्रो और माइक्रो दोनों में कई तरह के डाइग्राम होते है, इसलिए आपको इन डाइग्राम को बनाने का अभ्यास होना चाहिए, अगर आप पेपर में अच्छे डाइग्राम बनाते है तो आपको अंक मिलते है लेकिन अगर आपके डाइग्राम सही नहीं है तो आपको किसी भी तरह अंको का लाभ नहीं होता है। अर्थशास्त्र के पेपर के कॉन्सेप्ट्स और टर्म में बहुत अंतर होता है। इसलिए इनमें अंतर समझने के लिए आपको तैयारी की जरुरत है। साथ ही इसे सारणीबद्ध रूप से प्रस्तुत करना भी आपको आना चाहिए। तभी आप पेपर में अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगे। पिछले साल के पेपर्स को भी सॉल्व करें इससे आपको परीक्षा का क्या पैटर्न है, पता चलता है और साथ ही आप यह भी समझ पाते है की परीक्षक आपसे क्या पूछना चाहता है।

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What should I not study for the SSC CGL?

Introduction: The Staff Selection Commission Combined Graduate Level (SSC CGL) exam is a gateway to coveted government jobs in India, testing candidates on a wide range of subjects. While a well-rounded preparation is key to success, there are certain subjects that candidates might consider avoiding to optimize their study time and focus on areas with higher relevance and scoring potential. Outdated Material: Low-Weightage Topics: Overemphasis on Non-Scoring Sections: Ignoring Mock Tests and Practice Papers: Overlooking General Awareness: Ignoring English Proficiency: Skipping Quantitative Aptitude: Overlooking Previous Year Papers: Conclusion: In the journey to crack the SSC CGL exam, strategic preparation is key. By avoiding certain pitfalls, such as outdated materials, low-weightage topics, and neglecting practice, candidates can streamline their efforts towards a more focused and effective study plan. It’s essential to strike a balance between all subjects, emphasizing high-scoring areas while ensuring a well-rounded preparation. Remember, success in the SSC CGL exam is not just about what you study but also about how you study and apply your knowledge on the day of the exam.

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