

सीएम की कुर्सी और वो कहानी… में आज हम लाए हैं राजस्थान के उस मुख्यमंत्री का किस्सा, जो सिर्फ 13 महीने ही कुर्सी पर रहे थे। 25 साल की उम्र में वे नेहरू से मिलने गए और वापसी के समय उनके पास लोकसभा चुनाव लड़ने का टिकट था। संजय गांधी ने सीएम मनोनीत किया तो महादेवी वर्मा की कविता पर टिप्पणी करने पर इंदिरा गांधी ने उनसे इस्तीफा मांग लिया।
कैसे बने मुख्यमंत्री?
5 जून, 1980 को दिल्ली स्थित राजस्थान हाउस में विधायक दल का नेता चुनने के लिए बैठक चल रही थी। कुछ विधायकों ने रामकिशोर व्यास का नाम फुसफुसाया, तभी पीछे से एक आवाज आई, ‘मुख्यमंत्री होंगे जगन्नाथ पहाड़िया।’
यह आवाज थी देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के नाती और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की। सभा खत्म और शपथ की तैयारी शुरू। 6 जून, 1980 को जगन्नाथ पहाड़िया ने शपथ ली और सूबे के पहले दलित सीएम बन गए।
शराबबंदी करने वाले पहले सीएम
जगन्नाथ पहाड़िया का कार्यकाल भले ही 13 महीने का रहा, लेकिन उन्होंने उस अवधि में ही राज्य में पूरी तरह शराबबंदी लागू कर दी थी।
पहाड़िया ने एक इंटरव्यू में बताया था, ”केंद्र सरकार ने वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार शराबबंदी के कारण होने वाले घाटे की पूर्ति नहीं की जाएगी। इसके बावजूद मैंने शराबबंदी को नहीं हटाया। क्योंकि मैं जानता था कि शराबखोरी से गरीब आदमी ही मरता है। दिन भर काम करता है और रात को शराब पीकर औरत को पीटता है।”