चर्चा में क्यों ?
हाल ही में प्यू रिसर्च सेंटर ने संयुक्त राष्ट्र और 270 जनगणनाओं एवं सर्वेक्षणों के डेटा के आधार पर विश्व के प्रवासियों की धार्मिक संरचना(The Religious Composition of the World’s Migrants) शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की
- वर्ष 2020 में 280 मिलियन से अधिक व्यक्ति या विश्व की आबादी का 3.6%, अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों के रूप में रह रहे थे
- धर्म, प्रवासन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो मातृभूमि से प्रस्थान और गंतव्य देश में स्वागत दोनों को प्रभावित करता है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- हिंदू प्रवासियों के बीच रुझान: वर्ष 2020 में भारत हिंदू प्रवासियों (बाहरी प्रवासियों) और अप्रवासियों (अंदर-प्रवासियों) दोनों के लिये शीर्ष देश के रूप में उभरा।
- भारत में जन्मे 7.6 मिलियन हिंदू विदेश में रह रहे थे।
- अन्य देशों में जन्मे लगभग 3 मिलियन हिंदू भारत में रह रहे थे।
- ईसाइयों के बीच रुझान: वैश्विक प्रवासी आबादी में सबसे बड़ा हिस्सा ईसाईयों का है, जिनकी संख्या 47% है।
- भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच प्रवास के रुझान: भारतीय प्रवासियों में धार्मिक अल्पसंख्यकों की संख्या अत्यधिक है।
- भारतीय प्रवासियों में ईसाई समुदाय की हिस्सेदारी 16% है, लेकिन भारत की आबादी में उनकी हिस्सेदारी केवल 2% है।
- भारत में जन्मे सभी प्रवासियों में से 33% मुसलमान हैं, लेकिन भारत की आबादी में उनकी हिस्सेदारी केवल 15% है।
- भारत मुस्लिम प्रवासियों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, क्योंकि 6 मिलियन भारतीय मुसलमान विदेशों में रहते हैं- मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात (1.8 मिलियन), सऊदी अरब (1.3 मिलियन) और ओमान (720,000)।
- GCC देशों में रुझान: खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में प्रवासी जनसंख्या वर्ष 1990 के बाद से 277% बढ़ी है।
- GCC प्रवासियों में अधिकांश मुसलमान (75%) हैं, जबकि हिंदू और ईसाई क्रमशः 11% व 14% हैं।
- GCC देशों (बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई) में वर्ष 2020 तक 9.9 मिलियन भारतीय प्रवासी हैं।
- वैश्विक प्रवासन के रुझान: वर्ष 1990 से 2020 तक अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या में 83% की वृद्धि हुई है, जो वैश्विक जनसंख्या वृद्धि 47% से काफी अधिक है।
- प्रवासी औसतन 2,200 मील की दूरी तय करते हैं।
- धार्मिक संरेखण और प्रवासन पैटर्न: प्रवासी अक्सर उन देशों में स्थानांतरित होते हैं, जहाँ उनका धर्म मूल देश की आबादी के धर्म के साथ संरेखित होता है।
- यह प्रवृत्ति सांस्कृतिक और धार्मिक परिचिय से प्रेरित हो सकती है, जो गंतव्य के चयन तथा एकीकरण प्रक्रिया दोनों को प्रभावित करती है।
हिंदू प्रवासन पैटर्न और रुझान क्या है?
- वैश्विक स्तर पर कम प्रतिनिधित्व: हिंदू प्रवासी सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों का एक छोटा हिस्सा (5%) हैं, जिनमें से वर्ष 2020 तक 13 मिलियन हिंदू अपने जन्म के देश से बाहर रह रहे हैं।
- यह वैश्विक जनसंख्या में उनके अनुपात (15%) से काफी कम है।
- तय की गई दूरी: हिंदू प्रवासी अधिक लंबी दूरी की यात्रा करते हैं, जो उनके मूल देश से औसतन 3,100 मील है, जबकि सभी प्रवासियों के लिये वैश्विक औसत 2,200 मील है।
- यह एशिया में उत्पन्न सभी धार्मिक समूहों के बीच तय की गई सबसे लंबी औसत दूरी है।
- हिंदू प्रवासियों के गंतव्य क्षेत्र: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हिंदू प्रवासियों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी (44%) है, इसके बाद मध्य पूर्व-उत्तरी अफ्रीका (24%) और उत्तरी अमेरिका (22%) का स्थान है।
- इसका एक छोटा हिस्सा यूरोप (8%) में रहता है तथा लैटिन अमेरिका या उप-सहारा अफ्रीका में बहुत कम लोग रहते हैं।
- हिंदू प्रवासियों के मूल क्षेत्र: हिंदू प्रवासियों का विशाल बहुमत (95%) एशिया-प्रशांत क्षेत्र से आता है, विशेष रूप से भारत से जहाँ विश्व के हिंदू प्रवासियों का 57% हिस्सा रहता है तथा वैश्विक हिंदू आबादी का 94% हिस्सा यहीं रहता है।
- अन्य महत्त्वपूर्ण स्रोतों में बांग्लादेश (हिंदू प्रवासियों का 12%) और नेपाल (11%) शामिल हैं।
- हिंदू प्रवासियों के लिये भारत एक प्रमुख गंतव्य है, जहाँ सभी हिंदू प्रवासियों का 22% (3 मिलियन) निवास करता है।
- इसका मुख्य कारण ऐतिहासिक घटनाएँ हैं, विशेषकर वर्ष 1947 में ब्रिटिश भारत का विभाजन और उसके बाद पाकिस्तान तथा बांग्लादेश जैसे अपने नए देशों में उनका उत्पीड़न।
- हिंदू प्रवास के लिये उल्लेखनीय देश शामिल:
- भारत से अमेरिका: हिंदुओं के लिये सबसे आम प्रवास मार्ग भारत से अमेरिका है, जहाँ 1.8 मिलियन हिंदू इस मार्ग से जाते हैं। ये प्रवासी अक्सर रोज़गार, उच्च शिक्षा और आय स्तर की तलाश में होते हैं।
- बांग्लादेश से भारत: दूसरा सबसे आम मार्ग बांग्लादेश से भारत की ओर प्रवास है, जिसमें 1.6 मिलियन हिंदू ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों से प्रेरित होकर इस मार्ग पर आते हैं।
प्रवासी समुदाय अपने देश में विकास को कैसे बढ़ावा देते हैं?
- पर्याप्त वित्तीय प्रवाह: प्रवासी समुदाय धन भेजकर अपने गृह देशों में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- वर्ष 2022 में उभरते और विकासशील देशों के प्रवासियों ने 430 बिलियन अमेरिकी डॉलर भेजे, जो इन देशों को अन्य देशों या अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से प्राप्त वित्तीय सहायता से तीन गुना अधिक है।
- सकल घरेलू उत्पाद पर प्रभाव: कई देशों में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में धन प्रेषण का एक बड़ा हिस्सा होता है, जैसे कि ताजिकिस्तान में 37%, नेपाल में 30% तथा टोंगा, लाइबेरिया व हैती में लगभग 25
- प्रवासी निवेश: प्रवासी प्रायः स्वदेश के व्यवसायों और सरकारी बॉण्ड में निवेश करते हैं, जिससे वित्तीय पूंजी बढ़ती है
- ज्ञान अंतरण और विशेषज्ञता: प्रवासी विदेश में अर्जित ज्ञान और विशेषज्ञता को अपने देश/स्वदेश में वापस स्थानांतरित करते हैं।
- यह शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और बेहतर व्यवसाय तथा शासन पद्धतियों को विकसित करके उत्पादकता को बढ़ा सकता है।
- ज्ञान अंतराल को समाप्त करना: प्रवासी सदस्य अपने कौशल, वैश्विक संपर्कों और स्थानीय रीति-रिवाजों की समझ का उपयोग स्वदेश के व्यवसायों को चुनौतियों से निपटने, दक्षता में सुधार करने तथा नए बाज़ारों में विस्तार करने में मदद करने के लिये करते हैं।
- उदाहरण के लिये अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों में भारतीय अधिकारियों ने भारत को आउटसोर्सिंग की सुविधा प्रदान की है।