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सौर तूफान

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हाल के अध्ययनों से पता चला है कि सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पहले की अपेक्षा सतह के बहुत करीब बना है। अध्ययनों के अनुसार यह लगभग 20,000 मील (32,000 किलोमीटर) नीचे है, जबकि पहले यह 130,000 मील (209,000 किलोमीटर) से अधिक माना जाता था।

  • यह अध्ययन सौर चक्रों का पूर्वानुमान करने और गंभीर सौर तूफानों की घटनाओं का अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाने में सहायता कर सकती है।

सौर चक्र, सौर कलंक और सौर प्रज्ज्वाल क्या हैं?

  • सौर चक्र (Solar Cycle):
    • अधिकांश सौर-कलंक समूहों में दिखाई देते हैं तथा उनका अपना चुंबकीय क्षेत्र होता है, जिसकी ध्रुवीयता लगभग 11 वर्ष में बदलती है जिसे एक ‘सौर चक्र’ कहा जाता है।
      • सूर्य, गर्म, विद्युत-आवेशित गैस का एक विशाल गोला, एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो एक चक्र से गुजरता है जिसे ‘सौर चक्र’ के रूप में जाना जाता है।
    • प्रत्येक 11 वर्ष में सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पूरी तरह से परिवर्तित हो जाता है। जिस कारण सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपना स्थान परिवर्तित लेते हैं।
    • सौर चक्र सूर्य की सतह पर गतिविधि को प्रभावित करता है, जैसे कि सौर कलंक जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के कारण होते हैं।
    • सौर कलंक की गणना करके सौर चक्र का पता लगाया जाता है। यह सौर न्यूनतम से शुरू होता है, जो कुछ सौर कलंक द्वारा चिह्नित होता है तथा जब सौर कलंक संख्या चरम पर होती है, तो सौर अधिकतम की ओर बढ़ता है।
  • सौर कलंक (Sunspots):
    • सूर्य की सतह पर सौर कलंक काले दिखाई देते हैं क्योंकि वे असाधारण रूप से मज़बूत चुंबकीय क्षेत्र वाले ठंडे क्षेत्र हैं, जो गर्मी को सतह तक पहुँचने से रोकते हैं।

 

  • सौर प्रज्ज्वाल (Solar Flares):
    • सूर्य के निकट चुंबकीय क्षेत्र की रेखाओं के स्पर्श, क्रॉसिंग या पुनर्गठन के कारण, ऊर्जा के अचानक होने वाले विस्फोट से सोलर फ्लेयर्स उत्पन्न होती हैं।
    • सौर फ्लेयर्स अंतरिक्ष में महत्त्वपूर्ण विकिरण उत्सर्जित करती हैं, अत्यधिक तीव्र होने पर ये पृथ्वी पर रेडियो संचार को बाधित कर सकती हैं।
    • सौर फ्लेयर्स कभी-कभी कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के साथ होती हैं। CME सूर्य से आने वाले विकिरण और कणों के विशाल बुलबुले हैं। जब सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ अचानक पुनर्गठित हो जाती हैं तो वे तीव्र गति से अंतरिक्ष में विस्फोट करते हैं।

 

सौर तूफान क्या हैं?

  • परिचय: 
    • सौर तूफान (Geomagnetic Storms) तब होते हैं, जब बड़े पैमाने पर चुंबकीय विस्फोट, जो अक्सर कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और संबंधित सौर ज्वाला का कारण बनता है, सौर वातावरण में आवेशित कणों के वेग को तीव्र कर देता है।
  • पृथ्वी की ओर गति:
    • ये लगभग तीन मिलियन मील प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं।
    • जब एक CME (हाई-स्पीड सोलर स्ट्रीम) पृथ्वी पर पहुँचती है, तो यह मैग्नेटोस्फीयर के साथ संपर्क करती है, जिससे मैग्नेटोस्फीयर संकुचित और उत्तेजित हो जाता है, जिसके फलस्वरूप ऊर्जावान सौर वायु के कण ध्रुवों के निकट हमारे वायुमंडल तक पहुँच जाते हैं।
      • पृथ्वी का मैग्नेटोस्फीयर उसके चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा निर्मित होता है और यह आमतौर पर सूर्य द्वारा उत्सर्जित कणों से हमारी रक्षा करता है।
  • पृथ्वी के निकट सौर विकिरण तूफानों का प्रभाव:
    • जब ऊर्जावान प्रोटॉन अंतरिक्ष में उपग्रहों या मनुष्यों से अथवा जिस पिंड से टकराते हैं, उसमें गहराई तक भेदने की क्षमता रखते हैं और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट अथवा जैविक DNA को हानि पहुँचा सकते हैं।
    • अधिक तीव्र सौर विकिरण तूफानों के दौरान, अधिक ऊँचाई पर उड़ान भरने वाले विमानों में यात्रियों और चालक दल को विकिरण ज़ोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
    • भू-चुंबकीय तूफान ऑरोरा (उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में रोशनी) का कारण भी बन सकते हैं।

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