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वेस्ट नाइल फीवर

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चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केरल के 3 ज़िलों में वेस्ट नाइल फीवर का पता चलने से स्वास्थ्य अधिकारियों को अलर्ट जारी करने और निवारक उपायों को तीव्र करने के लिये प्रेरित किया गया है।

वेस्ट नाइल फीवर क्या है?

  • परिचय:
    • यह वेस्ट नाइल फीवर (West Nile Fever- WNV) के कारण होता है, सिंगल स्ट्रैंडेड (Single-Stranded) RNA वायरस जो संक्रमित मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है (जीनस क्यूलेक्स मच्छरों को आमतौर पर WNV का प्रमुख वाहक माना जाता है) और पक्षी जलाशय मेज़बान के रूप में कार्य करते हैं।I
      • यह वायरस फ्लेविविरिडे कुल और फ्लेविवायरस वंश का सदस्य है।
    • यह वायरस सामान्यतः अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और पश्चिम एशिया में पाया जाता है।
    • यह पहली बार वर्ष 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल ज़िले में एक महिला के शरीर में पाया गया थाI विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 1953 में नाइल डेल्टा क्षेत्र में पक्षियों में इसकी पहचान की गई थी।
  • संचरण:
    • मच्छर जब संक्रमित पक्षियों के माध्यम से भोजन ग्रहण करते हैं, तो वे संक्रमित हो जाते हैं और फिर इन मच्छरों के काटने से मनुष्यों तथा जानवरों में वायरस का संचार होता है।
    • यह वायरस अन्य संक्रमित जानवरों, उनके रक्त या अन्य ऊतकों के संपर्क में आने के माध्यम से भी फैल सकता है।
    • अंग प्रत्यारोपण, रक्त आधान और ट्राँसप्लासेंटल ट्राँसमिशन के माध्यम से संचरण के दुर्लभ मामले भी इसके संचार के लिये प्रभावी हैं।
    • आकस्मिक संपर्क के माध्यम से WNV का मानव-से-मानव संचरण का कोई लिखित प्रमाण है।
  • लक्षण:
    • लगभग 80% मामलों में लक्षण रहित।
    • वेस्ट नाइल फीवर के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मतली, उल्टी और त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं।
    • गंभीर मामलों में गर्दन में अकड़न, स्तब्धता, कोमा, कँपकँपी, ऐंठन, मांसपेशियों में कमज़ोरी और पक्षाघात जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण हो सकते हैं।
  • उपचारछ
    • न्यूरो-इनवेसिव मामलों में देखभाल के लिये अस्पताल में भर्ती होना, अंतःशिरा तरल पदार्थ और श्वसन सहायता देना शामिल है।
    • मनुष्यों के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
  • भारत की पहल:
    • राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम
    • एकीकृत वेक्टर प्रबंधन (IVM)
    • मलेरिया उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय ढाँचा

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