चर्चा मेंक्यों?
z 16 सितंबर, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, भविष्य की ज़रूरतों और जलवायु परिवर्तन
को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ ऊर्जा स्रोत की तलाश और निवेशकों के प्रोत्साहन के लिये ‘राजस्थान ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2023’ के प्रारूप
का अनुमोदन कर दिया है। ऊर्जा विभाग द्वारा शीघ्र ही अधिसूचना जारी की जाएगी।
प्रमुख बिंदु
z मुख्यमंत्री के इस निर्णय से राज्य में ग्रीन एनर्जी उत्पादन करने वाली कंपनियों को विभिन्न प्रकार की सब्सिडी मिलेगी। प्रदेश में रोज़गार के
अवसर भी बढ़ेंगे।
z विदित है कि राजस्थान में अक्षय ऊर्जा के सर्वाधिक स्रोत उपलब्ध हैं। राज्य ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिये अत्यंत अनुकूल है।
z राज्य सरकार नीति के तहत निवेशकों को प्रोत्साहन देने के लिये विभिन्न सुविधाएँ देगी। इनमें राज्य के प्रसारण तंत्र पर स्थापित होने वाले
500 केटीपीए अक्षय ऊर्जा प्लांट को 10 वर्षों तक प्रसारण एवं वितरण शुल्क में 50 प्रतिशत छूट, थर्ड पार्टी से अक्षय ऊर्जा खरीदने पर
अतिरिक्त एवं क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज में 10 वर्ष तक पूर्ण छूट दी जाएगी।
z परिशोधित या खारे जल से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिये भूमि आवंटन में प्राथमिकता एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिये 30 प्रतिशत
(अधिकतम 5 करोड़ रुपए) अनुदान मिलेगा।
z इसके अतिरिक्त रिप्स-2022 के तहत विभिन्न छूट, जल की उपलब्धता एवं बैंकिंग सुविधाएँ भी दी जाएंगी। कैप्टिव पावर प्लांट की क्षमता
एवं उत्पादित बिजली की बैंकिंग पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। साथ ही, पीक आवर्स के दौरान बिजली निकासी पर लगी रोक भी नवीन नीति
में हटा दी गई है।
z ‘राजस्थान ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2023’ के तहत नई नीति में विद्युत संयंत्रों के लिये व्हीलिंग एवं ट्रांसमिशन शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति/
छूट होगी। इसके साथ ही बिजली संयंत्रों के लिये बैंकिंग शुल्क भी सात से दस वर्षों तक प्रतिपूर्ति/माफ किया जाएगा।
z ‘राजस्थान ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2023’ के तहत ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2022 के तहत थ्रस्ट सेक्टर में
शामिल किया जाएगा। साथ ही, इसे सनराइज सेक्टर में शामिल कर मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड पैकेज के परिलाभ दिये जाएंगे।
z उल्लेखनीय है कि ऊर्जा विभाग द्वारा नीति के प्रारूप को पब्लिक डोमेन में जारी कर हितधारकों से सुझाव लिये गए थे। महत्त्वपूर्ण सुझावों
को शामिल किया गया है।
z राज्य सरकार ने नीति में वर्ष 2030 तक 2000 केटीपीए ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसमें 4 श्रेणियों में परियोजनाएँ स्थापित होंगी।
z इनमें अक्षय ऊर्जा का निकास पावर ग्रिड के नेटवर्क के द्वारा, एक ही स्थान पर अक्षय ऊर्जा एवं हाइड्रोजन का उत्पादन (700 केटीपीए),
अक्षय ऊर्जा का 24 घंटे उत्पादन आरटीसी पावर (800 केटीपीए) और अक्षय ऊर्जा का निवास आरवीपीएन के नेटवर्क के द्वारा (500
केटीपीए) शामिल हैं।
z क्या है ग्रीन हाइड्रोजन :
ग्रीन हाइड्रोजन पुनर्नवीनीकरण/अक्षय ऊर्जा का नवीन एवं उदीयमान क्षेत्र है। इसमें अक्षय ऊर्जा के उपयोग से जल को इलेक्ट्रोलिसिस
कर हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। इसलिये इसे ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ कहा जाता है।
हाइड्रोजन का मुख्य उपयोग रिफाइनरी, स्टील प्लांट तथा अमोनिया बनाने में होता है। देश में कुल हाइड्रोजन की मांग 60 लाख टन है,
जबकि राजस्थान में 2.5 लाख टन है। इसका निर्माण प्रदूषण मुक्त होता है।
ज्ञातव्य है कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2022 और मिशन जारी किया जा चुका है। इसमें वर्ष 2030 तक 50 लाख
टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।