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हुमायूँ का मकबरा विश्व धरोहर स्थल संग्रहालय

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हुमायूँ का मकबरा, विश्व धरोहर स्थल संग्रहालय, आगंतुकों के लिये खुलने वाला है। दिल्ली के निज़ामुद्दीन में सुंदर नर्सरी और हुमायूँ के मकबरे के बीच स्थित यह संग्रहालय आगंतुकों को दूसरे मुगल सम्राट हुमायूँ के जीवन एवं समय के बारे में एक अनूठी जानकारी प्रदान करता है।

हुमायूँ के मकबरे स्थल संग्रहालय की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • भूमिगत डिज़ाइन: संग्रहालय को एक बावली की तरह डिज़ाइन किया गया है और इसमें 100 सीटों वाला सभागार, अस्थायी गैलरी, कैफे, बैठक कक्ष एवं एक पुस्तकालय शामिल हैं।
  • अद्वितीय व्यक्तिगत वस्तुएँ: कलाकृतियाँ जैसे कि हुमायूँ के जीवनी लेखक जौहर आफताबची (Jauhar Aftabchi) का नाशपाती के आकार का पानी का बर्तन तथा हुमायूँ द्वारा फारस यात्रा के दौरान खाना पकाने के बर्तन के रूप में उपयोग किया गया हेलमेट।
    • संग्रहालय में प्रदर्शित कलाकृतियाँ राष्ट्रीय संग्रहालय से 10 वर्षों के लिये उधार पर ली गई हैं, जिससे आगंतुकों हेतु एक समृद्ध और विविध प्रदर्शन सुनिश्चित होता है।
  • मुगल सिक्के और सिंहासन: प्रदर्शनी में 18 मुगलकालीन राजाओं के शासनकाल के सिक्के और अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर का सिंहासन शामिल हैं।
    • मुख्य आकर्षणों में शामिल हैं: अकबर के काल के सिक्के, जिनके एक तरफ ‘अल्लाह’ और दूसरी तरफ ‘राम’ लिखा है। जहाँगीर के काल के कीमती सिक्के। बहादुर शाह ज़फ़र द्वारा ढाले गए दुर्लभ सिक्के।
  • वास्तुकला और व्यक्तित्व: हुमायूँ के मकबरे की वास्तुकला तथा सम्राट के व्यक्तित्व पर ध्यान केंद्रित करता है। प्रदर्शनी में हुमायूँ की यात्रा, प्रशासन, पढ़ने में रुचि, ज्योतिष, कला एवं वास्तुकला के प्रति उनके संरक्षण की कहानियाँ बताई गई हैं।
  • सांस्कृतिक हस्तियाँ: 14वीं शताब्दी से निज़ामुद्दीन क्षेत्र से जुड़ी चार सांस्कृतिक व्यक्तित्त्व पर प्रकाश डाला गया है : सूफी संत हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया, कवि अमीर खुसरो देहलवी, अकबर की सेना के सेनापति और कवि रहीम एवं उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करने के लिये जाने जाने वाले दारा शिकोह। 
  • संरक्षण प्रयास: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा प्रबंधित, यह संग्रहालय 300 एकड़ के हुमायूँ के मकबरे-सुंदर नर्सरी-निज़ामुद्दीन बस्ती क्षेत्र को शामिल करते हुए एक बड़े संरक्षण प्रयास का हिस्सा है।

हुमायूँ का मकबरा

  • वर्ष 1570 में निर्मित, हुमायूँ का मकबरा भारतीय उपमहाद्वीप में पहला प्रमुख उद्यान मकबरा है, जो मुगल वास्तुकला के लिये एक मिसाल कायम करता है, जिसकी परिणति ताजमहल में हुई। इसे उनकी पहली पत्नी, महारानी बेगा बेगम ने वर्ष 1569-70 में बनवाया था और इसे फारसी वास्तुकारों द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
    • इसमें नीला गुम्बद और अफगान कुलीन ईसा खान नियाज़ी जैसे 16वीं सदी के अन्य मुगल मकबरे शामिल हैं।
  • मकबरे में एक चारबाग उद्यान, एक ऊँची सीढ़ीदार चबूतरा और संगमरमर से बना गुंबद है। ‘मुगलों के शयनगृह’ के रूप में जाना जाने वाला मकबरा 150 से अधिक मुगल परिवार के सदस्यों का आवास रहा है।
    • मकबरा 14वीं सदी के सूफी संत, हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह के आसपास केंद्रित है। इस मान्यता के कारण कि संत की कब्र के पास दफन होना सौभाग्य की बात है।
  • इसे वर्ष 1993 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था और इसके जीर्णोद्धार का व्यापक कार्य किया गया है।
  • ASI और आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर इस स्थल का प्रबंधन करते हैं, तथा विभिन्न कानूनों के तहत इसके संरक्षण और सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं।

 

हुमायूँ

  • प्रारंभिक शासनकाल: बाबर के सबसे बड़े बेटे हुमायूँ को अपने उत्तराधिकार के तुरंत बाद चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उसके शासन में प्रशासनिक और वित्तीय अस्थिरता थी।
  • प्रमुख युद्ध: चुनार की घेराबंदी (वर्ष 1532) हुमायूँ ने अफगानों के खिलाफ जीत हासिल की और चुनार किले की घेराबंदी की। चौसा की लड़ाई (वर्ष 1539) हुमायूँ को शेर शाह सूरी से हार का सामना करना पड़ा, वह युद्ध के मैदान से बाल-बाल बच गया। कन्नौज की लड़ाई (वर्ष 1540) जिसे बिलग्राम की लड़ाई के रूप में भी जाना जाता है शेर शाह सूरी की पूर्ण जीत ने हुमायूँ को निर्वासन में जाने के लिये मजबूर कर दिया।
    • हुमायूँ के भाई हिंडाल द्वारा विद्रोह तथा कामरान की योजनाओं सहित आंतरिक संघर्षों ने उसकी स्थिति को और कमज़ोर कर दिया।
    • हुमायूँ पंद्रह वर्ष के लिये निर्वासित हो गया। इस दौरान, उसने हमीदा बानू बेगम से निकाह किया और उससे उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम अकबर था ।
    • हुमायूँ ने फारस के शाह से सहायता मांगी, जो कुछ शर्तों के बदले में उसका समर्थन करने के लिये सहमत हुआ। फारसी सहायता से हुमायूँ ने वर्ष 1545 में कंधार और काबुल पर कब्ज़ा कर लिया।
  • फारसी प्रभाव: हुमायूँ ने फारसी प्रशासनिक प्रथाओं की शुरुआत की, राजस्व प्रणालियों में सुधार किया और फारसी कला एवं संस्कृति को बढ़ावा दिया।
  • वास्तुशिल्प उपलब्धियाँ: उसने दीनापनाह की स्थापना की, जमाली मस्जिद का निर्माण किया और हुमायूँ के मकबरे का निर्माण शुरू किया, जिसे उसकी पत्नी हमीदा बानू बेगम ने पूरा किया।
  • सांस्कृतिक प्रभाव: हुमायूँ ने मीर सैय्यद अली और अब्दल समद जैसे फारसी कलाकारों को भारत लाकर मुगल चित्रकला के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • उसने निगार खाना (चित्रकला कार्यशाला) की स्थापना की और हमज़ा नामा को चित्रित करने की परियोजना शुरू की, जिसे उसके उत्तराधिकारी अकबर ने जारी रखा।
  • साहित्यिक योगदान: उसकी बहन गुल बदन बेगम ने “हुमायूँ-नामा” लिखा, जिसमें उनके शासनकाल और विरासत का दस्तावेज़ीकरण किया गया।

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