भूमिका प्रवर्तन निदेशालय एक बहु अनुशासनात्मक संगठन है जो वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग का हिस्सा है। यह दो विशेष राजकोषीय कानूनों – विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) और धन की रोकथाम अधिनियम, 2002 (पी.एम.एल.ए.) के प्रावधानों को लागू करने का कार्य करता है। सीधी भर्ती द्वारा कर्मियों की नियुक्ति के अलावा निदेशालय प्रतिनियुक्ति पर विभिन्न जाँच एजेंसियों, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आयकर, पुलिस आदि विभागों से भी अधिकारियों को नियुक्त करता है। संगठनात्मक इतिहास इस निदेशालय की उत्पत्ति 1 मई, 1956 को हुई, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा ’47) के तहत विनिमय नियंत्रण कानून के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ का गठन किया गया। इस इकाई का नेतृत्व एक कानूनी सेवा अधिकारी द्वारा किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय अधिकारी के रूप में आर.बी.आई. से प्रतिनियुक्ति पर आए एक अधिकारी के अलावा विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के 03 निरीक्षक (दिल्ली मुख्यालय) शामिल किये गए। वस्तुतः वर्तमान में इसमें भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी शामिल किये गए हैं। प्रारंभ में बंबई और कलकत्ता में 02 शाखाएँ खोली गई। वर्ष 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ कर दिया गया और मद्रास में एक और शाखा खोली गई। निदेशालय के प्रशासनिक नियंत्रण को वर्ष 1960 में आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया। समय बीतने के साथ, FERA’1947 कानून को FERA’1973 कानून द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। 04 साल की अवधि (1973-1977) के लिये निदेशालय कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में रहा। पुनः आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत के साथ, FERA’1973 (जो एक नियामक कानून था) निरस्त कर दिया गया और इसके स्थान पर 1 जून, 2000 से एक नया कानून-विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) लागू किया गया। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय एंटी मनी लॉन्ड्रिंग व्यवस्था (International Anti Money Laundering Arrangement) के साथ तालमेल बनाते हुए PREVENTION OF MONEY LAUNDERING ACT 2002 (PMLA) को अधिनियमित (2005/07/01 से प्रभावी) कर प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा गया। अधिकार एवं शक्तियाँ एक बहुआयामी संगठन की भूमिका में निदेशालय दो कानूनों को लागू करता है, जो निम्नलिखित हैं: 1. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FOREIGN EXCHANGE MANAGEMENT ACT-FEMA)– यह एक नागरिक कानून है, जो निदेशालय को अर्ध न्यायिक शक्तियाँ देता है। यह निदेशालय को विनिमय नियंत्रण कानून के संदिग्ध उल्लंघनों की जाँच करने के साथ दोषी पर जुर्माना लगाने की भी शक्ति देता है। 2. धन शोधन निवारण अधिनियम (PREVENTION OF MONEY LAUNDERING ACT-PMLA)– यह एक आपराधिक कानून है, जो निदेशालय के अधिकारियों को अनंतिम रूप से जाँच पड़ताल करने, पूछताछ करने और जुर्माना लगाने का अधिकार देता है। यह कानून अधिकारियों को कालाधन के कारोबार में लिप्त व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने के अलावा अपराधिक कृत्यों से प्राप्त संपत्ति को संलग्न/जब्त करने का अधिकार भी देता है। संगठनात्मक ढाँचा प्रवर्तन निदेशक नई दिल्ली में अपने मुख्यालय के साथ प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख होते हैं। प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशकों के नेतृत्व में मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में पाँच क्षेत्रीय कार्यालय (Regional office) हैं। निदेशालय के आंचलिक कार्यालय (Zonal Office) अहमदाबाद, बैंगलोर, चंडीगढ़, चेन्नई, कोच्चि, दिल्ली, पणजी, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जालंधर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना और श्रीनगर में हैं। इनकी अध्यक्षता एक संयुक्त निदेशक करता है। निदेशालय के भुवनेश्वर, कोझीकोड, इंदौर, मदुरै, नागपुर, इलाहाबाद, रायपुर, देहरादून, रांची, सूरत, शिमला, विशाखापत्तनम और जम्मू में उप-जोनल कार्यालय हैं, जिनकी अध्यक्षता एक उप-निदेशक करते हैं। निदेशालय के कार्य निदेशालय के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं: विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों के उल्लंघन की जाँच करना, जो 1.6.2000 से प्रभाव में आया। • निदेशालय नामित अधिकारियों द्वारा फेमा के उल्लंघन के दोषियों की जाँच की जाती है और इसमें शामिल राशि का तीन गुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है। मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002 (PMLA) के प्रावधानों के तहत (जो 1.7.2005 से प्रभावी हुआ) धन शोधन के अपराधों की जाँच करना, संपत्ति की कुर्की और जब्ती की कार्रवाई करना और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाना (28 कानूनों के तहत 156 अपराध हैं, जो पी.एम.एल.ए. के तहत अनुसूचित अपराध हैं।) निरस्त विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (FERA) का (31.5.2002 तक के) उल्लंघन होने पर जारी किये गए शो कॉज नोटिस (कारण बताओ नोटिस) का न्याय निर्णयन करना, जिसके परिणामस्वरूप जुर्माना लगाया जा सकता है। भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भारत से भागे लोगों के मामले देखना। • इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों को दंडित करना है जो भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर कानून की प्रक्रिया से बचने के उपाय खोजते हैं। FEMA के उल्लंघन के संबंध में विदेशी मुद्रा और संरक्षण गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 (COFEPOSA) के तहत निवारक निरोध के प्रायोजक मामले देखना। पी.एम.एल.ए. के प्रावधानों के तहत मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) और परिसंपत्तियों की बहाली से संबंधित मामलों में अन्य देशों को सहयोग प्रदान करना और ऐसे मामलों में सहयोग लेना। निदेशालय द्वारा प्रयुक्त अधिनियम, नियम और कानून प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुछ नियम,कानून और अधिनियमों का प्रयोग किया जाता है, जिनका उल्लंघन होने पर यह निदेशालय सक्रिय हो जाता है – भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) नियम धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) धन शोधन निरोधक अधिनियम (पी.एम.एल.ए.) नियम पी.एम.एल.ए. के तहत सूचीबद्ध अपराध विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा) विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (संशोधित फेरा) विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (FERA) विशेष अदालतें पी.एम.एल.ए. की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध की सुनवाई के लिये, केंद्र सरकार (उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से), एक या अधिक सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में नामित करती है। न्यायालय को “पी.एम.एल.ए. कोर्ट” भी कहा जाता है। पी.एम.एल.ए. न्यायालय द्वारा पारित किसी भी आदेश के खिलाफ कोई भी अपील सीधे उस क्षेत्राधिकार के लिये उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है। निदेशालय से संबद्ध कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अपने दायित्वों के निर्वहन में कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का भी सहयोग लिया जाता है और समय-समय पर उन्हें सहयोग भी दिया जाता है तथा यह निदेशालय निम्नलिखित संस्थानों से निरंतर संपर्क में