संक्षिप्त विवरण: श्री मूलचंद लोढ़ा
- मूलचंद लोढ़ा, जिन्हें राजस्थान के डूंगरपुर के आदिवासी बहुल गाँवों में ‘भाईसाहब’ के नाम से जाना जाता है, को पिछले 20 वर्षों से आदिवासियों के निशुल्क नेत्र देखभाल के लिये वर्ष 2023 में पद्म श्री पुरस्कार के लिये चुना गया।
- वह विगत 40 वर्षों से आदिवासियों के बीच बाल विवाह के खिलाफ, भूमि अधिकार और शिक्षा जैसे विभिन्न सामाजिक मुद्दों को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं।
सामाजिक कार्य:
- उन्होंने 1990 के दशक में गाँव में पाँच बच्चों के साथ एक शिक्षण केंद्र खोला और उन्हें पढ़ाना शुरू किया क्योंकि इस क्षेत्र में ड्रॉपआउट दर बहुत अधिक थी।
- इसके बाद उन्होंने महसूस किया कि ग्रामीणों को आँखों की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है और आस-पास के अस्पतालों में सुविधाएँ नहीं हैं।
- उन्होंने गाँवों में नेत्र शिविर लगाकर आँखों की देखभाल पर ध्यान देना शुरू किया। कुछ वर्षों तक नेत्र शिविर एक सीमित सीमा तक सफल रहे क्योंकि ग्रामीणों को निशुल्क ऑपरेशन के लिये कस्बों और शहरों के अस्पतालों में जाना पड़ता था।
- उन्होंने अन्य क्षेत्रों से प्राप्त दान की सहायता से स्थानीय लोगों के लिये दो मंजिला नेत्र चिकित्सालय भी स्थापित किया।
- उनकी टीम ने गाँवों के समूह में सरपंच और ग्राम पंचायत की मदद से नेत्र शिविर लगाए। वहाँ मरीज़ों की पहचान करके उन्हें उपचार करवाने की तारीख दी जाती हैं। उपचार के लिये उन्हें उनके घर से अस्पताल ले जाने और वापस घर पहुँचाने के लिये एंबुलेंस भेजी जाती है ।
- पिछले कुछ वर्षों में, विभिन्न राज्यों के डॉक्टरों ने मासिक रूप से स्वैच्छिक सेवाएँ देना शुरू कर दिया है, जबकि अन्य दानदाताओं ने नवीनतम उपकरण दान किये हैं।
- गत 15 वर्षों में, डॉक्टरों ने 1.60 लाख लोगों के आँखों की जाँच की है और 18,000 से अधिक लोगों का ऑपरेशन किया है, जिनमें से अधिकांश गरीब आदिवासी परिवारों से हैं।