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भारतीय अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट 2023

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चर्चा में क्यों? 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने वर्ष 2023 के लिये भारतीय अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट (ISSAR) जारी की है, जो भारत की अंतरिक्ष संपत्तियों की वर्तमान स्थिति और अंतरिक्ष में संभावित टकरावों के प्रति उनकी भेद्यता का व्यापक अवलोकन प्रदान करती है।

ISSAR रिपोर्ट, 2023 क्या दर्शाती है?

  • स्पेस ऑब्जेक्ट  की संख्या:
    • वैश्विक वृद्धि: वैश्विक स्तर पर, वर्ष 2023 में 212 लॉन्च और ऑन-ऑर्बिट ब्रेकअप घटनाओं द्वारा  अतंरिक्ष में 3,143 ऑब्जेक्ट्स शामिल किये गए हैं।
    • भारतीय परिवर्धन: भारत ने दिसंबर, वर्ष 2023 के अंत तक 127 उपग्रहों के प्रक्षेपण के साथ इसमें योगदान दिया।
      • वर्ष 2023 में ISRO के सभी सात प्रक्षेपण अर्थात SSLV-D2/EOS7, LVM3-M3/ONEWEB 2, PSLV-C55/ TeLEOS-2, LVM3-M4/ चंद्रयान-3, एवं PSLV-C57/आदित्य L-1 सफल रहे।
      • कुल 5 भारतीय उपग्रह, 46 विदेशी उपग्रह और 8 रॉकेट निकाय (POEM-2 सहित) को उनकी इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया गया।
  • भारतीय अंतरिक्ष संपत्तियाँ:
    • परिचालन उपग्रह: 31 दिसंबर वर्ष 2023 तक, भारत के पास परिचालन उपग्रह के लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit- LEO) में 22 और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (Geostationary Orbit- GEO) में 29 हैं।
    • गहन अंतरिक्ष मिशन: तीन सक्रिय भारतीय गहन अंतरिक्ष मिशन हैं, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, आदित्य-एल1 और चंद्रयान-3 प्रोपल्शन मॉड्यूल।
  • अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता गतिविधियाँ: 
    • ISRO नियमित रूप से भारतीय अंतरिक्ष संपत्तियों हेतु अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के निकट दृष्टिकोण की भविष्यवाणी करने के लिये विश्लेषण करता है।
    • महत्त्वपूर्ण निकट दृष्टिकोण के मामले में ISRO अपने परिचालन अंतरिक्ष यान की सुरक्षा हेतु टकराव बचाव युद्धाभ्यास (Collision Avoidance Maneuvers- CAMs) करता है।
      • USSPACECOM (US स्पेस कमांड) द्वारा लगभग 1 लाख निकट दृष्टिकोण संकेत प्राप्त हुए थे तथा ISRO उपग्रहों के लिये 1 किमी. की दूरी के भीतर निकट दृष्टिकोण के लिये 3,000 से अधिक संकेतों का पता लगाया गया था।
    • चंद्रयान-3 मिशन के पूरे मिशन चरणों के दौरान और इसके पृथ्वी से जुड़े चरण के दौरान आदित्य-एल1 के लिये भी अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के साथ कोई निकट संपर्क नहीं पाया गया।
  • टकराव बचाव युद्धाभ्यास (CAMs):
    • रिपोर्ट में वर्ष 2023 में ISRO द्वारा आयोजित CAMs की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।
    • संभावित टकरावों का आकलन करने और उन्हें रोकने के लिये ISRO टकराव बचाव विश्लेषण (COLA) आयोजित करता है।
      • वर्ष 2022 में 21 और वर्ष 2021 में 19 की तुलना में भारतीय अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के लिये 2023 में कुल 23 टकराव बचाव युद्धाभ्यास (CAMs) संचालित किये गए।
  • उपग्रहों का पुनः प्रवेश:
    • रिपोर्ट में वर्ष 2023 में 8 भारतीय उपग्रहों के सफलतापूर्वक पुनः प्रवेश का विवरण दिया गया है। इसमें मेघा-ट्रॉपिक्स-1,की नियंत्रित डी-ऑर्बिटिंग शामिल है, जो अंतरिक्ष मलबे के ज़िम्मेदार प्रबंधन के लिये ISRO की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
  • अंतरिक्ष स्थिरता पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • ISRO कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भागीदार है जैसे कि 13 अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ इंटर-एजेंसी डिब्रिस कोऑर्डिनेशन कमेटी (IADC), इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (IAA) स्पेस डेब्रिस वर्किंग ग्रुप, इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल फेडरेशन (IAF) स्पेस ट्रैफिक मैनेजमेंट वर्किंग ग्रुप, इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर स्टैंडर्डाइज़ेशन (ISO) स्पेस डेब्रिस वर्किंग ग्रुप और यूएन-कमेटी ऑन द पीसफुल यूज़ ऑफ आउटर स्पेस (COPUOS) अंतरिक्ष मलबे तथा बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता पर चर्चा एवं दिशानिर्देशों में योगदान दे रहे हैं।
    • 2023-24 के लिये IADC के अध्यक्ष के रूप में ISRO ने अप्रैल 2024 में 42वीं वार्षिक IADC बैठक की मेज़बानी की।
    • IADC वार्षिक पुनः प्रवेश अभियान में भाग लेने के अतिरिक्त, ISRO ने अंतरिक्ष मलबे में कमी करने और अंतरिक्ष स्थिरता के अन्य क्षेत्रों के लिये संगठन के नियमों को संशोधित करने में सहायता की।
  • अंतरिक्ष मलबे से संबंधित चुनौतियाँ:
    • रिपोर्ट में अंतरिक्ष मलबे से संबंधित चुनौतियों को भी स्वीकार किया गया है। यह रिपोर्ट रेखांकित करती है कि भारतीय प्रक्षेपणों के 82 रॉकेट पिंड कक्षा में बने हुए हैं, जिसमें वर्ष 2001 के PSLV-C3 दुर्घटना के टुकड़े अभी भी कुल में योगदान दे रहे हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO):

  • ISRO भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग (DOS ) का एक प्रमुख घटक है।
    • भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को चलाने के लिये विभाग मुख्य रूप से विभिन्न ISRO केंद्रों या इकाइयों का उपयोग करता है।
  • ISRO पहले भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) थी, जिसकी स्थापना 1962 में डॉ. विक्रम ए साराभाई की कल्पना के अनुरूप की गई थी।
  • ISRO का गठन 15 अगस्त 1969 को किया गया था तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिये एक विस्तारित भूमिका के साथ इसने INCOSPAR का स्थान ले लिया।
    • DOS की स्थापना की गई और 1972 में ISRO को DOS के अंतर्गत लाया गया।
  • ISRO/DOS का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है।
  • ISRO ने उपग्रहों को आवश्यक कक्षाओं में स्थापित करने के लिये उपग्रह प्रक्षेपण वाहन, PSLV और GSLV विकसित किये हैं।
  • ISRO का मुख्यालय बंगलूरू में है।
  • इसकी गतिविधियाँ विभिन्न केंद्रों और इकाइयों में विस्तारित हैं।
    • प्रक्षेपण यानों का निर्माण विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (Vikram Sarabhai Space Centre- VSSC) तिरुवनंतपुरम में किया गया है।
    • उपग्रहों को यू. आर.राव उपग्रह केंद्र (URSC) बंगलूरू में डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
    • उपग्रहों और प्रक्षेपण वाहनों का एकीकरण एवं प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा से किया जाता है।
    • क्रायोजेनिक चरण सहित तरल चरणों का विकास तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC), वलियामाला और बंगलूरू में किया जाता है
    • संचार एवं रिमोट सेंसिंग उपग्रहों के लिये सेंसर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग पहलुओं का कार्य अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC), अहमदाबाद में किया जाता है।
    • रिमोट सेंसिंग उपग्रह डेटा रिसेप्शन प्रसंस्करण और प्रसार का काम राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC), हैदराबाद को सौंपा गया है।
  • ISRO की गतिविधियों को इसके अध्यक्ष द्वारा निर्देशित किया जाता है, जो DOS के सचिव एवं अंतरिक्ष आयोग (वह शीर्ष निकाय जो अंतरिक्ष नीतियाँ बनाता है तथा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के कार्यान्वयन की देखरेख करता है) का अध्यक्ष भी होता है।

आगे की राह

  • टकराव से बचने एवं अंतर-ऑपरेटर समन्वय के लिये प्रक्रियाओं का मानकीकरण करने के साथ, अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन (STM) के लिये एक वैश्विक ढाँचा स्थापित किया जाना चाहिये।
  • अंतरिक्ष मलबे को कम करने के उपायों तथा धारणीय उपग्रह उपयोग सहित उत्तरदायी अंतरिक्ष प्रथाओं की वृद्धि की जानी चाहिये।
  • सक्रिय अंतरिक्ष मलबा हटाने एवं कक्षा में सर्विसिंग प्रौद्योगिकियों में नवाचार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता के लिये संसाधनों, विशेषज्ञता एवं डेटा को साझा करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सुविधा प्रदान की जानी चाहिये।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र की उभरती हुई आवश्यकताओं को समायोजित करने तथा अंतरिक्ष स्थिरता के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिये अंतरिक्ष नियमों की समीक्षा और अद्यतन किया जाना चाहिये।

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