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हिम तेंदुआ

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चर्चा में क्यों? 

हाल ही में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा जम्मू-कश्मीर के चिनाब घाटी क्षेत्र के किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान (जो उच्च अक्षांश या हाई एल्टीट्यूड पर स्थित है) में हिम तेंदुओं से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण खोज की गई थी।

  • यह खोज भारत में हिम तेंदुए के संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण है, जो इस शीर्ष शिकारी की कम ज्ञात आबादी को उजागर करती है।

क्यों महत्त्वपूर्ण है हिम तेंदुओं की उपस्थिति?

  • खोज का महत्त्व:
    • हिम तेंदुओं को एक शीर्ष शिकारी और उच्च पर्वतीय एशिया की प्रमुख प्रजाति के रूप में रेखांकित किया गया है।
    • वैश्विक हिम तेंदुए के 2% आवास स्थान के रूप में भारत की भूमिका इनके संरक्षण प्रयासों के महत्त्व पर ज़ोर देती है।
      • भारत में हिम तेंदुए की संख्या और बहुतायत के संबंध में कम ही जानकारी है।
    • भारत 718 हिम तेंदुओं का आवास स्थान है, जिनमें से अधिकांश ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जो कानूनी संरक्षण के अंतर्गत नहीं आते हैं।
      • पश्चिमी हिमालय में जनसंख्या सर्वेक्षण लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक सीमित कर दिया गया है।
  • निष्कर्ष:
    • हिम तेंदुए 3,004 से 3,878 मीटर तक की ऊँचाई पर पाए जाते हैं।
      • जहाँ अधिकतर वृक्षरेखा के ऊपर एक शुष्क अल्पाइन क्षेत्र होता है, जिसमें खड़ी चढ़ाई वाला तथा ऊबड़-खाबड़ भूभाग होता है, जिसके दोनों ओर ऊँची-ऊँची पहाड़ियों पर जूनिपर, घास तथा घुमावदार पहाड़ियों पर फलीदार पौधे होते हैंI
    • कुछ जलग्रहण क्षेत्रों में विशेष रूप से पशुधन चराई से मानवजनित दबाव देखा गया, जिससे प्राकृतिक वास और शिकार की उपलब्धता पर संकट उत्पन्न हो गया।
      • इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष हो सकता है और हिम तेंदुए तथा उसके शिकार को उप-इष्टतम क्षेत्रों में ले जाया जा सकता है, जिससे उन्हें अन्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

 

हिम तेंदुए की विशेषताएँ क्या हैं?

  • कुछ प्रमुख तथ्य: 
    • शारीरिक विशेषताएँ 
      • ऊँचाई: 55-65 सेमी (22-26 इंच)
      • लंबाई: 90-115 सेमी (36-44 इंच)
    • इसके बड़े पंजे प्राकृतिक बर्फ में जूतों की तरह काम करते हैं जो तेंदुए को बर्फ में धँसने से रोकते हैं।
    • इसके गोल, छोटे कान ऊर्जा के ह्रास को कम करते हैं और चौड़ी, छोटी नासिका गुहा (nasal cavity) तेंदुए के फेफड़ों तक पहुँचने से पहले वायु को गर्म करती है।
    •  तेंदुए के अग्र अंग छोटे व मज़बूत तथा पश्च अंग लंबे होते हैं जो उसको एक बार में 30 फीट (10 मीटर) तक छलांग लगाने में सक्षम बनाते हैं।
    • इसकी अतिरिक्त लंबी पूँछ उनका शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है और शरीर के चारों ओर लपेटे जाने पर अतिरिक्त ऊष्मा प्रदान करती है।
    • अन्य बड़ी बिल्लियों के विपरीत, हिम तेंदुए अपने गले की संरचना के कारण दहाड़ नहीं सकते हैं और इसके बजाय वे एक गैर-आक्रामक फुफकारने की ध्वनि निकालते हैं जिसे ‘चफ’ कहा जाता है।
    • हालाँकि इन्हें ‘हिम तेंदुआ’ कहा जाता है, किंतु इसके गुण बड़ी बिल्ली तेंदुए की अपेक्षा बाघ से अधिक समानता रखते हैं।

किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान:

              जानकारी                  विवरण
              अवस्थिति               किश्तवाड़ ज़िला, जम्मू और कश्मीर
                क्षेत्र डोडा और रामबन के साथ चिनाब घाटी क्षेत्र का निर्माण
            प्राकृतिक वास           हिम तेंदुए के संभावित निवास स्थान।
            जुड़ाव यह हिमाचल प्रदेश के लघु हिमालय, लद्दाख के ट्रांस-हिमालय (ज़ास्कर के माध्यम से) तथा जम्मू और कश्मीर के वृहत हिमालय को आपस में जोड़ता है।
              महत्त्व हिमालयी और ट्रांस-हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुए की आबादी को वैश्विक हिम तेंदुए रेंज से जोड़ने वाले गलियारे के रूप में कार्य करता है, जिससे स्वस्थ आबादी के लिये जीन प्रवाह में सक्षम होता है।
            उच्च्वाच सीमा ऊबड़-खाबड़ इलाके और चरम मौसम के कारण 4,300 मीटर से ऊपर संरक्षित क्षेत्र दुर्गम हैं।
            अन्य जीव-जंतु साइबेरियाई आइबेक्स, हिमालयी कस्तूरी मृग और भेड़ियों का आवास।

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