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भारत का गेमिंग उद्योग

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भारत का जीवंत ऑनलाइन गेमिंग उद्योग तेज़ी से विकास कर रहा है, जो तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और तकनीक-प्रेमी आबादी से प्रेरित है। बढ़ती युवा आबादी और स्मार्टफोन एवं हाई-स्पीड इंटरनेट तक व्यापक पहुँच के साथ भारत का गेमिंग क्षेत्र वैश्विक गेमिंग परिदृश्य पर अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिये तैयार है।

भारत वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा गेमिंग बाज़ार है, जहाँ वर्ष 2023 में 568 मिलियन गेमर्स का उपयोगकर्ता आधार मौजूद था और 9.5 बिलियन से अधिक गेमिंग ऐप डाउनलोड किये गए। भारत में इस क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2020-23 के बीच 28% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ एक प्रभावशाली विकास प्रक्षेपवक्र का अनुभव किया है। यह उल्लेखनीय वृद्धि न केवल बड़ी मात्रा में विदेशी और घरेलू निवेश को आकर्षित कर रही है बल्कि प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार के पर्याप्त अवसर भी उत्पन्न कर रही है।

 

भारत में गेमिंग उद्योग के उदय में योगदान कर रहे प्रमुख कारक 

  • बेहतर इंटरनेट अवसंरचना और कनेक्टिविटी: टियर-II और टियर-III शहरों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के विकास ने ऑनलाइन गेमिंग की पहुँच को केवल मेट्रो क्षेत्रों तक सीमित नहीं रखते हुए इसके परे भी विस्तारित किया है।
    • भारतनेट (BharatNet) और राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (National Broadband Mission) जैसी पहलों का लक्ष्य ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँच उपलब्ध कराना है।
    • 4G के प्रसार और 5G नेटवर्क के आगमन से इंटरनेट की गति बढ़ी है और विलंबता या ‘लेटेंसी’ कम हुई है, जो निर्बाध ऑनलाइन गेमिंग अनुभव के लिये आवश्यक है।
  • डेटा और स्मार्टफोन तक सस्ती पहुँच: मोबाइल डेटा प्लान की घटती लागत (जो दूरसंचार ऑपरेटरों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्द्धा से प्रेरित है) ने ऑनलाइन गेमिंग के लिये डेटा को अधिक सुलभ एवं सस्ता बना दिया है।
    • प्रौद्योगिकी का यह लोकतंत्रीकरण सामाजिक-आर्थिक स्तरों पर ऑनलाइन गेमिंग के अंगीकरण में वृद्धि के पीछे एक महत्त्वपूर्ण प्रेरक शक्ति रहा है।
    • भारत में वर्तमान में लगभग 680 मिलियन स्मार्टफोन मौजूद हैं, जिनमें से 80% से अधिक 4G स्मार्टफोन हैं (काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार)।
      • भारत में गेमिंग बाज़ार में मोबाइल फोन का योगदान 90% है, जबकि अमेरिका और चीन में यह क्रमशः 37% और 62% है।
  • सांस्कृतिक बदलाव और बदलती धारणाएँ: कोविड-19 लॉकडाउन अवधि ने वर्चुअल मनोरंजन और सामाजिक संपर्क के रूप में ऑनलाइन गेमिंग के अंगीकरण में तेज़ी ला दी।
    • जून 2021 की KPMG रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन से पहले भारतीयों द्वारा ऑनलाइन गेम पर बिताया जाने वाला औसत समय प्रति सप्ताह 2.1 घंटे (कुल स्मार्टफोन समय का 11%) से बढ़कर लॉकडाउन के एक माह के भीतर 4.5 घंटे (कुल स्मार्टफोन समय का 15%) हो गया।
    • इससे धीरे-धीरे धारणा में बदलाव आया और ऑनलाइन गेमिंग को महज मनोरंजन के बजाय एक व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में देखा जाने लगा।
  • सरकारी समर्थन और नियामक स्पष्टता: ‘सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021’ जैसी पहलों ने ऑनलाइन गेमिंग के लिये एक नियामक ढाँचा प्रदान किया है, जो हानिकारक कंटेंट एवं लत (addiction) संबंधी चिंताओं को संबोधित करता है।
    • स्व-नियामक निकायों और एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग एंड कॉमिक्स (AVGC) प्रमोशन टास्क फोर्स की स्थापना का उद्देश्य गेमिंग उद्योग की वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देना है।
    • गेमिंग क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने के सरकार के निर्णय से अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों से वित्तपोषण प्राप्त करने के रास्ते खुल गए हैं।
    • इसके अलावा, सरकार द्वारा हाल ही में कंटेंट क्रिएटर्स अवार्ड 2024 में ‘गेमर्स’ को भी मान्यता देना समग्र गेमिंग क्षेत्र के विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

 

  • ई-स्पोर्ट्स और प्रतिस्पर्द्धी गेमिंग का उदय: राष्ट्रमंडल खेल 2022 और एशियाई खेल 2023 जैसी प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में मेडल के रूप में ई-स्पोर्ट्स को शामिल करने से एक वैध खेल गतिविधि के रूप में इसकी स्थिति एवं मान्यता सुदृढ़ हुई है।
    • ई-स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्मों पर भारतीय टीमों और खिलाड़ियों की सफलता ने उद्योग की छवि को बढ़ावा दिया है तथा आकांक्षी गेमर्स को प्रेरित किया है।
    • भारत का ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र वर्तमान में वैश्विक ऑनलाइन गेमिंग राजस्व में केवल 1.1% हिस्सेदारी रखता है।
  • अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का एकीकरण: ऑगमेंटेड रियलिटी (AR), वर्चुअल रियलिटी (VR), क्लाउड गेमिंग और ब्लॉकचेन जैसी प्रौद्योगिकियों के समावेशन ने गेमिंग अनुभव को समृद्ध किया है तथा नवाचार के लिये नए रास्ते खोले हैं।
    • AR और VR इमर्सिव और इंटरैक्टिव गेमप्ले मैकेनिक्स प्रदान करते हैं, जबकि क्लाउड गेमिंग हाई-एंड हार्डवेयर की आवश्यकता को समाप्त कर देती है, जिससे गेमिंग सभी डिवाइसों पर अभिगम्य हो जाती है।
    • ब्लॉकचेन का एकीकरण डिजिटल आस्तियों के स्वामित्व, अर्थव्यवस्थाओं के टोकेनाइज़ेशन और गेम्स एवं प्लेटफॉर्मों के बीच अंतर-संचालन को सक्षम बनाता है, जिससे सहभागिता में वृद्धि होती है।
  • वृद्धिशील स्टार्टअप पारितंत्र और निवेश अंतर्वाह: भारत के जीवंत स्टार्ट-अप पारितंत्र ने कई गेमिंग कंपनियों एवं प्लेटफॉर्मों को जन्म दिया है, जो नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय उपभोक्ताओं की विविध गेमिंग संबंधी पसंदों की पूर्ति कर रहे हैं।
    • भारत ने 3 गेमिंग यूनिकॉर्न भी पैदा किये हैं: गेम 24X7, ड्रीम11 और मोबाइल प्रीमियर लीग।

भारत के गेमिंग क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:

  • विनियामक अस्पष्टता और खंडित नीतियाँ: भारत में गेमिंग उद्योग के लिये एक सुसंगत एवं व्यापक विनियामक ढाँचे की कमी ने इस क्षेत्र की कंपनियों के लिये अस्पष्टता एवं अनिश्चितता के माहौल का निर्माण किया है।
    • विभिन्न राज्यों में ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिये अलग-अलग कानून और नियम पाए जाते हैं, जिसके कारण नीति परिदृश्य खंडित हो गया है।
    • उदाहरण के लिये, जहाँ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने कुछ प्रकार के ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों ने अधिक उदार दृष्टिकोण अपनाया है।
  • कराधान संबंधी चिंताएँ और संवहनीयता संबंधी चुनौतियाँ: हाल ही में सट्टे के कुल अंकित मूल्य पर 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) कर के अधिरोपण से गेमिंग उद्योग की दीर्घकालिक संवहनीयता, विशेष रूप से छोटे स्टार्टअप और छोटी कंपनियों के लिये, के बारे में चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।
    • आलोचकों का तर्क है कि इस उच्च कर दर के कारण कई छोटी गेमिंग कंपनियाँ अपना कारोबार बंद करने के लिये विवश हो सकती हैं, जिससे नवाचार पर असर पड़ेगा और उद्योग के विकास में बाधा उत्पन्न होगी।
  • अवसंरचना और कनेक्टिविटी संबंधी चुनौतियाँ: हालाँकि उल्लेखनीय सुधार हुए हैं, फिर भी देश के कई हिस्सों में, विशेष रूप से ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में, विश्वसनीय एवं हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुँच एक चुनौती बनी हुई है।
    • ग्रामीण आबादी का केवल 31% भाग इंटरनेट का उपयोग करता है, जबकि उनके शहरी समकक्षों के लिये यह आँकड़ा 67% है (भारत असमानता रिपोर्ट 2022)
  • कंटेंट का स्थानीयकरण और सांस्कृतिक प्रासंगिकता: भारत के विविध सांस्कृतिक एवं भाषाई परिदृश्य के अनुरूप गेम्स और कंटेंट का विकास करना गेम डेवलपर्स के लिये चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
    • उदाहरण के लिये, ‘लूडो किंग’ जैसे कुछ गेम्स ने स्थानीय पसंद के अनुरूप स्वयं को सफलतापूर्वक ढाल लिया है, जबकि कई अंतर्राष्ट्रीय गेम्स को भारतीय उपयोगकर्ताओं के बीच समान स्तर का सांस्कृतिक अनुनाद पाने में संघर्ष करना पड़ रहा है।
  • ज़िम्मेदार गेमिंग और लत संबंधी चिंताएँ: जैसे-जैसे गेमिंग उद्योग का विकास हो रहा है, गेमिंग की लत (विशेष रूप से बच्चों एवं किशोरों में) के संभावित खतरों के बारे में वैध चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं।
    • भारतीय आबादी में किशोर आयु वर्ग में इंटरनेट गेमिंग विकार (internet gaming disorder) की व्यापकता 1.3 से 19.9% तक पाई गई है।
    • हाल ही में बेंगलुरु में ‘बिवेयर ऑफ स्मार्टफोन जॉम्बीज’ के साइनबोर्ड सुर्ख़ियों में आए जो ‘डिजिटल डिस्ट्रैक्शन’ की बढ़ती महामारी की ओर ध्यान दिलाते हैं।

भारत में गेमिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक उपाय:

  • नियामक स्पष्टता बढ़ाना: गेमिंग क्षेत्र में नियामक स्पष्टता बढ़ाना, विशेष रूप से वर्ष 2021 के सूचना एवं प्रौद्योगिकी नियमों द्वारा स्व-नियामक निकायों की स्थापना के प्रभावी कार्यान्वयन के संबंध में, अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
    • यह मामला वर्तमान में लंबित है, जहाँ उनके इच्छित प्रभाव की उपेक्षा की जा रही है, जबकि इनकी तात्कालिक आवश्यकता है।
  • समर्पित ‘गेमिंग हब’ और ‘इनक्यूबेटर’: नवाचार, सहयोग एवं प्रतिभा विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रमुख शहरों में विशेष गेमिंग हब और इनक्यूबेटर स्थापित किये जाएँ।
    • ये हब गेम डेवलपर्स, स्टार्टअप्स और आकांक्षी पेशेवरों के लिये अत्याधुनिक अवसंरचना, मार्गदर्शन एवं संसाधन उपलब्ध करा सकते हैं।
  • भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं पर आधारित गेम डेवलपमेंट को बढ़ावा देना: गेम डेवलपर्स को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, पौराणिक कथाओं एवं लोककथाओं पर आधारित गेम्स के निर्माण के लिये प्रेरित किया जाए और प्रोत्साहन (incentive) प्रदान  किया जाए।
    • इससे भारतीय गेम्स के लिये एक विशिष्ट पहचान के निर्माण में मदद मिलेगी, जो घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों उपभोक्ताओं को आकर्षित करेगी।
    • उदाहरण के लिये, ‘राजी: एन एंशियंट एपिक’ जैसे गेम्स ने भारतीय सांस्कृतिक तत्वों को आकर्षक गेमप्ले के साथ सफलतापूर्वक मिश्रित किया है।
  • नवोन्मेषी वित्तपोषण और निवेश मॉडल: गेम डेवलपमेंट और स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिये क्राउड-फंडिंग, उद्यम पूंजी निवेश और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) जैसे वैकल्पिक वित्तपोषण मॉडलों को प्रोत्साहित किया जाए।
    • उदाहरण के लिये, Ubisoft जैसी वैश्विक गेमिंग कंपनियों ने ब्लॉकचेन-आधारित परिसंपत्तियों और इन-गेम अर्थव्यवस्थाओं (in-game economies) के साथ प्रयोग किया है।
  • भारत की गेमिंग क्रांति की अग्रदूत के रूप में महिलाएँ: भारत की गेमिंग आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 40% है, जो उन्हें देश की गेमिंग क्रांति के नेतृत्व के लिये एक सुदृढ़ स्थिति प्रदान करता है।
    • भारत गेमिंग उद्योग में महिलाओं को सशक्त बनाकर और उन्हें समर्थन देकर प्रतिभा, विविध दृष्टिकोण एवं नवोन्मेषी विचारों का समृद्ध संसाधन पा सकता है, जो इस क्षेत्र के विकास और सफलता को गति प्रदान कर सकता है।

 

  • विभिन्न उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना: गेमिंग क्षेत्र की वृहत संभावनाओं का पता लगाने के लिये गेमिंग उद्योग और पर्यटन, शिक्षा एवं आतिथ्य जैसे अन्य क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
    • विभिन्न उद्योगों के बीच ऐसे सहयोग से विभिन्न क्षेत्रों में गेमिंग प्रौद्योगिकी के नवोन्मेषी अनुप्रयोगों को बढ़ावा मिल सकता है।

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