चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 10 राज्यों में 6 प्रमुख औद्योगिक गलियारों में 12 औद्योगिक स्मार्ट शहरों की स्थापना को मंज़ूरी दी।
- औद्योगिक परियोजनाओं के लिये चुने गए शहर उत्तराखंड, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में हैं।
औद्योगिक स्मार्ट सिटी क्या है?
- परिचय:
- औद्योगिक स्मार्ट सिटी एक शहरी क्षेत्र है, जो औद्योगिक परिचालन की दक्षता बढ़ाने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिये उन्नत प्रौद्योगिकियों तथा डेटा विश्लेषण को एकीकृत करता है।
- इन स्मार्ट औद्योगिक शहरों का उद्देश्य विदेशी निवेश आकर्षित करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और रोज़गार को बढ़ावा देना है।
- उद्देश्य:
- भारत में नए औद्योगिक शहरों के विकास का उद्देश्य निवेशकों को आवंटन हेतु तैयार भूमि उपलब्ध कराकर वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में देश की स्थिति को सुदृढ़ करना है।
- इसका उद्देश्य ‘प्लग-एंड-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ जैसी उन्नत शहरी अवधारणाओं को एकीकृत करना है।
- प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्क उपयोग के लिये तैयार बुनियादी ढाँचा प्रदान करते हैं, जिससे व्यवसायों को तुरंत परिचालन शुरू करने में सहायता मिलती है।
- “वॉक-टू-वर्क” एक शहरी नियोजन रणनीति है, जो लोगों को अपने कार्यस्थलों के पास रहने के लिये प्रोत्साहित करती है, कार के उपयोग को कम कर, पैदल चलने को बढ़ावा देती है।
- विकास का रोडमैप:
- इन शहरों का विकास राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (National Industrial Corridor Development Programme- NICDP) के तहत किया जाएगा।
- NICDP का लक्ष्य उन्नत औद्योगिक शहरों का विकास करना है, जो विश्व के शीर्ष विनिर्माण और निवेश स्थलों के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर सकें।
- इसे बड़े प्रमुख उद्योगों तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small, and Medium Enterprises- MSME) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके, एक जीवंत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
- पहला औद्योगिक गलियारा दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, 2007 में स्वीकृत किया गया था।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास एवं कार्यान्वयन ट्रस्ट (National Industrial Corridor Development and Implementation Trust- NICDIT) और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम लिमिटेड (National Industrial Corridor Development Corporation Limited- NICDC) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
- ये औद्योगिक ग्रंथियाँ (nodes) आवासीय और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को एकीकृत करेंगे तथा आत्मनिर्भर शहरी वातावरण के रूप में कार्य करेंगे।
- सरकार इन परियोजनाओं के विपणन के लिये इन्वेस्ट इंडिया (भारत की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन एवं सुविधा एजेंसी) के साथ साझेदारी करने की योजना बना रही है।
- पार्कों के क्रियान्वयन के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle- SPV) भी स्थापित किया जाएगा, जिसकी पूर्णता अवधि 3 वर्ष होगी, जो राज्य के सहयोग पर निर्भर करेगा।
- इन शहरों का विकास राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (National Industrial Corridor Development Programme- NICDP) के तहत किया जाएगा।
स्वीकृत औद्योगिक स्मार्ट शहरों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- राष्ट्रीय आर्थिक लक्ष्यों और PM गति-शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप:
- इन स्मार्ट शहरों का विकास सरकार के वर्ष 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य के अनुरूप है।
- परियोजनाओं को प्रधानमंत्री के गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप बनाया जाएगा, जिसमें लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवागमन को सक्षम करने के लिये मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढाँचे को शामिल किया जाएगा।
- यह बुनियादी ढाँचा देश भर में रसद दक्षता (logistics efficiency) में सुधार और आपूर्ति शृंखला को सुव्यवस्थित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- ये शहर स्वर्णिम चतुर्भुज के साथ-साथ ‘औद्योगिक शहरों के समूह’ का हिस्सा होंगे, जिससे कनेक्टिविटी और औद्योगिक विकास में वृद्धि होगी।
- महत्त्व:
- ये परियोजनाएँ सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) आकर्षित करने के लिये तैयार की गई हैं।
- इन शहरों में लगभग 10 लाख प्रत्यक्ष रोज़गार और 30 लाख तक अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है तथा इनमें 1.5 लाख करोड़ रुपए की निवेश क्षमता है।
- NICDP के तहत विकसित शहर पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये ICT-सक्षम उपयोगिताओं और हरित प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके स्थिरता को बढ़ावा देंगे, साथ ही घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने हेतु आवंटन के लिये तैयार भूमि पार्सल प्रदान करेंगे, जिसका उद्देश्य वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करना है।