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मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग स्कैन को समझना

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चुंबकीय अनुनादी इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging- MRI) क्या है?

  • परिचय:
    • MRI एक गैर-आक्रामक निदान प्रक्रिया है जिसका उपयोग शरीर के अंदर कोमल ऊतकों (Soft tissue) की छवियाँ प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
      • कोमल ऊतक, वह ऊतक है जो कैल्सीफिकेशन के कारण कठोर नहीं होते। कोमल ऊतकों का कैल्सीफिकेशन एक ऐसी स्थिति है जहाँ कैल्शियम लवण कोमल ऊतकों में एकत्रित हो जाते हैं, जिससे वे कठोर  हो जाते हैं।
      • इसका व्यापक रूप से मस्तिष्क, हृदय प्रणाली, रीढ़ की हड्डी, जोड़ों, मांसपेशियों, यकृत और धमनियों जैसे शरीर के विभिन्न हिस्सों की इमेजिंग के लिये उपयोग किया जाता है।
      •  X- किरणों के विपरीत, जो विकिरण का उपयोग करता है, MRI स्कैन शरीर के अंदर कोमल ऊतकों की विस्तृत छवियाँ बनाने के लिये शक्तिशाली चुंबक और रेडियो तरंगों का लाभ उठाता है।
    • प्रोफेसर पॉल सी. लॉटरबर और पीटर मैंसफील्ड ने अपने अभिनव शोध के लिये फिज़ियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में वर्ष 2003 का नोबेल पुरस्कार जीता, जिसके परिणामस्वरूप MRI का आविष्कार हुआ।
  • MRI का कार्य सिद्धांत:
    • हाइड्रोजन परमाणु का उपयोग: MRI प्रक्रिया स्कैन किये जा रहे शरीर के हिस्से में मौजूद हाइड्रोजन परमाणुओं का उपयोग करती है।
    • MRI मशीन घटक: MRI मशीन में चार आवश्यक घटक होते हैं, जिसमें एक सुपरकंडक्टिंग चुंबक, एक रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स एमिटर और एक डिटेक्टर शामिल है।
    • चुंबकीय क्षेत्र अनुप्रयोग: सुपरकंडक्टिंग चुंबक MRI स्कैनर के चारों ओर एक दृढ एवं स्थिर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, जिससे हाइड्रोजन परमाणुओं के घूर्णन अक्ष या तो क्षेत्र के समानांतर अथवा प्रतिसमानांतर संरेखित हो जाते हैं।
    • रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स उत्सर्जन: स्कैनर के निचले भाग से एक रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स उत्सर्जित होती है, जो असंरेखित हाइड्रोजन परमाणुओं की एक छोटी संख्या को उत्तेजित करती है।
    • सिग्नल का पता लगाना और छवि निर्माण: उत्तेजित परमाणुओं से उत्सर्जित ऊर्जा को एक संसूचक (रिसीवर) द्वारा संसूचित किया जाता है तथा संकेतों में परिवर्तित किया जाता है।
      • फिर इन संकेतों का उपयोग कंप्यूटर द्वारा स्कैन किये गए मानव शरीर के भागों की दो- या त्रि-आयामी छवियाँ बनाने के लिये किया जाता है।
  • MRI का महत्त्व: MRI प्रोस्टेट और रेक्टल कैंसर जैसे कैंसर के अवलोकन एवं उपचार के साथ-साथ अल्जाइमर, मनोभ्रंश, मिर्गी एवं ब्रेनस्ट्रोक सहित न्यूरोलॉजिकल स्थितियों की जाँच करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • इसके अतिरिक्त, शोधकर्त्ता रक्त प्रवाह में परिवर्तन का अध्ययन करने के लिये MRI स्कैन का उपयोग करते हैं, जो मस्तिष्क गतिविधियों को समझने में सहायता करता है, जिसे कार्यात्मक MRI के रूप में जाना जाता है।
  • MRI के लाभ:
    • उच्च स्तर की सटीकता: MRI मशीनें ग्रेडिएंट मैग्नेट के साथ शरीर के विशिष्ट भागों का सटीकता से स्कैन करती हैं।
    • सुरक्षा: MRI स्कैन से कोई दीर्घकालिक नुकसान नहीं होता है, और चुंबकीय क्षेत्र के प्रभावों का अच्छी तरह से अध्ययन किया जाता है।
    • बीमारी का प्रारंभिक पता लगाना: MRI कैंसर और मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारियों का शीघ्र पता लगाने में मदद करता है।
    • न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया: सर्जरी के विपरीत MRI सुरक्षित और आरामदायक है, इससे बच्चों एवं  बुज़ुर्गों को फायदा होता है।
  • MRI के जोखिम:
    • लागत: MRI मशीनों को खरीदना और उनका रखरखाव करना महँगा है, जिससे रोगियों के लिये नैदानिक लागत उच्च हो जाती है।
    • असुविधा और क्लॉस्ट्रोफोबिया: रोगियों को MRI मशीन के अंदर लंबे समय तक लेटे रहना पड़ता है जो विशेष रूप से क्लॉस्ट्रोफोबिक व्यक्तियों के लिये असुविधाजनक हो सकता है। 
    • सीमित दृश्यात्मक क्षमता: उनके भौतिक गुणों के कारण, MRI को कुछ ऊतकों जैसे हड्डी, वायु और कुछ प्रकार के प्रत्यारोपणों की इमेजिंग करने में कठिनाई होती है।
    • शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र: MRI में उपयोग किये जाने वाले शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र कुछ चिकित्सा प्रत्यारोपण (उदाहरण के लिये, पेसमेकर) या उनके शरीर में रखी धातु की वस्तुओं वाले रोगियों के लिये संभावित जोखिम उत्पन्न  कर सकते हैं।

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