स्नातकोत्तर कार्यक्रमों हेतु पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क जारी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) ने “स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिये पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क” जारी किया। इस ढाँचे का उद्देश्य निम्नलिखित के लिये लचीलापन प्रदान करना है: स्नातक कार्यक्रमों (UG) में पढ़ाए गए विषयों से भिन्न विषयों का अध्ययन करना विभिन्न शिक्षण विधियों से PG शिक्षा प्राप्त करना एक साथ शैक्षणिक या औद्योगिक कार्य करना और उसके लिये क्रेडिट प्राप्त करना एक वर्ष के बाद PG डिप्लोमा के साथ PG कार्यक्रम से बाहर निकलना। फ्रेमवर्क की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं: PG कार्यक्रम के लिये क्रेडिट आवश्यकता और पात्रता: इसमें स्नातक स्तर के छात्रों के लिये विभिन्न प्रकार के PG कार्यक्रमों हेतु पात्रता मानदंड निर्धारित किये गए हैं। उदाहरण के लिये एक वर्षीय MA, MCom या MSc डिग्री हेतु पात्र होने के लिये, उम्मीदवार के पास न्यूनतम 160 क्रेडिट के साथ ऑनर्स के साथ स्नातक की डिग्री होनी चाहिये। हालाँकि दो वर्षीय MA, MCom या MSc डिग्री हेतु पात्र होने के लिये उन्हें 120 क्रेडिट के साथ तीन वर्षीय/छह सेमेस्टर की स्नातक डिग्री की आवश्यकता होती है। ऋण वितरण: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, इस रूपरेखा के अनुसार PG कार्यक्रमों की अवधि एक या दो वर्ष होनी चाहिये। एक वर्षीय PG कार्यक्रम में 40 क्रेडिट होंगे। इसे कोर्स वर्क, रिसर्च (प्रत्येक 20 क्रेडिट) या दोनों करके प्राप्त किया जा सकता है। दो वर्षीय PG डिप्लोमा में 40 क्रेडिट होते हैं, जिन्हें केवल पाठ्यक्रम के माध्यम से ही प्राप्त किया जाना चाहिये। अन्य दो वर्षीय PG कार्यक्रमों में भी 40 क्रेडिट होते हैं। इन्हें कोर्सवर्क, शोध या दोनों (प्रत्येक में 20 क्रेडिट) के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। PG में विषय बदलने में लचीलापन: यह रूपरेखा स्नातक छात्रों को निम्नलिखित की अनुमति देती है: यदि वे प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं, तो स्नातकोत्तर में एक अलग विषय का अध्ययन कर सकते हैं। किसी ऐसे PG कार्यक्रम के लिये आवेदन करना जो स्नातक अध्ययन में प्रमुख या गौण विषय रहा हो। इस फ्रेमवर्क के अंतर्गत, कुछ छात्र मास्टर इन इंजीनियरिंग या मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रवेश के लिये पात्र होंगे। आकलन: यह रूपरेखा सुझाव देती है कि मूल्यांकन योगात्मक (इसमें इकाई परीक्षण और सेमेस्टर-वार परीक्षाएँ शामिल हैं) के विपरीत सतत् होना चाहिये। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि मूल्यांकन सीखने के परिणामों पर आधारित होना चाहिये। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता रूपरेखा (National Higher Education Qualification Framework- NHEQF) UG और PG कार्यक्रमों के लिये सीखने के परिणामों को रेखांकित करती है। परीक्षा प्रक्रिया में सुधार का सुझाव देने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग ने परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारु और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्षता IIT कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष और इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन करेंगे। समिति निम्नलिखित पर सिफारिशें करेगी: परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी की संरचना और कार्यप्रणाली।
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