Current Affairs For India & Rajasthan | Notes for Govt Job Exams

Many More Different Topics

केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार 17.08.2024 को रायपुर में 17वें दिव्य कला मेले का उद्घाटन करेंगे

20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 100 दिव्यांग कारीगर, कलाकार और उद्यमी विविध प्रकार के उत्पादों और सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करेंगे दिव्य कला शक्ति – दिव्यांगजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए जॉब फेयर और लोन मेला   केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार कल रायपुर में 17वें दिव्य कला मेले का उद्घाटन करेंगे। सप्ताह भर चलने वाले इस मेले में दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, साथ ही उनकी प्रतिभा और रचनात्मकता का जश्न मनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) द्वारा किया जा रहा है। इस दिव्य कला मेले में लगभग 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 100 से अधिक दिव्यांग कारीगरों, कलाकारों और उद्यमियों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की एक विविध श्रृंखला पेश की जाएगी। इसमें घर की सजावट, जीवनशैली से जुड़े उत्पाद, कपड़े, पर्यावरण के अनुकूल सामान, पैकेज्ड खाद्य पदार्थ आदि का बेजोड़ संग्रह होगा। आगंतुकों को इन हस्तनिर्मित वस्तुओं को देखने और खरीदने का अनूठा अवसर मिलेगा, जिनमें से प्रत्येक अपने निर्माताओं की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और रचनात्मकता को दर्शाता है। यह मेला सिर्फ़ बाज़ार से कहीं बढ़कर होगा और दिव्यांगजनों को ‘दिव्य कला शक्ति’ जॉब फेयर और लोन मेले के ज़रिए एक ही छत के नीचे सशक्त बनाएगा। लोन मेले जैसी पहलों के ज़रिए प्रतिभागियों को वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिससे वे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा पाएँगे और ज़्यादा आत्मनिर्भर बन पाएँगे। यह कार्यक्रम दिव्यांग कलाकारों की प्रतिभाओं के उत्सव के रूप में भी काम करेगा, जिसमें दिव्य कला शक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रम कलाकारों को संगीत, नृत्य और नाटक में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। रायपुर का दिव्य कला मेला 2022 से देश भर में आयोजित होने वाले ऐसे आयोजनों की श्रृंखला में 17वाँ है। दिल्ली, मुंबई, भोपाल और गुवाहाटी जैसे शहरों में पिछले आयोजनों को व्यापक प्रशंसा मिली है, जिनमें से प्रत्येक ने कौशल विकास और बाज़ार में मौजूदगी के ज़रिए दिव्यांगजनों के उत्थान और सशक्तिकरण के बढ़ते आंदोलन में योगदान दिया है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार 17.08.2024 को रायपुर में 17वें दिव्य कला मेले का उद्घाटन करेंगे Read More »

इसरो ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-08 का प्रक्षेपण किया

इसरो के नवीनतम पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘ईओएस-08’ को आज सुबह 9:17 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी)-डी3 द्वारा प्रक्षेपित किया गया। ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रोसैटेलाइट का डिजाइन और विकास करना, माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ संगत पेलोड उपकरण बनाना और भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है। माइक्रोसैट/आईएमएस-1 बस पर निर्मित, ईओएस-08 तीन पेलोड ले जाता है: इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर), और एसआईसी यूवी डोसिमीटर। ईओआईआर पेलोड को उपग्रह आधारित निगरानी, ​​आपदा निगरानी, ​​पर्यावरण निगरानी, ​​आग का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन, और औद्योगिक और बिजली संयंत्र आपदा निगरानी जैसे अनुप्रयोगों के लिए दिन और रात दोनों समय मिड-वेव आईआर (एमआईआर) और लॉन्ग-वेव आईआर (एलडब्ल्यूआईआर) बैंड में छवियों को कैप्चर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जीएनएसएस-आर पेलोड महासागर की सतह की हवा के विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, हिमालयी क्षेत्र में क्रायोस्फीयर अध्ययन, बाढ़ का पता लगाने और अंतर्देशीय जल निकाय का पता लगाने जैसे अनुप्रयोगों के लिए जीएनएसएस-आर-आधारित रिमोट सेंसिंग का उपयोग करने की क्षमता प्रदर्शित करता है। इस बीच, SiC UV डोसिमीटर गगनयान मिशन में क्रू मॉड्यूल के व्यूपोर्ट पर UV विकिरण की निगरानी करता है और गामा विकिरण के लिए उच्च खुराक वाले अलार्म सेंसर के रूप में कार्य करता है। अंतरिक्ष यान मिशन विन्यास 37.4 डिग्री के झुकाव के साथ 475 किमी की ऊंचाई पर एक गोलाकार निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में संचालित करने के लिए सेट किया गया है, और इसका मिशन जीवन 1 वर्ष है। उपग्रह का द्रव्यमान लगभग 175.5 किलोग्राम है और यह लगभग 420 वाट की शक्ति उत्पन्न करता है। यह SSLV-D3 प्रक्षेपण यान से जुड़ता है। EOS-08 उपग्रह मेनफ्रेम सिस्टम जैसे कि एकीकृत एवियोनिक्स सिस्टम, जिसे संचार, बेसबैंड, स्टोरेज और पोजिशनिंग (CBSP) पैकेज के रूप में जाना जाता है, में एक महत्वपूर्ण प्रगति को चिह्नित करता है, जो कई कार्यों को एक एकल, कुशल इकाई में जोड़ता है। यह सिस्टम वाणिज्यिक ऑफ-द-शेल्फ (COTS) घटकों और मूल्यांकन बोर्डों का उपयोग करके कोल्ड रिडंडेंट सिस्टम के साथ डिज़ाइन किया गया है, जो 400 Gb तक डेटा स्टोरेज का समर्थन करता है। इसके अतिरिक्त, उपग्रह में PCB के साथ एम्बेडेड एक संरचनात्मक पैनल, एक एम्बेडेड बैटरी, एक माइक्रो-DGA (डुअल जिम्बल एंटीना), एक M-PAA (चरणबद्ध ऐरे एंटीना), और एक लचीला सौर पैनल शामिल है, जिनमें से प्रत्येक ऑनबोर्ड प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए प्रमुख घटकों के रूप में कार्य करता है। उपग्रह अपने एंटीना पॉइंटिंग मैकेनिज्म में एक लघुकृत डिज़ाइन का उपयोग करता है, जो 6 डिग्री प्रति सेकंड की घूर्णी गति प्राप्त करने और ±1 डिग्री की पॉइंटिंग सटीकता बनाए रखने में सक्षम है। लघुकृत चरणबद्ध ऐरे एंटीना संचार क्षमताओं को और बढ़ाता है, जबकि लचीले सौर पैनल में फोल्डेबल सौर पैनल सब्सट्रेट, GFRP ट्यूब और CFRP हनीकॉम्ब रिजिड एंड पैनल शामिल है, जो बेहतर बिजली उत्पादन और संरचनात्मक अखंडता प्रदान करता है। एक पायरोलिटिक ग्रेफाइट शीट डिफ्यूज़र प्लेट, जो 350 W/mK की उच्च तापीय चालकता के लिए जानी जाती है, द्रव्यमान को कम करती है और विभिन्न उपग्रह कार्यों में इसका उपयोग होता है। इसके अलावा, EOS-08 मिशन एक काज-आधारित स्थिरता का उपयोग करके हाउसकीपिंग पैनलों को एकीकृत करने की एक नई विधि को अपनाता है, जो असेंबली, एकीकरण और परीक्षण (AIT) चरण की अवधि को काफी कम करता है। अतिरिक्त नवीन योजनाओं को शामिल करते हुए, EOS-08 मिशन एक्स-बैंड डेटा ट्रांसमिशन के माध्यम से उपग्रह प्रौद्योगिकी में सुधार करता है, एक्स-बैंड डेटा ट्रांसमीटरों के लिए पल्स शेपिंग और फ़्रीक्वेंसी कम्पेंसेटेड मॉड्यूलेशन (FCM) का उपयोग करता है। उपग्रह की बैटरी प्रबंधन प्रणाली SSTCR-आधारित चार्जिंग और बस विनियमन को नियोजित करती है, जो क्रमिक रूप से 6 Hz की आवृत्ति पर स्ट्रिंग्स को शामिल या बाहर करती है। मिशन का स्वदेशीकरण प्रयास इसकी सौर सेल निर्माण प्रक्रियाओं और माइक्रोसैट अनुप्रयोगों के लिए नैनो-स्टार सेंसर के उपयोग में स्पष्ट है। इसके अतिरिक्त, इनर्शियल सिस्टम रिएक्शन व्हील आइसोलेटर से लाभान्वित होता है जो कंपन को कम करता है और टीटीसी और एसपीएस अनुप्रयोगों के लिए एकल एंटीना इंटरफ़ेस का उपयोग किया जाता है। COTS घटकों के थर्मल गुणों को संभालने के लिए AFE BGA, Kintex FPGA, जर्मेनियम ब्लैक कैप्टन और STAMET (Si-Al मिश्र धातु) ब्लैक कैप्टन जैसी सामग्रियों का उपयोग करके थर्मल प्रबंधन को बढ़ाया जाता है। मिशन में एक ऑटो-लॉन्च पैड इनिशियलाइज़ेशन सुविधा भी शामिल है, जो अभिनव मिशन प्रबंधन के लिए अपनी प्रतिबद्धता को और अधिक प्रदर्शित करती है।

इसरो ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-08 का प्रक्षेपण किया Read More »

संसद टीवी विशेष: CAR T-सेल थेरेपी

चर्चा में क्यों ?  हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे में आयोजित एक कार्यक्रम में कैंसर के उपचार के लिये स्वदेशी रूप से विकसित CAR T-सेल थेरेपी को एक महत्त्वपूर्ण सफलता बताया।   CAR T-सेल थेरेपी क्या है? परिचय:  CAR T-सेल थेरेपी, जिसे काइमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर T-सेल थेरेपी के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार की इम्यूनोथेरेपी है जिसमें कैंसर से लड़ने के लिये रोगी की ही प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग किया जाता है। CAR T-सेल थेरेपी को ल्यूकेमिया (श्वेत रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं से उत्पन्न होने वाला कैंसर) और लिम्फोमा (लसीका प्रणाली से उत्पन्न होने वाला कैंसर) के लिये अनुमोदित किया गया है। CAR T-सेल थेरेपी को प्रायः ‘लिविंग ड्रग्स’ के रूप में संदर्भित किया जाता है। वर्ष 2017 से, छह CAR T-सेल थेरेपी को खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा अनुमोदित किया गया है। सभी को रक्त कैंसर के उपचार के लिये अनुमोदित किया गया है, जिसमें लिम्फोमा, ल्यूकेमिया के कुछ रूप और मल्टीपल माइलोमा शामिल हैं। प्रक्रिया:  यह एक जटिल एवं वैयक्तिकृत उपचार प्रक्रिया है जिसमें शामिल हैं: T-कोशिकाओं का संग्रह: T-कोशिका/सेल एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका है जो संक्रमण से लड़ने में मदद करती है, इसे एफेरेसिस नामक प्रक्रिया के माध्यम से रोगी के रक्त से लिया जाता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग: प्रयोगशाला में T-कोशिकाओं को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है ताकि उनकी सतह पर काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (Chimeric Antigen Receptor- CAR) नामक एक विशेष प्रोटीन को प्रकट किया जा सके। यह CAR कैंसर कोशिकाओं पर पाए जाने वाले एक विशिष्ट एंटीजन (सूचक) की पहचान करने तथा उसके साथ संगठित होने के लिये परिकल्पित किया गया है। प्रसार: संशोधित T-कोशिकाएँ प्रयोगशाला में बड़ी संख्या में द्विगुणित होती हैं। संचार: इन द्विगुणित CAR T-कोशिकाओं को रोगी के रक्तप्रवाह में पुनः संचरित कर दिया जाता है, जहाँ वे लक्षित एंटीजन को उत्पन्न करने वाली कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर सकती हैं तथा उन पर हमला कर सकती हैं।   भारत में विकास: NexCAR19, B-कोशिका कैंसर के लिये एक स्वदेशी रूप से विकसित थेरेपी है, जिसे इम्यूनोएक्ट (ImmunoACT), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT-B) और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल द्वारा सहयोगात्मक रूप से विकसित किया गया है। कुछ विशिष्ट प्रकार के रक्त कैंसर के उपचार हेतु इस थेरेपी के व्यावसायिक उपयोग को अक्तूबर 2023 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा अनुमोदित किया गया था। NexCAR19, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से अनुमोदन प्राप्त करने वाली पहली CAR-T सेल थेरेपी है।   CAR-T थेरेपी के संभावित लाभ: उच्च सुधार दर: एडवांस कैंसर से ग्रसित कुछ रोगियों, जिन पर अन्य उपचारों का प्रभाव नहीं पड़ा है, के लिये CAR-T थेरेपी पूर्णतः सुधार की उच्च दर का कारण बन सकती है। लक्षित उपचार: CAR T-सेल थेरेपी अत्यधिक लक्षित है, क्योंकि यह विशेष रूप से स्वस्थ कोशिकाओं को बचाते हुए लक्षित एंटीजन को प्रकट करने वाली कैंसर कोशिकाओं की ही पहचान करती है और उन पर हमला करती है। उपचार में इस तरह की परिशुद्धता पारंपरिक कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy) की तुलना में कम दुष्प्रभावों के साथ अधिक प्रभावी उपचार प्रदान कर सकती है। उच्च प्रभावकारिता:  CAR T-सेल थेरेपी ने विशेष रूप से कुछ प्रकार के रक्त कैंसर जैसे एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL), क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL) और गैर-हॉजकिन लिंफोमा (NHL) से ग्रसित रोगियों में उल्लेखनीय प्रभावकारिता प्रदर्शित है। इसने कुछ रोगियों में पूर्णतः सुधार की उच्च दर प्राप्त की है जिन पर अन्य उपचारों का कोई प्रभाव नहीं देखा गया था। एकल उपचार: कई मामलों में,  CAR T-सेल थेरेपी में आनुवंशिक रूप से संशोधित T कोशिकाओं का एक ही बार रक्त संचरण में प्रवेश कराना शामिल होता है, जो दीर्घकालिक चिकित्सीय प्रभाव प्रदान कर सकता है। यह कीमोथेरेपी जैसे अन्य उपचारों से भिन्न है, जिसके लिये विस्तारित अवधि में थेरेपी के कई चरण आवश्यक हो सकते हैं। वैयक्तिकृत चिकित्सा:  CAR T-सेल थेरेपी को प्रत्येक रोगी के लिये उनकी कैंसर कोशिकाओं पर मौजूद विशिष्ट एंटीजन को लक्षित करने हेतु संशोधित T कोशिकाओं द्वारा तैयार किया जा सकता है। यह वैयक्तिकृत दृष्टिकोण विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार व ट्यूमर की विविधता को नियंत्रित करता है। कैंसर क्या है? कैंसर एक व्यापक शब्द है जिसका उपयोग शरीर में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि और प्रसार से होने वाले रोगों के एक समूह का वर्णन करने के लिये किया जाता है। ये असामान्य कोशिकाएँ, जिन्हें कैंसर कोशिकाएँ कहा जाता है, आस-पास के ऊतकों और अंगों पर आक्रमण कर सकती हैं, जिससे उनका सामान्य कार्य बाधित होता है। इसके अतिरिक्त, कैंसर कोशिकाएँ अपररूपांतरण (metastasize) कर सकती हैं, अथवा रक्तप्रवाह या लसीका प्रणाली के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं, जिससे मूल स्थान से दूर शरीर के अन्य भागों में ट्यूमर बन सकते हैं। जीन थेरेपी क्या है? परिचय: जीन थेरेपी एक चिकित्सकीय दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य रोगी की कोशिकाओं के आनुवंशिक पदार्थ को संशोधित करके रोगों का उपचार या रोकथाम करना है। इस तकनीक में किसी रोग का कारण बनने वाले दोषपूर्ण जीन को प्रतिस्थापित करने या कोशिकाओं को एक नया कार्य प्रदान करने के लिये किसी व्यक्ति की कोशिकाओं में आनुवंशिक तत्त्व की पहचान कर उन्हें शामिल करना है। जीन थेरेपी द्वारा आनुवंशिक विकारों की एक विस्तृत शृंखला, जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और कुछ प्रकार के कैंसर का उपचार किया जा सकता है। जीन थेरपी के प्रकार : जीन रिप्लेसमेंट थेरेपी: इसमें दोषपूर्ण या अनुपस्थित जीन को प्रतिस्थापित करने के लिये कोशिकाओं में जीन की एक स्वस्थ प्रतिकृति का समावेश शामिल है। जीन एडिटिंग: CRISPR-Cas9 जैसी तकनीकें जीन की सटीक एडिटिंग को सक्षम बनाती हैं, जिनकी सहायता से उत्परिवर्तन में सुधार या जीन अभिव्यक्ति में संशोधन किया जा सकता है। जीन परिवर्द्धन: कुछ मामलों में, कोशिकाओं को अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने या लाभकारी प्रोटीन का उत्पादन करने में मदद करने के लिये जीन को परिवर्द्धित किया जा सकता है। जीन साइलेंसिंग: इस पद्धति में कुछ जीनों की अभिव्यक्ति को बाधित करना शामिल है जो स्मॉल इंटरफेरिंग RNA (siRNA) या एंटीसेंस ऑलिगोन्यूक्लियोटाइड्स जैसे अणुओं को समाविष्ट करके रोग का कारण बन सकते हैं। वेक्टर क्या है? परिचय: जीन थेरपी में, वेक्टर सामान्यतः एक विषाणु/वायरस या प्लास्मिड होता है जिसे चिकित्सीय जीन को लक्षित

संसद टीवी विशेष: CAR T-सेल थेरेपी Read More »

संवाद: परस्पर संबद्ध विश्व में गरीबी और असमानता

संदर्भ क्या है?  हाल ही में भारतीय अर्थशास्त्रियों ने परस्पर संबद्ध विश्व में गरीबी और असमानता के साथ भारत में धन असमानता पर ऑक्सफैम की सटीकता के संबंध में चर्चा की।   प्रमुख बिंदु क्या हैं? ऑक्सफैम की रिपोर्ट अंतराल को समाप्त करने में शिक्षा के महत्त्व और असमानता को कम करने के लिये विघटनकारी तकनीक की क्षमता पर प्रकाश डालती है। यह एक कल्याणकारी राज्य की आवश्यकता पर बल देती है, जो व्यक्तिगत उत्पादकता को बढ़ाती है और गरीबी रेखा को ऊपर उठाती है। इसमें भारत में महिलाओं की शिक्षा और श्रम शक्ति भागीदारी में महत्त्वपूर्ण प्रगति का उल्लेख है। विघटनकारी तकनीक अंतर को कम करने और वैश्विक स्तर पर समानता बढ़ाने में मदद कर सकती है। असमानता और गरीबी को कैसे वर्गीकृत किया जाता है? गरीबी का वर्गीकरण संपूर्ण गरीबी: यह अविकसित देशों में आम बात है और इसे अत्यधिक गरीबी के रूप में जाना जाता है तथा जो लोग इस गरीबी से संबंधित हैं वे बुनियादी आवश्यकताओं के लिये संघर्ष करते हैं। सापेक्ष गरीबी: इसे आय असमानता के लिये विकसित प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है जो कि रहने वाले परिवेश और आर्थिक मानकों के बीच समन्वय के कारण उत्पन्न  होती है। परिस्थितिजन्य गरीबी: यह अस्थायी गरीबी है। यह पर्यावरणीय आपदाओं एवं गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं और नौकरी छूटने के कारण होती है। पीढ़ीगत गरीबी: यह सबसे जटिल गरीबी की स्थिति है जिसका असर परिवारों एवं व्यक्तियों पर पड़ता है और यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती है। ग्रामीण गरीबी: यह ग्रामीण क्षेत्रों में होती है क्योंकि वहाँ नौकरी के अवसर कम होते हैं, काम कम होता है और शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता कम होती है। शहरी गरीबी: यह वह चुनौती है जिसका शहरी लोगों को सामना करना पड़ रहा है और यह सीमित शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा तथा पर्याप्त सेवा प्रणाली के कारण उत्पन्न होती है। असमानता का वर्गीकरण: आय असमानता: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लोगों के समूह के बीच आय का असमान वितरण होता है। यानी सभी लोगों के बीच आय का समान वितरण नहीं होता है और इसके परिणामस्वरूप आय असमानता की स्थिति उत्पन्न होती है जो गरीबी को बढ़ावा देती है। वेतन असमानता: यह रोज़गार में विभिन्न भुगतानों की प्रक्रिया से संबंधित है जो एक संगठन में असमान रूप से वितरित की जाती है। मासिक, प्रति घंटा और वार्षिक आधार पर अलग-अलग भुगतान प्रक्रियाएँ हैं। भारत में गरीबी का अनुमान क्या है? घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) 2022-23 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी वर्ष 2011-12 में 25.7% से घटकर वर्ष 2022-23 में 7.2% हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 13.7% से घटकर 4.6% हो गई। नीति आयोग ने ‘वर्ष 2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी’ शीर्षक से एक चर्चा पत्र जारी किया है। वर्ष 2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी’ शीर्षक से एक चर्चा पत्र भारत में बहुआयामी गरीबी वर्ष 2013-14 में 29.17% से घटकर वर्ष 2022-23 में 11.28% हो गई है। विगत नौ वर्षों (वर्ष 2013-14 से वर्ष 2022-23) में लगभग 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता की स्थिति से बाहर आए हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में MPI के आधार पर निर्धन के रूप में वर्गीकृत लोगों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023: MPI का अनुमान वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच भारत के राष्ट्रीय MPI मूल्य के लगभग आधा होने तथा बहुआयामी निर्धनता में जनसंख्या के अनुपात में 24.85% से 14.96% की गिरावट को उजागर करता है। बहुआयामी निर्धनता में 9.89% की कमी यह दर्शाती है कि वर्ष 2021 में अनुमानित जनसंख्या के स्तर पर वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच लगभग 135.5 मिलियन व्यक्ति निर्धनता का शिकार होने से बच गए हैं। निर्धनता की तीव्रता, जो बहुआयामी निर्धनता में रहने वाले लोगों के बीच औसत अभाव को मापती है, भी 47.14% से घटकर 44.39% हो गई है। भारत में गरीबी रेखा का आकलन क्या रहा है? तेंदुलकर समिति (2009): सुरेश तेंदुलकर पद्धति में गरीबी रेखा को शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन ₹33 और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन ₹27 प्रति व्यक्ति खर्च माना गया है। इस प्रकार, तेंदुलकर समिति के अनुसार वर्ष 2011-12 में कुल जनसंख्या में भारत में गरीबों का प्रतिशत 21.9% था। रंगराजन समिति (2014): रंगराजन पद्धति में शहरी क्षेत्रों में यह 47 रुपए प्रतिदिन और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 रुपए प्रतिदिन थी। इस प्रकार रंगराजन समिति के अनुसार, 2011-12 में भारतीय जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में भारत की गरीब जनसंख्या 29.5 थी। नीति आयोग द्वारा वर्तमान गरीबी रेखा की गणना: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के परिणामों के आधार पर बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 के रूप में कई आयामों और गैर-आय कारकों को शामिल करने के लिये नीति आयोग द्वारा एक नया दृष्टिकोण विकसित किया गया है। MPI की वैश्विक कार्यप्रणाली मज़बूत अलकाईर और फोस्टर (Alkire and Foster- AF) पद्धति पर आधारित है जो विकट गरीबी का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किये गए सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मैट्रिक्स के आधार पर लोगों की गरीब के रूप में पहचान करती है, जो पारंपरिक मौद्रिक गरीबी उपायों के लिये एक पूरक परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है। अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा: विश्व बैंक, उस व्यक्ति को बेहद गरीब के रूप में परिभाषित करता है यदि वह प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन कर रहा है, जिसे मुद्रास्फीति के साथ-साथ देशों के बीच मूल्य अंतर के लिये समायोजित किया जाता है। भारत में असमानता की प्रवृत्तियाँ क्या हैं? धन संबंधी समानताएँ: भारत, विश्व के सबसे असमान देशों में से एक है, जहाँ शीर्ष 10% आबादी के पास कुल राष्ट्रीय संपत्ति का 77% हिस्सा है। भारतीय आबादी के सबसे अमीर 1% के पास देश की 53% संपत्ति है, जबकि आधे गरीब लोग राष्ट्रीय संपत्ति के मात्र 4.1% के लिये संघर्ष करते हैं। आय असमानता: विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत विश्व के सबसे असमान देशों में से एक है, जहाँ शीर्ष 10% और शीर्ष 1% आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का क्रमशः 57% एवं 22% हिस्सा है। निचले 50% की हिस्सेदारी घटकर 13% रह गई है। गरीबों पर कर का भार: देश में कुल वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) का लगभग 64% निम्न वर्ग की  50%

संवाद: परस्पर संबद्ध विश्व में गरीबी और असमानता Read More »

संवाद: 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के प्रेरक

प्रसंग क्या है? भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक विस्तारित करना है, जिसके लिये वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों पर रणनीतिक ज़ोर देना आवश्यक है। वे कारक जो भारत की वृद्धि को 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएंगे, जिनमें प्रौद्योगिकी, वित्त, घरेलू बाज़ारों का एकीकरण और समावेशी विकास शामिल हैं।   प्रमुख बिंदु क्या हैं? भारत की वृद्धि अल्पावधि में निर्यात, उपभोग और निवेश जैसे कारकों से प्रेरित होगी। पर्यावरणीय स्थिरता, समावेशी विकास और क्षेत्रों के बीच स्थानिक वितरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए विकास की गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी, विशेषकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, विकास को गति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। विकास को समर्थन देने के लिये वित्त को सतर्क उदारीकरण और वैश्विक बाज़ारों के साथ एकीकरण की आवश्यकता है। समावेशी विकास के लिये समावेशी विकास, भौतिक कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचे के विकास का एकीकरण आवश्यक है। भारत की GDP अगले सात वर्षों में दोगुनी होने वाली है, जिसमें कई अंतर्निहित जनसांख्यिकीय लाभ और नीति-आधारित परिवर्तन शामिल हैं। एक बड़े मध्यम वर्ग के साथ संयुक्त रूप से युवा आबादी का जनसांख्यिकीय लाभांश कई संरचनात्मक सुधारों द्वारा बढ़ाया गया है। भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढाँचा, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन तथा तीव्र वित्तीयकरण उच्च, सतत् विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। डिजिटलीकरण के उच्च स्तर पर देश की हालिया छलांग (Leapfrogging) पहले से ही कई मायनों में उत्पादकता और दक्षता को बढ़ा रही है। विश्व बैंक ने इसी अवधि के लिये अपने पहले के अनुमानों को 1.2 प्रतिशत संशोधित करते हुए कहा है कि वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। विश्व बैंक का अनुमान है कि सेवाओं और उद्योग में लचीली गतिविधि के कारण वित्तवर्ष 2024 में भारत की उत्पादन वृद्धि 7.5 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी। हालाँकि मध्यम अवधि में वृद्धि दर घटकर 6.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।   भारत का मध्यम अवधि का आउटलुक ग्रोथ क्या कहता है? विश्व बैंक का अनुमान है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि वित्त वर्ष 2024 में 7.5 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी, जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह घटकर 6.6 प्रतिशत रह जाएगी। अपेक्षित मंदी मुख्य रूप से पिछले वर्ष की ऊँची गति से निवेश में गिरावट को दर्शाती है। मध्यम अवधि में, भारत में राजकोषीय घाटा और सरकारी ऋण में गिरावट का अनुमान है, जो केंद्र सरकार द्वारा मज़बूत उत्पादन वृद्धि तथा समेकन प्रयासों द्वारा समर्थित है। भारत का हालिया आर्थिक प्रदर्शन वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में भारत की आर्थिक गतिविधि पिछले वर्ष की तुलना में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उम्मीदों से अधिक रही, जो कि बढ़े हुए निवेश और सरकारी खपत से समर्थित है। भारत का समग्र क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Managers Index- PMI) 60.6 पर रहा, जो वैश्विक औसत 52.1 से काफी ऊपर है, जो विस्तार का संकेत देता है। मुद्रास्फीति भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India’s- RBI) के लक्ष्य सीमा के भीतर बनी हुई है और वित्तीय स्थितियाँ उदार बनी हुई हैं। वाणिज्यिक क्षेत्र में घरेलू ऋण जारी करने में वर्ष 2023 में वर्ष-दर-वर्ष 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वित्तीय सुदृढ़ता संकेतकों में सुधार दिखाई दिया। वर्ष 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार 8 प्रतिशत बढ़ा। जनसांख्यिकीय विभाजन भारत अब चीन को पछाड़कर विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है और अगले 10 वर्षों में इसकी कामकाजी आबादी में 97 मिलियन लोगों के जुड़ने का अनुमान है। जैसे-जैसे समृद्धि बढ़ी है, भारत विश्व के सबसे बड़े मध्यम वर्ग का घर भी बन गया है, जो अब अनुमानित 371 मिलियन है, जो भीतर से क्रय शक्ति प्रदान करना जारी रखेगा। कई महत्त्वपूर्ण सुधार किये गए जिनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिये मात्र घरेलू गतिविधियों के अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त करना था- जो एक बड़ा जनसांख्यिकीय परिवर्तन है। विद्युत, रसोई गैस और स्वच्छ जल जैसी मूल सुविधाओं तक पहुँच सुनिश्चित किया गया जिससे लकड़ी एकत्र करने और जल लाने की पूर्व की आवश्यकताओं में लगने वाले समय की बचत हुई। नीति-आधारित परिवर्तन: विशिष्ट राष्ट्रीय पहचान-पत्र (आधार) के लिये एक अरब भारतीयों की फिंगरप्रिंटिंग और आईरिस स्कैनिंग, इसे सभी के लिये सुलभ अल्प लागत वाले बैंक खाते (जन धन) से जोड़ना तथा साथ ही संचार के लिये मोबाइल फोन नंबर से इसे जोड़ना महत्त्वपूर्ण परिवर्तन थे। JAM ट्रिनिटी (जन धन खाता, आधार, मोबाइल) की सहायता से सब्सिडी चोरी की रोकथाम करने में मदद मिली है और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाखों लोग लाभान्वित हुए। भारत वर्तमान में पूर्ण रूप से विद्युतीकृत है जबकि 20 वर्ष पूर्व यह आँकड़ा मात्र 60% था। जल जीवन मिशन जैसी नवीनतम पहल के माध्यम से प्रत्येक ग्राम के हर घर में स्वच्छ जल की आपूति सुनिश्चित की गई। मिशन के तहत 56% कवरेज की लक्ष्य प्राप्ति की जा चुकी है और वर्ष 2024 तक पूर्ण कवरेज का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विनिर्माण उद्योग के लिये उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना की सहायता से 6 मिलियन नौकरियाँ सृजित करने के लक्ष्य के साथ 14 क्षेत्रों में निवेश (प्रमुख रूप से निर्यात केंद्रित) को प्रोत्साहित किया गया। ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि: भारत ने अपने नागरिकों के लिये विद्युत और स्वच्छ खाना पकाने के तरीके उपलब्ध कराने में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2019 में लगभग सभी घरों तक बिजली की सुविधा प्रदान की गई। ऊर्जा मिश्रण में बायोमास की हिस्सेदारी आधे से अधिक घट गई है। नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के संदर्भ में भारत COP21 से संबंधित अपने वर्ष 2030 लक्ष्यों के निर्धारित समय से कम-से-कम नौ वर्ष पहले ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने वाला एकमात्र G20 राष्ट्र बन गया है। डिजिटल क्रांति सरकार के “सुपर ऐप” उमं पर नागरिकों के लिये संघीय और राज्य स्तर पर 1,682 सेवाएँ उपलब्ध हैं। वाद की संख्या में कमी करने और स्थानांतरण के संबंध में सुलभता हेतु सुधार के लिये इसे परिवर्तित किया गया। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड सहित डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को एकीकृत करना है। UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) संभवतः सबसे सफल डिजिटल भुगतान है। ONDC (ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स) का उद्देश्य ऑनलाइन मार्केटप्लेस के लिये UPI, विभिन्न प्लेटफॉर्म के क्रेताओं और विक्रेताओं को जोड़ने के लिये

संवाद: 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के प्रेरक Read More »

नागरिकता संशोधन अधिनियम: अनपैक्ड

चर्चा में क्यों?  हाल ही में भारत सरकार द्वारा नागरिकता (सशोधन) अधिनियम, 2019 के नियमों को अधिसूचित किया गया है। यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है।   नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 क्या है?  नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 का उद्देश्य नागरिकता अधिनियम (CAA), 1955 में संशोधन करना है। CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से छह गैर-दस्तावेज़ गैर-मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था। यह अधिनियम इन छह समुदायों के सदस्यों को विदेशी अधिनियम, 1946 और  पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत किसी भी आपराधिक मामले से छूट देता है। दोनों अधिनियम अवैध रूप से देश में प्रवेश करने और वीज़ा या परमिट के समाप्त हो जाने पर यहाँ रहने के लिये दंड निर्दिष्ट करते हैं। भारतीय नागरिकता का अधिग्रहण और निर्धारण: भारतीय नागरिकता चार तरीकों से प्राप्त की जा सकती है: जन्म, वंश, पंजीकरण और देशीयकरण। ये प्रावधान नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत सूचीबद्ध हैं। जन्म के आधार पर : भारत में 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई, 1987 से पहले जन्मा प्रत्येक व्यक्ति भारतीय नागरिक है, चाहे उसके माता-पिता की राष्ट्रीयता कुछ भी हो। 1 जुलाई, 1987 और 2 फरवरी, 2004 के बीच भारत में जन्मा प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक है, बशर्ते कि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक देश का नागरिक हो। 3 दिसंबर, 2004 को या उसके बाद भारत में जन्मा प्रत्येक व्यक्ति देश का नागरिक है, बशर्ते उसके माता-पिता दोनों भारतीय हों या जन्म के समय कम से कम एक माता या पिता भारत का नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो। पंजीकरण द्वारा: पंजीकरण द्वारा भी नागरिकता प्राप्त की जा सकती है। कुछ अनिवार्य नियम निम्नलिखित हैं: भारतीय मूल का व्यक्ति जो पंजीकरण के लिये आवेदन करने से पहले 7 वर्षों तक भारत का निवासी रहा हो। भारतीय मूल का व्यक्ति जो अविभाजित भारत के बाहर किसी देश का निवासी हो। एक व्यक्ति जिसने भारतीय नागरिक से विवाह किया है और पंजीकरण के लिये आवेदन करने से पहले 7 वर्षों तक सामान्य रूप से निवासी है। उन व्यक्तियों के अवयस्क बच्चे जो भारत के नागरिक हैं। अवजनन द्वारा नागरिकता: भारत के बाहर  26 जनवरी, 1950 को अथवा उसके पश्चात पैदा हुआ व्यक्ति अवजनन के आधार पर भारत का नागरिक होगा, यदि उसका पिता उसके जन्म के समय भारत का नागरिक है। 10 दिसंबर, 1992 को अथवा उसके पश्चात किंतु 3 दिसंबर, 2004 से पूर्व भारत के बाहर पैदा हुआ व्यक्ति अवजनन के आधार पर भारत का नागरिक होगा, यदि उसके माता/पिता में से कोई उसके जन्म के समय भारत का नागरिक है। यदि भारत के बाहर अथवा 3 दिसंबर, 2004 के पश्चात पैदा हुए किसी व्यक्ति को नागरिकता प्राप्त करनी है तो उसके माता-पिता को यह घोषणा करनी होगी कि नाबालिग के पास किसी अन्य देश का पासपोर्ट नहीं है और उसके जन्म का रजिस्ट्रीकरण उसके जन्म के एक वर्ष के भीतर भारत के किसी कौन्सलेट में कर दिया गया है। देशीयकरण द्वारा नागरिकता:  कोई व्यक्ति देशीयकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त कर सकता है यदि वह सामान्य रूप से 12 वर्षों (आवेदन की तिथि से 12 माह पूर्व और कुल 11 वर्ष सहित) के लिये भारत का निवासी है और नागरिकता अधिनियम की तीसरी अनुसूची के उपबंधों के अधीन सभी योग्यताओं की पूर्ति करता है। यह अधिनियम दोहरी नागरिकता अथवा दोहरी राष्ट्रीयता का प्रावधान नहीं करता है। यह केवल उपर्युक्त प्रावधानों के तहत सूचीबद्ध व्यक्ति के लिये नागरिकता की अनुमति देता है अर्थात्: जन्म, अवजनन, रजिस्ट्रीकरण अथवा देशीयकरण द्वारा। नागरिकता संशोधन कानून के संबंध में सरकार द्वारा जारी किये गए नियम कौन-से हैं? ऐतिहासिक संदर्भ: सरकार ने शरणार्थियों की दुर्दशा में सुधार करने के लिये पूर्व में भी कदम उठाए हैं, जिसमें वर्ष 2004 में नागरिकता नियमों में संशोधन तथा वर्ष 2014, 2015, 2016 एवं 2018 में की गई अधिसूचनाएँ भी शामिल हैं। CAA नियम 2024: नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6B CAA के अंर्तगत नागरिकता के लिये आवेदन प्रक्रिया का आधार है। भारतीय नागरिकता हेतु पात्र होने के लिये आवेदक को अपने मूल देश, धर्म, भारत में प्रवेश की तिथि एवं भारतीय भाषाओं में से किसी एक में दक्षता का प्रमाण देना होगा। मूल देश का प्रमाण: प्रमाण हेतु लचीली आवश्यकताएँ विभिन्न दस्तावेज़ों की अनुमति देती हैं, जिनमें जन्म अथवा शैक्षणिक प्रमाण-पत्र, पहचान दस्तावेज़, लाइसेंस, भूमि रिकॉर्ड अथवा उल्लिखित देशों की नागरिकता सिद्ध करने वाला कोई भी दस्तावेज़ शामिल है। भारत में प्रवेश की तिथि: आवेदक भारत में प्रवेश के प्रमाण के रूप में 20 विभिन्न प्रकार के  दस्तावेज़ प्रदान कर सकते हैं जिनमें वीज़ा, आवासीय परमिट, जनगणना पर्चियाँ, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, राशन कार्ड, सरकारी अथवा न्यायालयी पत्र, जन्म प्रमाण-पत्र इत्यादि शामिल हैं। CAA नियमों के कार्यान्वयन के लिये क्या तंत्र है? गृह मंत्रालय (MHA) ने CAA के अंर्तगत नागरिकता आवेदनों को संसाधित करने का काम केंद्र सरकार के तहत डाक विभाग एवं जनगणना अधिकारियों को सौंपा है। आसूचना ब्यूरो (IB) जैसी केंद्रीय सुरक्षा अभिकरणों द्वारा पृष्ठभूमि एवं सुरक्षा जाँच की जाएगी। आवेदनों पर अंतिम निर्णय प्रत्येक राज्य में निदेशक (जनगणना संचालन) की अध्यक्षता वाली समितियों द्वारा किया जाएगा। इन समितियों में आसूचना ब्यूरो, पोस्टमास्टर जनरल, राज्य अथवा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और राज्य सरकार के गृह विभाग एवं मंडल रेलवे प्रबंधक के प्रतिनिधि शामिल होंगे। डाक विभाग के अधीक्षक की अध्यक्षता में ज़िला-स्तरीय समितियाँ आवेदनों की जाँच करेंगी, जिसमें ज़िला कलेक्टर कार्यालय का एक प्रतिनिधि आमंत्रित सदस्य होगा। आवेदनों का प्रसंस्करण: केंद्र द्वारा स्थापित अधिकार प्राप्त समिति और ज़िला स्तरीय समिति (DLC), राज्य नियंत्रण को दरकिनार करते हुए नागरिकता आवेदनों पर कार्रवाई करेगी। DLC आवेदन प्राप्त करेगा और अंतिम निर्णय निदेशक (जनगणना संचालन) की अध्यक्षता वाली अधिकार प्राप्त समिति द्वारा किया जाएगा। CAA से संबद्ध चिंताएँ क्या हैं? बहिष्करणीय प्रकृति: आलोचकों का तर्क है कि CAA बहिष्करणीय है क्योंकि यह अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए बिना दस्तावेज़ वाले प्रवासियों के लिये भारतीय नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है, लेकिन केवल तभी जब वे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई हों। इन पड़ोसी देशों से मुसलमानों

नागरिकता संशोधन अधिनियम: अनपैक्ड Read More »

परिवर्तन | सबसे पुराना रेलवे स्टेशन | विरासत संरक्षण

चर्चा में क्यों? संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (UNESCO) का एशिया-प्रशांत सांस्कृतिक विरासत पुरस्कार भायखला/बाइकुला रेलवे स्टेशन (Byculla Railway Station) को प्रदान किया गया। मुंबई स्थित 169 वर्ष पुराना भायखला रेलवे स्टेशन भारत के सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में से एक है जो अभी भी उपयोग में है।   प्रमुख बिंदु क्या हैं? स्टेशन के बारे में: यह बॉम्बे-ठाणे रेलवे लाइन पर सबसे पहले के स्टेशनों में से एक था, जिसने वर्ष 1853 में मुंबई में रेल यात्रा की शुरुआत की थी। बदलाव का साक्षी: भायखला ने 169 वर्षों से अधिक समय तक मुंबई को विकसित होते देखा है। समय के साथ यह स्टेशन एक साधारण लकड़ी की संरचना से वर्तमान समय की भव्य इमारत में बदल गया है। पुनर्स्थापित विरासत: स्टेशन पर सावधानीपूर्वक एक पुनर्स्थापन परियोजना शुरू की गई, जिसने यूनेस्को पुरस्कार के साथ अपनी पहचान अर्जित की। यह सुनिश्चित करती है कि इसकी स्थापत्य सुंदरता और ऐतिहासिक महत्त्व भावी पीढ़ियों के लिये संरक्षित रहे। पुनर्स्थापन कार्य: एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने विरासत संरक्षण वास्तुकारों की मदद से स्टेशन के पुनर्स्थापन का कार्य शुरू किया, जिसने संरक्षण कार्य में भागीदारी की। सांस्कृतिक विरासत संरक्षण हेतु यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार क्या है? परिचय:  यूनेस्को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिये क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में निजी क्षेत्र की भागीदारी और सार्वजनिक-निजी सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहता है। वर्ष 2000 से सांस्कृतिक विरासत संरक्षण हेतु यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार क्षेत्र में विरासत मूल्य की संरचनाओं, स्थानों और संपत्तियों को सफलतापूर्वक संरक्षित या पुनर्स्थापित करने में निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक-निजी पहल की उपलब्धियों को मान्यता दे रहा है। वर्ष 2020 में यूनेस्को ने सतत् विकास के लिये विशेष मान्यता और सतत् विकास में सांस्कृतिक विरासत के योगदान को उजागर करने हेतु पुरस्कार के मानदंडों का एक अद्यतन सेट पेश किया। इसके अलावा यूनेस्को बैंकॉक पुरस्कार विजेता परियोजनाओं के उदाहरणों का उपयोग करके क्षमता निर्माण गतिविधियों का विकास कर रहा है और एक प्रशिक्षुता कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को अनुभवी विरासत चिकित्सकों से सीखने के अवसर प्रदान कर रहा है। उद्देश्य: कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों (पूर्वी एशिया, मध्य एशिया एवं प्रशांत देशों) से बढ़ती भागीदारी के साथ विरासत संरक्षण में अनुकरणीय प्रथाओं की पहचान करना और उन्हें बढ़ावा देना। विरासत संरक्षण से संबंधित अनुसंधान और पेशेवर अभ्यास के आदान-प्रदान में सुधार करना। विरासत संरक्षण में क्षमता निर्माण। सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और प्रचार में युवाओं, पेशेवरों तथा जनता की भागीदारी में सुधार करना। सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिये यूनेस्को पुरस्कारों से क्षेत्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं सहित एशियाई विरासत के ज्ञान प्रबंधन में सुधार करना। इन पुरस्कारों से लोगों में अपनी विरासत के प्रति गर्व और स्वामित्व की भावना उत्पन्न हुई। महाराष्ट्र में अन्य यूनेस्को विरासत स्थल कौन-कौन से हैं? छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CST):  छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CST) को पहले विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता था और यह मुंबई, महाराष्ट्र में एक ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन है। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त इसकी विशिष्टता का कारण इसकी उल्लेखनीय विक्टोरियन गोथिक पुनरुद्धार वास्तुकला है। अजंता की गुफाएँ: अपने उत्कृष्ट चट्टानों को काटकर बनाए गए बौद्ध गुफा स्मारकों के लिये प्रसिद्ध, अजंता की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में स्थित हैं। ये गुफाएँ दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की हैं और उल्लेखनीय प्राचीन भारतीय कला एवं वास्तुकला का प्रदर्शन करती हैं। एलोरा की गुफाएँ: महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास स्थित एलोरा की गुफाओं में बौद्ध, हिंदू एवं जैन गुफा मंदिरों और मठों का एक परिसर शामिल है। ठोस चट्टान को काटकर बनाई गई ये गुफाएँ 6वीं से 10वीं शताब्दी ईस्वी की अवधि में विस्तृत  असाधारण शिल्प कौशल और धार्मिक विविधता को प्रदर्शित करती हैं। एलीफेंटा गुफाएँ: मुंबई हार्बर में एलिफेंटा द्वीप (घारपुरी) पर स्थित एलिफेंटा गुफाओं में हिंदू भगवान शिव को समर्पित गुफा मंदिर शामिल हैं। ये जटिल नक्काशीदार गुफाएँ 5वीं से 8वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की हैं और अपने धार्मिक महत्त्व तथा कलात्मक उत्कृष्टता के लिये जानी जाती हैं।   सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिये क्या उपाय किये गए हैं? अंतर्राष्ट्रीय पहल: यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची: ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये कड़े उपायों की आवश्यकता है। वर्तमान में भारत में 42 स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित हैं। सांस्कृतिक धरोहर/संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को रोकने एवं प्रतिबंधित करने के साधनों पर कन्वेंशन, 1977। अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिये कन्वेंशन, 2005 सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की विविधता के संरक्षण और संवर्द्धन पर कन्वेंशन, 2006 संयुक्त राष्ट्र विश्व धरोहर समिति भारतीय पहल: प्रसाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन अभियान) योजना चारधाम सड़क परियोजना स्वदेश दर्शन योजना हृदय (विरासत शहर विकास और संवर्द्धन योजना) योजना एक भारत श्रेष्ठ भारत काशी तमिल संगमम धरोहर स्थलों और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित संवैधानिक प्रावधान क्या हैं? मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 के तहत भारत के क्षेत्र या किसी हिस्से में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण का अधिकार है। मौलिक कर्त्तव्य: देश की समग्र संस्कृति की समृद्ध धरोहर को महत्त्व देना और संरक्षित करना (अनुच्छेद 51A के तहत) भारत के प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्त्तव्य है। राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP): भारतीय संविधान के अनुच्छेद 49 के तहत राज्य कलात्मक या ऐतिहासिक रुचि के प्रत्येक स्मारक या स्थल की लूट, विरूपण, विनाश, हटाना/अवनयन, विक्रय या निर्यात से रक्षा करेगा। प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958: यह भारत की संसद का एक अधिनियम है जो पुरातात्त्विक उत्खनन के विनियमन और मूर्तियों, नक्काशी व अन्य इसी प्रकार की वस्तुओं की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों तथा पुरातात्त्विक स्थलों एवं अवशेषों के संरक्षण का प्रावधान करता है। भारत में धरोहर प्रबंधन से संबंधित मुद्दे क्या हैं? स्थलों के उत्खनन और अन्वेषण हेतु पुराना/अप्रचलित तंत्र: देश में पुरातन तंत्रों की ही व्यापकता है जहाँ अन्वेषण की पाक्रिया में भौगोलिक सूचना प्रणाली और रिमोट सेंसिंग का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है। इसके अलावा शहरी धरोहर परियोजनाओं में शामिल स्थानीय निकाय प्रायः विरासत संरक्षण के प्रबंधन के लिये पर्याप्त रूप से साधन-संपन्न नहीं होते हैं। पर्यावरणीय क्षरण और प्राकृतिक आपदाएँ: भारत में विरासत स्थल

परिवर्तन | सबसे पुराना रेलवे स्टेशन | विरासत संरक्षण Read More »

कैबिनेट दिस वीक: भारत का सेमीकंडक्टर मिशन

चर्चा में क्यों? हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर्स एवं डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की विकास प्रक्रिया के तहत तीन सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना को मंज़ूरी दी। अगले 100 दिनों के भीतर तीनों इकाइयों का निर्माण शुरू हो जाएगा।   प्रमुख बिंदु क्या हैं?  परिचय:  भारत में सेमीकंडक्टर्स एवं डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिये कार्यक्रम को कुल 76,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ अधिसूचित किया गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के लिये माइक्रोन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी थी। इस इकाई का निर्माण तीव्र गति से किया जा रहा है और साथ ही इनका एक मज़बूत अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र उभर रहा है। स्वीकृत तीन सेमीकंडक्टर इकाइयाँ: 50,000 wfsm (वेफर प्रति माह शुरू) क्षमता वाली सेमीकंडक्टर फैब: टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (PSMC), के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करेगी। निवेश: इस फैब का निर्माण गुजरात के धोलेरा में किया जाएगा। इस फैब में कुल 91,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा। प्रौद्योगिकी भागीदार: PSMC लॉजिक एवं मेमोरी फाउंड्री सेगमेंट में अपनी विशेषज्ञता के लिये प्रसिद्ध है। आच्छादित खंड: 28 nm प्रौद्योगिकी के साथ उच्च प्रदर्शन कंप्यूट चिप्स। इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिये पावर मेनेजमेंट चिप्स के साथ उच्च वोल्टेज में अनुप्रयोगी हैं। असम में सेमीकंडक्टर ATMP (मॉडिफाई असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग एवं पैकेजिंग) इकाई: टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (“TSAT”) असम के मोरीगाँव में एक सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करेगी। निवेश: इस इकाई की स्थापना 27,000 करोड़ रुपए के निवेश से की जाएगी। प्रौद्योगिकी: TSAT सेमीकंडक्टर फ्लिप चिप एवं ISIP (इंटीग्रेटेड सिस्टम इन पैकेज) प्रौद्योगिकियों सहित स्वदेशी उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहा है। क्षमता: 48 मिलियन प्रतिदिन आच्छादित खंड: ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, मोबाइल फोन, आदि। विशेष चिप्स के लिये सेमीकंडक्टर ATMP इकाई: CG पावर, रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, जापान तथा स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, थाईलैंड के साथ साझेदारी में गुजरात के साणंद में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करेगा। निवेश: यह इकाई 7,600 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित की जाएगी। प्रौद्योगिकी भागीदार: रेनेसा एक अग्रणी सेमीकंडक्टर कंपनी है जो विशेष चिप्स का निर्माण करती है। यह 12 सेमीकंडक्टर सुविधा संचालन के साथ माइक्रोकंट्रोलर, एनालॉग, पावर एवं सिस्टम ऑन चिप (‘SoC)’ उत्पादों में एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्ता है। आच्छादित खंड: CG पावर सेमीकंडक्टर यूनिट उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव के साथ बिजली अनुप्रयोगों के लिये चिप्स का निर्माण करेगी। क्षमता: 15 मिलियन प्रतिदिन। सेमीकंडक्टर इकाइयों का सामरिक महत्त्व क्या है? सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम की स्थापना: भारत सेमीकंडक्टर मिशन ने न्यूनतम समय सीमा के भीतर एक मज़बूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। ये उपलब्धियाँ विश्व सेमीकंडक्टर बाज़ार में एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत के विकास हेतु एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं। चिप निर्माण क्षमता का विकास: भारत चिप डिज़ाइन में गहन विशेषज्ञता का दावा करता है, और साथ ही इन सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना एवं चिप निर्माण में ज़बरदस्त क्षमताओं को विकसित करने के लिये भी तैयार है। यह मील का पत्थर न केवल भारत की तकनीकी शक्ति को बढ़ाता है बल्कि इसे सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिये एक अग्रणी गंतव्य के रूप में भी स्थापित करता है। उन्नत पैकेजिंग तकनीकों का स्वदेशी विकास:  यह अनुमोदन भारत में उन्नत पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास की शुरुआत करता है। यह उपलब्धि सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचार एवं आत्मनिर्भरता के प्रति देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। उन्नत पैकेजिंग में घरेलू विशेषज्ञता को बढ़ावा देकर भारत के सेमीकंडक्टर परिदृश्य में अपनी स्थिति मज़बूत करता है। सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा देना:  भारत सेमीकंडक्टर मिशन की सफलताओं ने भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के जैविक विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। ये मील के पत्थर एक आदर्श बदलाव का संकेत देते हैं, जो देश को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अधिक आत्मनिर्भरता, तकनीकी नवाचार एवं आर्थिक समृद्धि की ओर प्रेरित करते हैं। रोज़गार सृजन की संभावना: ये इकाइयाँ 20 हज़ार उन्नत प्रौद्योगिकी नौकरियों के प्रत्यक्ष रोज़गार के साथ लगभग 60 हज़ार अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित करेंगी। ये इकाइयाँ डाउनस्ट्रीम ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, दूरसंचार विनिर्माण, औद्योगिक विनिर्माण एवं अन्य सेमीकंडक्टर उपभोक्ता उद्योगों में रोज़गार सृजन में तीव्रता लाएँगी। भारत का सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) क्या है? परिचय: ISM को वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तत्वावधान में कुल 76,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था। यह देश में संवहनीय सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले पारितंत्र के विकास के लिये एक व्यापक कार्यक्रम का अंग है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर/अर्द्धचालक, डिस्प्ले विनिर्माण और डिज़ाइन पारितंत्र में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। परिकल्पना की गई है कि ISM सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उद्योग के वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में योजनाओं के कुशल, सुसंगत एवं सुचारू कार्यान्वयन के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा। घटक: भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स स्थापित करने की योजना: यह सेमीकंडक्टर फैब (विनिर्माण संयंत्र) की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जिसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर वेफर (पटलिका) फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना हेतु निवेश आकर्षित करना है। भारत में डिस्प्ले फैब्स स्थापित करने की योजना: यह डिस्प्ले फैब की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है जिसका उद्देश्य देश में TFT LCD/AMOLED आधारित डिस्प्ले फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना के लिये निवेश आकर्षित करना है। भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब और सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग एवं पैकेजिंग (ATMP)/OSAT सुविधाओं की स्थापना के लिये योजना: यह योजना भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स (SiPh)/सेंसर (MEMS सहित) फैब और सेमीकंडक्टर ATMP/OSAT (आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट) सुविधाओं की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को पूंजीगत व्यय के 30% की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना: यह इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs), चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स (SoCs), सिस्टम एंड IP कोर (Systems & IP Cores) के लिये सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और अन्य सेमीकंडक्टर-लिंक्ड डिज़ाइन के विकास एवं नियोजन के विभिन्न चरणों में वित्तीय प्रोत्साहन व डिज़ाइन अवसंरचना समर्थन प्रदान करता है। सेमीकंडक्टर्स के विकास से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं? अवसंरचना का विकास: सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिये महत्त्वपूर्ण अवसंरचना की

कैबिनेट दिस वीक: भारत का सेमीकंडक्टर मिशन Read More »

पर्सपेक्टिव: भारत हेतु उभरती और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियाँ

संदर्भ क्या है? भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक विस्तारित करना है, जिसके लिये स्मार्ट और उन्नत प्रौद्योगिकी पर रणनीतिक ज़ोर देना आवश्यक है। बजट 2024-2025 में सरकार ने गहन रक्षा प्रौद्योगिकी सहित अनुसंधान एवं विकास के दीर्घकालिक वित्तपोषण के लिये 1 लाख करोड़ रुपए की घोषणा की है। सरकार ने क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता AI), अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन और बायोइकोनॉमी जैसी उभरती तथा महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।   भारत में विभिन्न महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियाँ क्या हैं? क्वांटम प्रौद्योगिकी: क्वांटम प्रौद्योगिकी, क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित है जिसे 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में परमाणुओं और प्राथमिक कणों के पैमाने पर प्रकृति का वर्णन करने के लिये विकसित किया गया था। पारंपरिक कंप्यूटिंग सूचनाओं को ‘बिट्स’ या ‘1’ और ‘0’ में प्रोसेस किया जाता है, यह प्रणाली पारंपरिक भौतिकी (Classical Physics) का अनुसरण करती है जिसके तहत हमारे कंप्यूटर एक समय में ‘1’ या ‘0’ को प्रोसेस कर सकते हैं। क्वांटम कंप्यूटिंग ‘क्यूबिट्स’ (या क्वांटम बिट्स) में गणना करता है। वे क्वांटम यांत्रिकी के गुणों का दोहन करते हैं, वह विज्ञान जो यह नियंत्रित करता है कि परमाणु पैमाने पर पदार्थ कैसे व्यवहार करता है। इसके तहत प्रोसेसर में 1 और 0 दोनों अवस्थाएँ एक साथ हो सकती हैं, जिसे क्वांटम सुपरपोज़िशन की अवस्था कहा जाता है। क्वांटम सुपरपोज़िशन में यदि एक क्वांटम कंप्यूटर योजनाबद्ध रूप से काम करता है तो यह एक साथ समानांतर रूप से कार्य कर रहे कई पारंपरिक कंप्यूटरों की नकल कर सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): AI किसी कंप्यूटर या कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट की उन कार्यों को करने की क्षमता है जो आमतौर पर मनुष्यों द्वारा किये जाते हैं क्योंकि उनके लिये मानव बुद्धिमत्ता और विवेक की आवश्यकता होती है। हालाँकि ऐसा कोई AI विकसित नहीं हुआ है जो एक सामान्य मानव द्वारा किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के कार्य कर सके, कुछ AI विशिष्ट कार्यों में मनुष्यों की बराबरी कर सकते हैं। AI की आदर्श विशेषता इसकी तर्कसंगतता और कार्रवाई करने की क्षमता है जिससे किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने का सबसे अच्छा अवसर मिलता है। AI का एक उपसमूह मशीन लर्निंग (ML) है। डीप लर्निंग (DL) तकनीक टेक्स्ट, इमेजेज़ या वीडियो जैसे बड़ी मात्रा में असंरचित डेटा के अवशोषण के माध्यम से इस स्वचालित अधिगम को सक्षम बनाती है। अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर: सेमीकंडक्टर ऐसी सामग्री होती है जिसमें कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच चालकता होती है तथा इसमें सिलिकॉन या जर्मेनियम या गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड के यौगिकों का प्रयोग होता है।  सेमीकंडक्टर बाज़ार में भारत की स्थिति: वर्ष 2022 में भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जिसमें 90% से अधिक का आयात किया गया था। इस कारण भारतीय चिप उपभोक्ता बाहरी आयात पर निर्भर थे। भारत को सेमीकंडक्टर निर्यात करने वाले देशों में चीन, ताइवान, अमेरिका, जापान आदि शामिल हैं। वर्ष 2026 तक भारत का सेमीकंडक्टर बाज़ार 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। एक अनुमान के अनुसार, सेमीकंडक्टर की खपत के वर्ष 2026 तक 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2030 तक 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सीमा को पार करने की उम्मीद है। स्वच्छ ऊर्जा: स्वच्छ ऊर्जा वह ऊर्जा है जो नवीकरणीय, शून्य उत्सर्जन स्रोतों से आती है जिसके उपयोग से वातावरण प्रदूषित नहीं होती है, साथ ही ऊर्जा दक्षता उपायों द्वारा बचाई गई ऊर्जा है। स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के कुछ उदाहरण सौर, पवन, जल और भूतापीय ऊर्जा हैं। स्वच्छ ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकती है। ग्रीन हाइड्रोजन: ग्रीन हाइड्रोजन एक प्रकार का हाइड्रोजन है जो सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पन्न होता है। विद्युत-अपघटन की प्रक्रिया जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करती है तथा इस तरह उत्पादित हाइड्रोजन का उपयोग स्वच्छ एवं नवीकरणीय ईंधन के रूप में किया जा सकता है। उपयोग: रासायनिक उद्योग में: अमोनिया और उर्वरकों का निर्माण। पेट्रोकेमिकल उद्योग में: पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन। इसके अलावा, इसका उपयोग अब इस्पात उद्योग में भी किया जाने लगा है। जैव अर्थव्यवस्था: संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, जैव अर्थव्यवस्था को जैविक संसाधनों के उत्पादन, उपयोग तथा संरक्षण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें संबंधित ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, सूचना, उत्पाद, प्रक्रियाएँ प्रदान करना शामिल है ताकि स्थायी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सभी आर्थिक क्षेत्रों को जानकारी, उत्पाद, प्रक्रियाओं व सेवाएँ प्रदान की जा सकें। अनुसंधान एवं विकास के लिये धन का वितरण क्या है? उभरती और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी में ग्लोबल लीडर्स आमतौर पर अनुसंधान एवं विज्ञान विकास के लिये अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2 से 3% आवंटित करते हैं। कोरिया जैसे देशों में अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र का निवेश कुल निवेश के 80% तक पहुँच सकता है। भारत में यह आँकड़ा सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7% है और कुल निवेश का केवल 30 से 40% तक सीमित है। यह पहचानना महत्त्वपूर्ण है कि अनुसंधान एवं विकास के लिये वित्त पोषण केवल सरकारी पहल पर निर्भर नहीं रह सकता है, निजी क्षेत्र को भी अपनी अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को बढ़ाकर आवश्यक भूमिका निभानी होगी। सरकार द्वारा की गई एक उल्लेखनीय पहल राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना है। उभरती और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों हेतु विभिन्न सरकारी पहल क्या हैं? iDEX:  iDEX, भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिये तकनीकी रूप से उन्नत समाधान प्रदान करने हेतु नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को शामिल कर रक्षा तथा एयरोस्पेस में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित करने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र है, इसे वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया। iDEX मॉडल नवीन प्रौद्योगिकी विकास में बहुत सफल रहा है और iDEX मॉडल का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य उन स्टार्टअप्स को आवश्यक सहायता प्रदान करना था जो डीप टेक क्षेत्र तथा महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों में काम कर रहे हैं। यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), स्टार्ट-अप्स, निजी नवोन्मेषकों, R&D (अनुसंधान एवं विकास) संस्थानों तथा शिक्षाविदों को अनुसंधान एवं विकास के लिये धन/अनुदान प्रदान करता है।

पर्सपेक्टिव: भारत हेतु उभरती और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियाँ Read More »

पर्सपेक्टिव: भारत का हरित ऊर्जा परिवर्तन

चर्चा में क्यों?  हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट पेश किया। यह भारत के निम्न कार्बन जलवायु लचीली अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को गति देगा। भारत का लक्ष्य पेरिस मझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के अनुरूप अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों और कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को पूरा करना है। भारत के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के माध्यम से घरों पर सौर पैनल स्थापित करने की योजना की घोषणा की।   निम्न कार्बन जलवायु लचीली अर्थव्यवस्था क्या है? निम्न कार्बन जलवायु लचीली अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसका लक्ष्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, ग्लोबल वार्मिंग और कोयला, तेल एवं गैस की खपत को सीमित करना है। इसे हरित, वृत्ताकार या सतत् अर्थव्यवस्था के रूप में भी जाना जाता है। निम्न कार्बन जलवायु लचीली अर्थव्यवस्था की कुछ विशेषताएँ हैं: यह जीवाश्म ईंधन के बजाय सौर, पवन, पनबिजली और जैव ईंधन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करती है, जैसे यह ऊर्जा खपत तथा अपशिष्ट को कम करने के लिये ऊर्जा दक्षता, संरक्षण एवं मांग प्रबंधन को बढ़ावा देती है। यह कार्बन सिंक को बढ़ाने और वनों की कटाई तथा कमी से उत्सर्जन को कम करने के लिये निम्न कार्बन एवं जलवायु-स्मार्ट कृषि, वानिकी व भूमि उपयोग का समर्थन करती है। यह निम्न कार्बन और जलवायु-लचीली गतिविधियों तथा उत्पादों के लिये संसाधन एवं प्रोत्साहन जुटाने हेतु हरित वित्त, निवेश व व्यापार को प्रोत्साहित करती है। यह सुनिश्चित करने के लिये कि संक्रमण के लाभ व लागत को उचित रूप से साझा कर, जिससे सबसे कमज़ोर समूहों को संरक्षित एवं सशक्त बनाया जाता है, सामाजिक व पर्यावरणीय न्याय, समानता और समावेशन को बढ़ावा देती है। पेरिस समझौता क्या है? परिचय: जलवायु परिवर्तन और इसके नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिये पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP21) में विश्व नेता 12 दिसंबर, 2015 को एक ऐतिहासिक समझौते के लिये पेरिस पहुँचे। यह समझौता कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जोकि 4 नवंबर, 2016 को लागू हुआ। 195 पार्टियाँ (194 राज्य और यूरोपीय संघ) पेरिस समझौते में शामिल हो गई हैं। यह शुद्ध-शून्य उत्सर्जन वाली विश्व की ओर बदलाव की शुरुआत का प्रतीक है। सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये समझौते का कार्यान्वयन भी आवश्यक है। लक्ष्य: वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये वैश्विक GHG उत्सर्जन को पर्याप्त रूप से कम करना और इसे पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयास करना, यह मानते हुए कि इससे जलवायु परिवर्तन के जोखिमों तथा प्रभावों में काफी कमी आएगी। समय-समय पर इस समझौते के उद्देश्य और इसके दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सामूहिक प्रगति का आकलन करना। जलवायु परिवर्तन को कम करने, लचीलेपन को मज़बूत करने और जलवायु प्रभावों के अनुकूल क्षमताओं को बढ़ाने के लिये विकासशील देशों को वित्तपोषण प्रदान करना। कार्य:  पेरिस समझौता देशों द्वारा की जाने वाली बढ़ती महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई के पाँच वर्ष के चक्र पर काम करता है। प्रत्येक पाँच वर्ष में प्रत्येक देश से एक अद्यतन राष्ट्रीय जलवायु कार्य योजना प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के रूप में जाना जाता है। भारत का राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान क्या है? UNFCCC और उसके पेरिस समझौते के एक पक्ष के रूप में, भारत ने वर्ष 2015 में अपना पहला राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत किया, जिसमें निम्नलिखित दो मात्रात्मक लक्ष्य शामिल थे: वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35% तक कम करना। वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40% संचयी विद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करना। अगस्त 2022 में भारत ने अपने NDC को अद्यतन किया जिसके अनुसार इसका लक्ष्य: उत्सर्जन को कम करने के लिये अपने सकल घरेलू उत्पाद की तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक 45% तक बढ़ाना है। गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से संचयी विद्युत स्थापित क्षमता का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 50% तक बढ़ाना है। भारत ने पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है। प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना क्या है? परिचय:  भारतीय प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ शुरू की, जो एक नवाचार युक्त सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य देशभर के एक करोड़ घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली या रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित करना है। रूफटॉप सोलर एक फोटोवोल्टिक प्रणाली है जिसमें विद्युत उत्पादन करने वाले सौर पैनल आवासीय या व्यावसायिक भवन या संरचना की छत पर लगे होते हैं। लाभ: यह ग्रिड से जुड़ी विद्युत की खपत को कम करता है और उपभोक्ता के लिये विद्युत लागत को बचाता है। रूफटॉप सोलर प्लांट से उत्पन्न अधिशेष सौर ऊर्जा इकाइयों को मीटरिंग प्रावधानों के अनुसार ग्रिड में निर्यात किया जा सकता है। उपभोक्ता प्रचलित नियमों के अनुसार अधिशेष निर्यातित विद्युत के लिये मौद्रिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। रूफटॉप सोलर प्रोग्राम: सरकार ने वर्ष 2014 में रूफटॉप सोलर प्रोग्राम लॉन्च किया, जिसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक 40,000 मेगावाट (MW) या 40 गीगावाट (GW) की संचयी संस्थापित क्षमता हासिल करना था। हालाँकि यह लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका। जिस केपरिणामस्वरूप, सरकार ने इसकी समय-सीमा वर्ष 2022 से बढ़ाकर वर्ष 2026 तक कर दी है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना 40 गीगावॉट रूफटॉप सोलर क्षमता के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने का एक बड़ा प्रयास है। भारत में वर्तमान सौर क्षमता क्या है? कुल स्थापित क्षमता: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2023 तक भारत में छतों पर स्थापित सोलर प्रणाली की क्षमता लगभग 73.31 गीगावॉट तक पहुँच गई है। कुल सौर क्षमता के मामले में राजस्थान 18.7 गीगावॉट उत्पादन के साथ शीर्ष पर है। गुजरात 10.5 गीगावॉट के साथ दूसरे स्थान पर है। छत पर सौर क्षमता: दिसंबर 2023 तक कुल छत पर सौर स्थापित क्षमता लगभग 11.08 गीगावॉट है। छत पर स्थापित सोलर प्रणाली क्षमता के संदर्भ में गुजरात 2.8 गीगावॉट के साथ सूची में सबसे ऊपर है इसके बाद महाराष्ट्र 1.7 गीगावॉट के साथ दूसरे स्थान पर है। ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार

पर्सपेक्टिव: भारत का हरित ऊर्जा परिवर्तन Read More »

Translate »
Scroll to Top