Current Affairs For India & Rajasthan | Notes for Govt Job Exams

संवाद: 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के प्रेरक

FavoriteLoadingAdd to favorites

प्रसंग क्या है?

भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक विस्तारित करना है, जिसके लिये वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों पर रणनीतिक ज़ोर देना आवश्यक है।

  • वे कारक जो भारत की वृद्धि को 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएंगे, जिनमें प्रौद्योगिकी, वित्त, घरेलू बाज़ारों का एकीकरण और समावेशी विकास शामिल हैं।

 

प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • भारत की वृद्धि अल्पावधि में निर्यात, उपभोग और निवेश जैसे कारकों से प्रेरित होगी।
  • पर्यावरणीय स्थिरता, समावेशी विकास और क्षेत्रों के बीच स्थानिक वितरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए विकास की गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण है।
  • प्रौद्योगिकी, विशेषकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, विकास को गति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
  • विकास को समर्थन देने के लिये वित्त को सतर्क उदारीकरण और वैश्विक बाज़ारों के साथ एकीकरण की आवश्यकता है।
  • समावेशी विकास के लिये समावेशी विकास, भौतिक कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचे के विकास का एकीकरण आवश्यक है।
  • भारत की GDP अगले सात वर्षों में दोगुनी होने वाली है, जिसमें कई अंतर्निहित जनसांख्यिकीय लाभ और नीति-आधारित परिवर्तन शामिल हैं।
  • एक बड़े मध्यम वर्ग के साथ संयुक्त रूप से युवा आबादी का जनसांख्यिकीय लाभांश कई संरचनात्मक सुधारों द्वारा बढ़ाया गया है।
  • भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढाँचा, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन तथा तीव्र वित्तीयकरण उच्च, सतत् विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
  • डिजिटलीकरण के उच्च स्तर पर देश की हालिया छलांग (Leapfrogging) पहले से ही कई मायनों में उत्पादकता और दक्षता को बढ़ा रही है।
  • विश्व बैंक ने इसी अवधि के लिये अपने पहले के अनुमानों को 1.2 प्रतिशत संशोधित करते हुए कहा है कि वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
  • विश्व बैंक का अनुमान है कि सेवाओं और उद्योग में लचीली गतिविधि के कारण वित्तवर्ष 2024 में भारत की उत्पादन वृद्धि 7.5 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी। हालाँकि मध्यम अवधि में वृद्धि दर घटकर 6.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

 

भारत का मध्यम अवधि का आउटलुक ग्रोथ क्या कहता है?

  • विश्व बैंक का अनुमान है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि वित्त वर्ष 2024 में 7.5 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी, जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह घटकर 6.6 प्रतिशत रह जाएगी।
  • अपेक्षित मंदी मुख्य रूप से पिछले वर्ष की ऊँची गति से निवेश में गिरावट को दर्शाती है।
  • मध्यम अवधि में, भारत में राजकोषीय घाटा और सरकारी ऋण में गिरावट का अनुमान है, जो केंद्र सरकार द्वारा मज़बूत उत्पादन वृद्धि तथा समेकन प्रयासों द्वारा समर्थित है।
  • भारत का हालिया आर्थिक प्रदर्शन
    • वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में भारत की आर्थिक गतिविधि पिछले वर्ष की तुलना में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उम्मीदों से अधिक रही, जो कि बढ़े हुए निवेश और सरकारी खपत से समर्थित है।
    • भारत का समग्र क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Managers Index- PMI) 60.6 पर रहा, जो वैश्विक औसत 52.1 से काफी ऊपर है, जो विस्तार का संकेत देता है।
    • मुद्रास्फीति भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India’s- RBI) के लक्ष्य सीमा के भीतर बनी हुई है और वित्तीय स्थितियाँ उदार बनी हुई हैं।
    • वाणिज्यिक क्षेत्र में घरेलू ऋण जारी करने में वर्ष 2023 में वर्ष-दर-वर्ष 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वित्तीय सुदृढ़ता संकेतकों में सुधार दिखाई दिया। वर्ष 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार 8 प्रतिशत बढ़ा।
    • जनसांख्यिकीय विभाजन
      • भारत अब चीन को पछाड़कर विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है और अगले 10 वर्षों में इसकी कामकाजी आबादी में 97 मिलियन लोगों के जुड़ने का अनुमान है।
      • जैसे-जैसे समृद्धि बढ़ी है, भारत विश्व के सबसे बड़े मध्यम वर्ग का घर भी बन गया है, जो अब अनुमानित 371 मिलियन है, जो भीतर से क्रय शक्ति प्रदान करना जारी रखेगा।
      • कई महत्त्वपूर्ण सुधार किये गए जिनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिये मात्र घरेलू गतिविधियों के अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त करना था- जो एक बड़ा जनसांख्यिकीय परिवर्तन है। विद्युत, रसोई गैस और स्वच्छ जल जैसी मूल सुविधाओं तक पहुँच सुनिश्चित किया गया जिससे लकड़ी एकत्र करने और जल लाने की पूर्व की आवश्यकताओं में लगने वाले समय की बचत हुई।
    • नीति-आधारित परिवर्तन:
      • विशिष्ट राष्ट्रीय पहचान-पत्र (आधार) के लिये एक अरब भारतीयों की फिंगरप्रिंटिंग और आईरिस स्कैनिंग, इसे सभी के लिये सुलभ अल्प लागत वाले बैंक खाते (जन धन) से जोड़ना तथा साथ ही संचार के लिये मोबाइल फोन नंबर से इसे जोड़ना महत्त्वपूर्ण परिवर्तन थे।
      • JAM ट्रिनिटी (जन धन खाता, आधार, मोबाइल) की सहायता से सब्सिडी चोरी की रोकथाम करने में मदद मिली है और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाखों लोग लाभान्वित हुए।
      • भारत वर्तमान में पूर्ण रूप से विद्युतीकृत है जबकि 20 वर्ष पूर्व यह आँकड़ा मात्र 60% था। जल जीवन मिशन जैसी नवीनतम पहल के माध्यम से प्रत्येक ग्राम के हर घर में स्वच्छ जल की आपूति सुनिश्चित की गई। मिशन के तहत 56% कवरेज की लक्ष्य प्राप्ति की जा चुकी है और वर्ष 2024 तक पूर्ण कवरेज का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
      • विनिर्माण उद्योग के लिये उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना की सहायता से 6 मिलियन नौकरियाँ सृजित करने के लक्ष्य के साथ 14 क्षेत्रों में निवेश (प्रमुख रूप से निर्यात केंद्रित) को प्रोत्साहित किया गया।
    • ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि:
      • भारत ने अपने नागरिकों के लिये विद्युत और स्वच्छ खाना पकाने के तरीके उपलब्ध कराने में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2019 में लगभग सभी घरों तक बिजली की सुविधा प्रदान की गई। ऊर्जा मिश्रण में बायोमास की हिस्सेदारी आधे से अधिक घट गई है।
      • नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के संदर्भ में भारत COP21 से संबंधित अपने वर्ष 2030 लक्ष्यों के निर्धारित समय से कम-से-कम नौ वर्ष पहले ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने वाला एकमात्र G20 राष्ट्र बन गया है।
    • डिजिटल क्रांति
      • सरकार के “सुपर ऐप” उमं पर नागरिकों के लिये संघीय और राज्य स्तर पर 1,682 सेवाएँ उपलब्ध हैं।
      • वाद की संख्या में कमी करने और स्थानांतरण के संबंध में सुलभता हेतु सुधार के लिये इसे परिवर्तित किया गया। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड सहित डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को एकीकृत करना है।
      • UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) संभवतः सबसे सफल डिजिटल भुगतान है।
      • ONDC (ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स) का उद्देश्य ऑनलाइन मार्केटप्लेस के लिये UPI, विभिन्न प्लेटफॉर्म के क्रेताओं और विक्रेताओं को जोड़ने के लिये एक नेटवर्क-केंद्रित मॉडल की पेशकश करके ई-कॉमर्स में क्रांति लाना है।
    • वित्तीयकरण:
      • बैंकिंग औपचारिकीकरण, डिजिटल भुगतान के माध्यम से बढ़ते अनुपालन और कोविड-प्रेरित कम ब्याज दरों के कारण म्यूचुअल फंड तथा प्रत्यक्ष माध्यम से इक्विटी बाज़ारों में अधिक आवंटन हुआ है।
      • प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद USD4,000 के नति परिवर्तन बिंदु तक पहुँचने के साथ, परिसंपत्तियों का वित्तीयकरण भी दोगुना होने की उम्मीद है।

निष्कर्ष

भारत का विकास दर सराहनीय रहा है। यह अपने व्यापक और बढ़ते मध्यम वर्ग एवं युवा कामकाजी वर्ग की बढ़ती आबादी के साथ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच विशिष्ट स्थान पर है। अंततः उपर्युक्त रुझानों की सहायता से देश के विशाल अनौपचारिक क्षेत्र का तीव्रता से औपचारिक अर्थव्यवस्था में समावेशन किया जा रहा है जिससे परिसंपत्तियों के वित्तीयकरण में वृद्धि हो रही है। इन सभी संरचनात्मक परिवर्तनों की सहायता से इस दशक के अंत तक भारत के विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
Scroll to Top