चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार सौर ऊर्जा पर निर्भरता को मौजूदा 12-14 % से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 40 % से अधिक करने पर विचार कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- शहरीकरण और औद्योगिक विकास के साथ राज्य में विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति प्रत्येक वर्ष 8 से 10% बढ़ सकती है।
- अगले पाँच वर्षों में सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच सौर उत्पादन केंद्रों को बढ़ावा देने की योजना तथा रूफटॉप सोलर योजना को बढ़ावा दिया जाएगा।
- इन प्रयासों से कोयला आधारित संयंत्रों पर निर्भरता भी कम होगी।
- योजना के मुताबिक राज्य में पीएम सूर्य घर योजना के पहले चरण में 500,000 घरों में सब्सिडीयुक्त रूफटॉप सिस्टम लगाए जाने हैं।
- राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा वेबसाइट के अनुसार वर्ष 2023-24 में राजस्थान की कमीशन की गई सौर ऊर्जा क्षमता 1,296 मेगावाट (Mw) से अधिक थी, जबकि सबसे अच्छा वर्ष 2021-2022 था जब कमीशन की गई सौर ऊर्जा 5,398 मेगावाट से अधिक थी। दिसंबर 2023 तक राज्य में कुल सौर क्षमता 15,195 मेगावाट से अधिक थी।
- राजस्थान की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 142 गीगावॉट आंकी गई है।
- राज्य में तीव्र सौर विकिरण के मामले में विशाल अप्रयुक्त क्षमता है, जिसमें एक वर्ष में धूप वाले दिनों की संख्या सबसे अधिक है और विशाल अप्रयुक्त सरकारी व निजी भूमि की उपलब्धता है।
- इसमें राजस्थान को सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये अत्यधिक पसंदीदा स्थान बनाने की क्षमता है।
पीएम सूर्य घर योजना
- यह एक अग्रणी सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य पूरे देश में एक करोड़ घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करना है।
- रूफटॉप सौर पैनल एक इमारत की छत पर स्थापित फोटोवोल्टिक पैनल हैं जो मुख्य विद्युत आपूर्ति इकाई से जुड़े होते हैं।
- यह ग्रिड से जुड़ी विद्युत की खपत को कम करता है और उपभोक्ता के लिये विद्युत की लागत में कमी लाता है।
- छत पर सौर संयंत्र से उत्पन्न अधिशेष सौर ऊर्जा इकाइयों को मीटरिंग प्रावधानों के अनुसार ग्रिड में निर्यात किया जा सकता है।
- उपभोक्ता प्रचलित नियमों के अनुसार अधिशेष निर्यातित विद्युत के लिये मौद्रिक लाभ प्राप्त कर सकता है।