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प्रतुष टेलीस्कोप

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चर्चा में क्यों? 

चंद्रमा और उसके चारों ओर कक्षा में स्थापित होने वाले उच्च-रिज़ॉल्यूशन टेलीस्कोप को लेकर विश्व स्तर पर खगोलविदों को अन्वेषण के एक नए युग की शुरुआत की उम्मीद है। भारत के ‘प्रतुष’ (Probing ReionizATion of the Universe using Signal from Hydrogen-  PRATUSH) यानी हाइड्रोजन से सिग्नल का उपयोग करके ब्रह्मांड के पुनर्आयनीकरण की जाँच जैसे विभिन्न प्रस्तावों का उद्देश्य ब्रह्मांड के क्षेत्र में नए अवसरों की तलाश करना है।

प्रतुष क्या है? 

  • परिचय:
    • प्रतुष एक रेडियो टेलीस्कोप है जिसे चंद्रमा के सुदूर भाग पर स्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। इसका निर्माण रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI), बंगलूरूऔर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा किया गया है।

PRATUSH

  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य ब्रह्मांड में तारों के निर्माण का समय और विशेषताओं को उजागर करना है, जिसमें कॉस्मिक डॉन के दौरान प्रकाश का रंग भी शामिल है।
    • यह हमारे प्रारंभिक ब्रह्मांड की ठंडी गैस अवस्था से लेकर तारों, आकाशगंगाओं और ब्रह्मांड के निर्माण तक के विकास के बारे में जानकारी प्रदान करेगा जैसा कि वर्तमान में बिग बैंग के बाद देखा जाता है।
      • कॉस्मिक डॉन उस अवधि को चिह्नित करता है जब ब्रह्मांड में विकिरण के पहले स्रोत, जैसे- तारे और आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ था।
  • क्षमताएँ:
    • प्रतुष 30 मेगाहर्ट्ज़ से 250 मेगाहर्ट्ज़ तक की व्यापक आवृत्ति सीमा को कवर करने वाले उन्नत रेडियो उपकरण ले जाएगा।
      • यह निरंतर अंतरिक्ष क्षेत्रों का निरीक्षण करेगा, 100 किलोहर्ट्ज़ के रिज़ॉल्यूशन के साथ विस्तृत रेडियो वर्णक्रम को रिकॉर्ड करेगा।
    • इसमें उच्च-रिज़ॉल्यूशन के वर्णक्रमीय विश्लेषण हेतु एक कस्टम-डिज़ाइन एंटीना, एनालॉग रिसीवर और डिजिटल सहसंबंधक (correlator) शामिल है।
      • इसका उद्देश्य सटीक लक्ष्य के साथ कुछ मिलीकेल्विन के संवेदनशीलता स्तर को प्राप्त करना है।
      • मिलीकेल्विन (mK) माप की एक इकाई है, जिसका उपयोग केल्विन पैमाने पर तापमान को व्यक्त करने के लिये किया जाता है, जहाँ 1 मिलीकेल्विन 1000 केल्विन के बराबर होता है।
    • इसे एक परिधीय कक्षा में दो वर्ष के मिशन के लिये डिज़ाइन किया गया है ताकि किसी अन्य हस्तक्षेप से बचा जा सके और इष्टतम रेडियो आकाशीय माप को प्राप्त किया जा सके।

चंद्रमा पर टेलीस्कोप से संबंधित अन्य वैश्विक मिशन:

  • लुनार सरफेस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एक्सपेरिमेंट (LuSEE) नाइट प्रोजेक्ट: यह NASA और बर्कले लैब के बीच एक समन्वय है और इसका लक्ष्य चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर उतरना है। इसे दिसंबर, 2025 में लॉन्च किया जाना निर्धारित है।
  • नासा का लॉन्ग-बेसलाइन ऑप्टिकल इमेजिंग इंटरफेरोमीटर: इसे कुछ भागों में लॉन्च किया जाएगा और जिन्हें चंद्रमा के सुदूर हिस्से में स्थापित किया जाएगा।
    • यह दृश्यमान और पराबैंगनी तरंगदैर्ध्य का उपयोग करके तारों तथा आकाशगंगाओं में चुंबकीय गतिविधि का अध्ययन करेगा।
  • ESA का अर्गोनॉटः यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने गुरुत्वाकर्षण तरंग का पता लगाने और अवरक्त अवलोकनों पर ध्यान केंद्रित करने वाली अन्य परियोजनाओं के साथ वर्ष 2030 तक अपने चंद्र लैंडर, ‘अर्गोनॉट’ पर एक रेडियो टेलीस्कोप लॉन्च करने की योजना बनाई है।
  • चीन का मून-ऑर्बिटिंग रेडियो टेलीस्कोप: चीन द्वारा वर्ष 2026 में एक मून-ऑर्बिटिंग रेडियो टेलीस्कोप लॉन्च किये जाने की संभावना है, जो स्वयं को चंद्र अन्वेषण और खगोलीय अनुसंधान में सबसे आगे रखेगा।
    • मून-ऑर्बिट में तैनात क्यूकिआओ-2 (Queqiao-2) उपग्रह में रेडियो खगोल विज्ञान के लिये 4.2 मीटर का एक एंटीना है।

टेलीस्कोप (दूरबीन) क्या हैं?

  • परिचय: टेलीस्कोप दूर की वस्तुओं की आवर्द्धित छवियाँ (Magnified Images ) बनाने के लिये प्रकाश को इकट्ठा करने और केंद्रित करने हेतु डिज़ाइन किये गए उपकरण हैं।
    • सदियों से विकसित, प्रारंभिक दूरबीनों का श्रेय 17वीं शताब्दी में गैलीलियो गैलीली और जोहान्स केपलर जैसे आविष्कारकों को दिया गया।
  • कार्य: टेलीस्कोप अंतरिक्ष से प्रकाश एकत्रित करते हैं और उसे बढ़ाते हैं जिससे खगोलविदों को खगोलीय पिंडों का विस्तार से अध्ययन करने की अनुमति मिलती है।
    • वे दूर की वस्तुओं का निरीक्षण करने, आकाश का नक्शा बनाने, ब्रह्मांडीय घटनाओं का अध्ययन करने, एक्सोप्लैनेट का पता लगाने और विद्युत चुंबकीय विकिरण की विभिन्न तरंगदैर्ध्य का पता लगाने में मदद करते हैं, जिससे ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ विकसित होती है।
    • टेलीस्कोप प्रकाश को एकत्रित करने और केंद्रित करने के लिये लेंस या दर्पण का उपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप आकाशीय पिंडों का एक बड़ा और स्पष्ट दृश्य दिखाई देता है।
  • टेलीस्कोप के प्रकार:
    • कैटैडिओप्ट्रिक या कंपाउंड टेलीस्कोप: प्रकाश को फोकस करने के लिये लेंस और दर्पण दोनों को संयुक्त रूप से जोड़ना।
      • उदाहरण: श्मिट-कैसेग्रेन और मक्सुटोव-कैसेग्रेन दूरबीन।
    • रेडियो टेलीस्कोप:आकाशीय पिंडों द्वारा उत्सर्जित रेडियो तरंगों का पता लगाना, जिसमें बड़े डिश एंटीना और रिसीवर शामिल हैं।
      • उदाहरण: विशाल मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी), पुणे।
    • अंतरिक्ष टेलीस्कोप: यह बाह्य अंतरिक्ष में खगोलीय पिंडों का अवलोकन करने के लिये उपयोग की जाने वाली एक दूरबीन या टेलीस्कोप है।
      • उदाहरण: हबल स्पेस टेलस्कोप (प्रतिबिंबित दूरबीन) और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (प्रतिबिंबित दूरबीन)।

नोट: नासा भविष्य के लिये बड़े स्पेस टेलीस्कोप​​ की योजना बना रहा है, जिसे हैबिटेबल वर्ल्ड्स ऑब्जर्वेटरी (HWO) कहा जाता है। यह टेलीस्कोप पराबैंगनी, दृश्यमान एवं नियर इन्फ्रारेड तरंगदैर्ध्य पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो संभावित रूप से रहने योग्य एक्सोप्लैनेट की खोज के लिये आदर्श है। यह परियोजना अभी अपने विकास के प्रारंभिक चरण में है।

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