चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने राजस्थान में केंद्रपोषित जल जीवन मिशन योजना घोटाला मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की है।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के अनुसार, जयपुर स्थित ठेकेदारों ने राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग से निविदाएँ प्राप्त करने के लिये कथित तौर पर इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड (IRCON) द्वारा जारी फर्जी समापन प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया।
- अगस्त 2023 में दर्ज आठ महीने से लंबित प्रारंभिक जाँच के निष्कर्ष के बाद CBI द्वारा कार्रवाई की गई।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI)
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) भारत की एक प्रमुख अन्वेषण एजेंसी है।
- यह केंद्रीय सतर्कता आयोग और लोकपाल को सहायता प्रदान करता है।
- यह भारत सरकार के कार्मिक, पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय के कार्मिक विभाग [जो प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister’s Office-PMO) के अंतर्गत आता है] के अधीक्षण में कार्य करता है।
- हालाँकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत अपराधों के अन्वेषण के मामले में इसका अधीक्षण केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission) के पास है।
- यह भारत की नोडल पुलिस एजेंसी भी है जो इंटरपोल की ओर से इसके सदस्य देशों में अन्वेषण संबंधी समन्वय करती है।
- इसकी अपराध सिद्धि दर (Conviction Rate) 65 से 70% तक है, अतः इसकी तुलना विश्व की सर्वश्रेष्ठ अन्वेषण एजेंसियों से की जा सकती है।
प्रथम सूचना रिपोर्ट (First Information Report- FIR
- प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) एक लिखित दस्तावेज़ है जो पुलिस द्वारा तब तैयार किया जाता है जब उसे किसी संज्ञेय अपराध के बारे में सूचना प्राप्त होती है।
- यह एक सूचना रिपोर्ट है जो समय पर सबसे पहले पुलिस तक पहुँचती है, इसीलिये इसे प्रथम सूचना रिपोर्ट कहा जाता है।
- यह आमतौर पर एक संज्ञेय अपराध के शिकार व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से किसी व्यक्ति द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत होती है। कोई भी व्यक्ति संज्ञेय अपराध की सूचना मौखिक या लिखित रूप में दे सकता है।
- FIR शब्द भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 या किसी अन्य कानून में परिभाषित नहीं है।
- हालाँकि पुलिस नियमों या कानूनों में CrPC की धारा 154 के तहत दर्ज की गई जानकारी को प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के रूप में जाना जाता है।
- FIR के तीन महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं:
- जानकारी एक संज्ञेय अपराध से संबंधित होनी चाहिये।
- यह सुचना लिखित या मौखिक रूप में थाने के प्रमुख को दी जानी चाहिये।
- इसे मुखबिर द्वारा लिखा और हस्ताक्षरित किया जाना चाहिये और इसके प्रमुख बिंदुओं को दैनिक डायरी में दर्ज किया जाना चाहिये।