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भारत और अमेरिका ने समानीकरण शुल्क 2020 पर संक्रमणकालीन दृष्टिकोण को 30 जून, 2024 तक बढ़ाया

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8 अक्टूबर, 2021 को भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने OECD/G20 समावेशी ढांचे के 134 अन्य सदस्यों (ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम सहित) के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से उत्पन्न होने वाली कर चुनौतियों का समाधान करने के लिए दो-स्तंभ समाधान पर वक्तव्य पर सहमति बनाई।

21 अक्टूबर, 2021 को संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम ने स्तंभ 1 के कार्यान्वयन के दौरान लागू एकतरफा उपायों के लिए संक्रमणकालीन दृष्टिकोण पर एक राजनीतिक समझौता किया। यह समझौता उस संयुक्त वक्तव्य में परिलक्षित होता है जो उस तिथि को उन छह देशों द्वारा जारी किया गया था (“21 अक्टूबर का संयुक्त वक्तव्य”)।

24 नवंबर, 2021 को भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका इस बात पर सहमत हुए कि 21 अक्टूबर के संयुक्त वक्तव्य के तहत लागू होने वाली वही शर्तें भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच ई-कॉमर्स आपूर्ति सेवाओं पर 2% इक्वलाइजेशन लेवी के भारत के शुल्क और उक्त इक्वलाइजेशन लेवी के संबंध में संयुक्त राज्य अमेरिका की व्यापार कार्रवाई के संबंध में लागू होंगी। इस समझौते की वैधता 1 अप्रैल 2022 से पिलर वन के कार्यान्वयन तक या 31 मार्च 2024 तक थी, जो भी पहले हो। यह दोनों पक्षों द्वारा दिए गए सार्वजनिक बयानों (“24 नवंबर के वक्तव्य”) में कहा गया था। 18 दिसंबर, 2023 को समावेशी ढांचे ने एक बयान जारी किया, जिसमें मार्च 2024 के अंत तक पिलर 1 बहुपक्षीय सम्मेलन के पाठ को अंतिम रूप देने का आह्वान किया गया, ताकि जून 2024 के अंत तक हस्ताक्षर समारोह आयोजित किया जा सके।

15 फरवरी, 2024 को, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम ने 21 अक्टूबर के संयुक्त वक्तव्य में निर्धारित राजनीतिक समझौते को 30 जून, 2024 तक बढ़ाने का फैसला किया। यह निर्णय 15 फरवरी, 2024 को उनके द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य (“अद्यतित 21 अक्टूबर संयुक्त वक्तव्य”) में परिलक्षित होता है।

उपर्युक्त घटनाक्रमों के मद्देनजर, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने 24 नवंबर के वक्तव्यों में दर्शाए गए समझौते की वैधता को 30 जून, 2024 तक बढ़ाने का फैसला किया है। संक्रमणकालीन दृष्टिकोण की अन्य सभी शर्तें समान रहेंगी।

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका निकट संपर्क में रहेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संबंधित प्रतिबद्धता के बारे में आम समझ हो और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से इस मामले पर सभी मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाए।

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