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मैनुअल स्कैवेंजिंग का उन्मूलन

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चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने ‘व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता – मैनुअल स्कैवेंजरों के अधिकार’ पर एक खुली चर्चा का आयोजन किया।

मैनुअल स्कैवेंजिंग

  • परिचय: मैनुअल स्कैवेंजिंग से आशय किसी व्यक्ति द्वारा बिना किसी विशेष सुरक्षा उपकरण के अपने हाथों से ही मानवीय अपशिष्टों (human excreta) की सफाई करने से है।
    • इसमें अस्वास्थ्यकर शौचालयों, खुली नालियों, गड्ढों या रेलवे पटरियों से मानव मल को मैन्युअल रूप से साफ करना शामिल है।
  • वर्तमान स्थिति: वर्ष 2021 में भारत में मैनुअल स्कैवेंजर की संख्या 58,098 दर्ज की गई, जिनमें से 75% महिलाएँ थीं।
    • 31 जुलाई, 2024 तक देश के 766 ज़िलों में से 732 ज़िलों ने खुद को मैनुअल स्कैवेंजिंग-मुक्त बताया है।
  • मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: मैनुअल स्कैवेंजिंग मौलिक अधिकारों, विशेषकर अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन) और अनुच्छेद 21 (सम्मान के साथ जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है।
  • मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित कानूनी ढांचा: 
    • मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013: मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 अस्वास्थ्यकर शौचालयों के निर्माण सहित मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाता है, और ऐसे शौचालयों को नष्ट करने या स्वच्छ शौचालयों में परिवर्तित करने का आदेश देता है।
      • इसमें कौशल विकास, वित्तीय सहायता और वैकल्पिक रोज़गार  के माध्यम से मैनुअल स्कैवेंजरों की पहचान और पुनर्वास का भी प्रावधान है।
  • SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989: यह मैनुअल स्कैवेंजिंग में अनुसूचित जातियों के नियोजन को अपराध मानता है।

मैनुअल स्कैवेंजर्स के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • स्वास्थ्य: मैनुअल स्कैवेंजरों को प्रायः मानव मल के संपर्क में आना पड़ता है, जिसमें अनेक रोगाणु होते हैं।
    • इस जोखिम के कारण वे हेपेटाइटिस, टेटनस और हैजा जैसी बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं।
    • सेप्टिक टैंकों में हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैसों की मौजूदगी से श्वासावरोध का गंभीर खतरा पैदा होता है, जिससे अचानक मृत्यु हो सकती है।
    • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई के कारण वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक 377 लोगों की मौत हो चुकी है।
  • सामाजिक कलंक: मैनुअल स्कैवेंजरों को कलंकित किया जाता है और उनके साथ अस्पृश्यता का व्यवहार किया जाता है, जिससे सामाजिक बहिष्कार को बल मिलता है और जाति व्यवस्था कायम रहती है।
  • आर्थिक चुनौतियाँ: मैनुअल स्कैवेंजरों को बहुत कम, न्यूनतम मजदूरी से भी कम, भुगतान किया जाता है, जिससे वे गरीबी के चक्र में फँसे रहते हैं।
    • उन्हें बिना किसी नौकरी की सुरक्षा या लाभ के, संविदा या दैनिक मजदूरी के आधार पर नियुक्त किया जाता है।
  • दोहरा भेदभाव: महिलाएँ, जो मैनुअल स्कैवेंजरों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं, को लैंगिक भेदभाव और सामाजिक कलंक के साथ-साथ यौन उत्पीड़न और शोषण जैसी असमानता का सामना करना पड़ता है।
  • मनोवैज्ञानिक मुद्दे: इस पेशे से जुड़ा सामाजिक कलंक प्रायः चिंता और अवसाद जैसी गंभीर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का कारण बनता है।
  • नशीली दवाओं का प्रयोग: अपने अनिश्चित कार्य के तनाव और कलंक से निपटने के लिये, कई मैनुअल स्कैवेंजर नशीली दवाओं का प्रयोग करते हैं, जिससे उनकी स्वास्थ्य समस्याएँ और बढ़ जाती हैं।

 

मैनुअल स्कैवेंजिंग पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश क्या हैं?

  • डॉ. बलराम सिंह मामला, 2023: सर्वोच्च न्यायालय ने मैनुअल स्कैवेंजिंग के पूर्ण उन्मूलन हेतु केंद्र, राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों को 14 निर्देश जारी किये, जिसमें अनुकूल नीतियाँ बनाने, पुनर्वास, मुआवज़ा आदि शामिल हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
    • मैनुअल सीवर सफाई प्रथा का उन्मूलन: मैनुअल सीवर सफाई को समाप्त करने के लिये चरणबद्ध उपाय करना।
    • सीवेज श्रमिकों का पुनर्वास: मुआवजा (मृत्यु पर 30 लाख रुपए, विकलांगता पर 10-20 लाख रुपए), निकटतम रिश्तेदारों के लिये रोज़गार तथा आश्रितों के लिये शिक्षा के प्रावधान
    • आउटसोर्स कार्य हेतु जवाबदेही: जवाबदेही तंत्र का प्रावधान, जिसमें अनुबंध रद्द करना एवं दंड शामिल हैं।
    • मुआवजे में NALSA की भागीदारी: मुआवजा संवितरण और प्रबंधन में NALSA की भागीदारी का प्रावधान।
    • निगरानी एवं पारदर्शिता: मृत्यु, मुआवज़ा और पुनर्वास की निगरानी हेतु एक पोर्टल का प्रावधान।

मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने के लिये भारत की क्या पहल हैं? 

आगे की राह

  • मशीनीकरण: स्वचालित या अर्द्ध-स्वचालित उपकरणों के प्रयोग से स्वच्छता कार्य को अधिक सुरक्षित एवं अधिक कुशल तरीके से प्रबंधित किया जाना चाहिये।
    • रोबोटिक उपकरण या वैक्यूम ट्रक इस कार्य को दूर से ही कर सकते हैं, जिससे खतरनाक वातावरण में मानव की भूमिका कम हो जाएगी।
  • OHS मानक: व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता 2020 (OHS संहिता 2020) के तहत सैनिटेशन कार्य को एक खतरनाक व्यवसाय के रूप में मान्यता देने से सुरक्षा मानकों एवं प्रवर्तन में बदलाव आ सकता है।
  • स्वास्थ्य परीक्षण: सभी शहरी स्थानीय निकायों में सफाई कर्मचारियों की समय-समय पर स्वास्थ्य जाँच होनी चाहिये, जिसमें श्वसन तथा त्वचा संबंधी स्थितियों पर ध्यान केंद्रित किये जाने के साथ स्पष्ट उपचार एवं रोकथाम प्रोटोकॉल अपनाए जाना शामिल हो।
    • स्वच्छ भारत मिशन (SBM) का विस्तार करके इसमें सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य तथा सम्मान को शामिल किया जाना चाहिये और सुरक्षा तथा सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • क्षमता निर्माण: श्रमिकों के लिये क्षमता निर्माण प्रशिक्षण एवं सुरक्षा उपकरण प्रदान करने चाहिये। खतरनाक अपशिष्ट की सफाई से संबंधित तकनीकी नवाचारों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिये।
    • स्थायी आजीविका हेतु मशीनीकरण को प्रोत्साहित करना चाहिये तथा श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के साथ महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाया जाना चाहिये।

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