❍ हमारे चारों ओर बहुत से परिवर्तन अपने आप होते रहते हैं।
❍खेतो में फसलें समयनुसार बदलती रहती हैं ।
❍पत्तियाँ रंग बदलती हैं और सूखकर पेड़ो से गिर जाती हैं।
❍फूल खिलते हैं और फिर मुरझा जाते हैं।
❍परिवर्तन :- पदार्थों को गर्म करके या किसी अन्य पदार्थ के साथ मिश्रित करके उनमें परिवर्तन लाए जा सकते है।
❍उत्क्रमित :- इसमें कुछ परिवर्तन किया जा सकता है। जबकि कुछ में परिवर्तन को उत्क्रमित नही किया जा सकता हैं।
❍उत्क्रमित परिवर्तन :- ऐसे परिवर्तन जिसको पुनः अवस्था में लाया जा सकता हैं।
❍जैसे :- आटे को लोई को बेलकर रोटी बनती है , इससे पुनः लोई में परिवर्तन किया जा सकता हैं।
❍उत्क्रमित अपरिवर्तन :- ऐसे परिवर्तन जिन्हें अपने पूर्व अवस्था में नही लाया जा सकता ।
❍जैसे :- जबकि पकी हुई रोटी से पुनः लोई नही प्राप्त किया जा सकता हैं।
❍ प्रसार :- जब कोई वस्तु गर्म होने से फैलता है या पिघलने लगता है तो उसे प्रसार कहते हैं।
❍ संकुचन :- जब किसी वस्तु को गर्म किया जाता है तो यह फैल जाता है और ठंडा होने पर सिकुड़ जाता है , इसे ही संकुचन कहते हैं।
❍आवर्ती परिवर्तन :- वह परिवर्तन जिनकी नियमित समय अंतरालों के बाद पुनरावृति होती है ।
जैसे :- सूरज का उगना
❍अनावर्ती परिवर्तन :- वह परिवर्तन जिनकी नियमित समय अंतरालों के बाद पुनरावृति नही होती है।
❍गलन :- किसी वस्तु का किसी निश्चित तापमान पर द्रव अवस्था मे परिवर्तित होना गलन कहलाता हैं
❍वाष्पन :- जल को उसके वाष्प में परिवर्तन करने की प्रक्रिया को वाष्पन कहते हैं।