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हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

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चर्चा में क्यों? 

हाल ही में प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित दूसरे हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICGH-2024) को वर्चुअली संबोधित किया।

  • प्रधानमंत्री ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन बढ़ाने, लागत कम करने तथा अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया

ICGH-2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • भारत की उपलब्धियाँ: भारत हरित ऊर्जा पर पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने वाले पहले G20 देशों में से एक है। भारत की प्रतिबद्धताएँ वर्ष 2030 के लक्ष्य से 9 वर्ष पहले ही पूरी हो गईं।
    • भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने तथा कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करने का संकल्प लिया।
    • पिछले दशक में भारत में स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300% की वृद्धि हुई है।
  • हरित हाइड्रोजन का उभरता महत्त्व: हरित हाइड्रोजन को वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में एक प्रमुख घटक के रूप में पहचाना जाता है, जिसमें रिफाइनरियों, उर्वरकों, इस्पात और भारी-भरकम परिवहन जैसे विद्युतीकरण में कठिन क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने की क्षमता है।
  • अनुसंधान में निवेश: सम्मेलन में अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास में निवेश, उद्योग तथा शिक्षा जगत के बीच साझेदारी एवं ग्रीन हाइड्रोजन के स्टार्ट-अप एवं उद्यमियों को प्रोत्साहन देने का आह्वान किया गया।
    • प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के विशेषज्ञों और वैज्ञानिक समुदाय से हरित हाइड्रोजन को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया।
  • G-20 शिखर सम्मेलन की अंतर्दृष्टि: प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली G-20 भागीदारों के घोषणा-पत्र को रेखांकित किया, जिसमें हाइड्रोजन पर पाँच उच्चस्तरीय स्वैच्छिक सिद्धांतों को अपनाया गया है, जो एकीकृत रोडमैप के निर्माण में सहायता कर रहे हैं।
  • महत्त्वपूर्ण प्रश्न: प्रधानमंत्री ने इलेक्ट्रोलाइजर की दक्षता में सुधार करने, उत्पादन के लिये समुद्री जल और नगरपालिका अपशिष्ट जल का उपयोग करने तथा सार्वजनिक परिवहन, शिपिंग व जलमार्गों में हरित हाइड्रोजन की भूमिका का पता लगाने की पद्धतियों के विषय में पूछा।

नोट: 

  • भारत ने नवंबर 2024 में आयोजित होने वाले यूरोपीय हाइड्रोजन सप्ताह के साथ एक विशेष साझेदारी की घोषणा की है।
  • यह यूरोपीय संघ के हरित नियमों को संबोधित करने की भारत की इच्छा को उजागर करता है। 
  • इसके अतिरिक्तभारतीय रेलवे जनवरी 2025 में पहली हाइड्रोजन ईंधन वाली ट्रेन के क्षेत्रीय परीक्षण की योजना बना रहा है।
    • परीक्षण के लिये 1200 किलोवाट डीज़ल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित वितरित पावर रोलिंग स्टॉक (DPRS) में परिवर्तित किया जाएगा।

हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता क्यों है?

  • उच्च उत्पादन लागत: अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, हरित हाइड्रोजन के उत्पादन की लागत 3 से 8 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम तक हो सकती है, जो जीवाश्म ईंधन से उत्पादित ग्रे हाइड्रोजन की तुलना में काफी अधिक है।
  • प्रौद्योगिकी और अवसंरचना निवेश: वर्ष 2014 और 2019 के बीच क्षारीय इलेक्ट्रोलाइज़र की लागत में 40% की कमी आई है, लेकिन हरित हाइड्रोजन को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये लागत में और कटौती की आवश्यकता है।
  • इलेक्ट्रोलिसिस लागत: ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से किया जाता है, जिसके लिये पर्याप्त मात्रा में विद्युत की आवश्यकता होती है। वर्ष 2023 तक पारंपरिक हाइड्रोजन की तुलना में ग्रीन हाइड्रोजन की उत्पादन लागत अधिक बनी हुई थी।
  • इलेक्ट्रोलाइज़र की दक्षता: भारत के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान इलेक्ट्रोलाइज़र अभी इतने कुशल नहीं हैं कि उन्हें व्यापक रूप से अपनाया जा सके। दक्षता में सुधार और लागत कम करने के लिये अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता है।
  • संसाधन उपलब्धता: यूरोपीय आयोग के अनुसार, इलेक्ट्रोलाइज़र तथा ईंधन कोशिकाओं के लिये दुर्लभ मृदा तत्त्वों की उपलब्धता एक और चुनौती प्रस्तुत करती है।
    • प्लैटिनम और इरीडियम जैसी धातुओं की आवश्यकता हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों की मापनीयता को बाधित कर सकती है।
  • उत्पादन बढ़ाना: वैश्विक मांग को पूरा करने के लिये उत्पादन बढ़ाना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
    • यूरोपीय संघ का हाइड्रोजन रोडमैप इंगित करता है कि हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिये  आवश्यक पैमाने को प्राप्त करने हेतु उद्योगों और सरकारों में समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।

हरित हाइड्रोजन के प्रोत्साहन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किस प्रकार मदद कर सकता है?

  • उत्पादन में वृद्धि: हाइड्रोजन काउंसिल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक एशिया को हाइड्रोजन परियोजनाओं में 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।
    • IEA के अनुसार, संयुक्त उद्यम और सीमा पार सहयोग विविध तकनीकी क्षमताओं एवं विनिर्माण संसाधनों का लाभ उठाकर हरित हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकियों के विस्तार में काफी तेज़ी ला सकते हैं।
  • पैमाने की अर्थव्यवस्थाएँ: यूरोपीय आयोग ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि संयुक्त अंतर्राष्ट्रीय पहलों से साझा निवेश और सामग्रियों की थोक खरीद के माध्यम से लागत में कमी लाई जा सकती है।
    • उदाहरण के लिये, 30 अग्रणी यूरोपीय ऊर्जा कंपनियों के एक समूह ने आधिकारिक तौर पर ‘हाइडील एम्बिशन’ लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य समग्र यूरोप में 1.5 यूरो/किलोग्राम की कम लागत पर 100% हरित हाइड्रोजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
  • साझा अवसंरचना: हरित हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और वितरण के लिये साझा अवसंरचना निवेश से लागत में कमी आ सकती है, जो प्रौद्योगिकी को अधिक आर्थिक रूप से व्यवहार्य बना सकता है।
    • एशिया-प्रशांत हाइड्रोजन एसोसिएशन के क्षेत्रीय नेटवर्क जैसी सहयोगात्मक अवसंरचना परियोजनाएँ दर्शाती हैं कि साझा सुविधाएँ किस प्रकार लागत कम कर सकती हैं।
  • साझेदारी के माध्यम से नवाचार: वैश्विक साझेदारियाँ विविध अनुसंधान परिप्रेक्ष्यों और वित्तपोषण स्रोतों को एक साथ लाकर नवाचार को बढ़ावा देती हैं।
    • उदाहरण के लिये, वैश्विक हाइड्रोजन गठबंधन एक ऐसे मंच का प्रमुख उदाहरण है, जो हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये सरकारों, उद्योग जगत के अभिकर्त्ताओं और अनुसंधान संस्थानों को एक साथ लाता है।
  • एकीकृत नीतियाँ और विनियमन: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से हरित हाइड्रोजन विकास का समर्थन करने वाली सुसंगत नीतियों और विनियमों को विकसित करने में मदद मिलती है।
    • भारत की अध्यक्षता में G20 शिखर सम्मेलन- 2023 में हरित हाइड्रोजन के लिये स्वैच्छिक सिद्धांतों को अपनाया गया, जिससे एक साझा रोडमैप बनाने में मदद मिलेगी।
  • निवेश और वित्तपोषण: संयुक्त वित्तपोषण पहल और अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों से निवेश अनुसंधान एवं क्रियान्वयन में तेज़ी ला सकता है।
    • उदाहरण के लिये हाइड्रोजन पर कई शोध और नवाचार परियोजनाएँ, यूरोपीय संघ के शोध एवं नवाचार फ्रेमवर्क कार्यक्रम, होराइज़न यूरोप के अंतर्गत चल रही हैं।
      • इन परियोजनाओं का प्रबंधन स्वच्छ हाइड्रोजन साझेदारी (वर्ष 2021-2027) के माध्यम से किया जाता है, जो यूरोपीय आयोग द्वारा समर्थित एक संयुक्त सार्वजनिक-निजी भागीदारी है।

 

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