हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिये प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (PMJUGA ) को मंजूरी दी ।
PMJUGA के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: यह जनजातीय बहुल गाँवों और आकांक्षी ज़िलों में जनजातीय परिवारों के कल्याण के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है ।
- लक्षित क्षेत्र और कवरेज: यह 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सभी आदिवासी बाहुल्य गाँवों के 549 ज़िलों और 2,740 ब्लॉकों को कवर करेगा ।
- इससे लगभग 63,000 गाँव और 5 करोड़ से अधिक जनजातीय लोग लाभान्वित होंगे।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 10.42 करोड़ (8.6%) है, जिसमें 705 से अधिक जनजातीय समुदाय शामिल हैं ।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इनके बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका जैसे सामाजिक बुनियादी ढाँचे के संदर्भ में अंतराल को कम करना है।
- मिशन के लक्ष्य: इसमें 25 हस्तक्षेप शामिल हैं, जिन्हें अनुसूचित जनजातियों के लिये विकास कार्य योजना (DAPST) के तहत आवंटित धनराशि के माध्यम से 17 मंत्रालयों द्वारा अगले 5 वर्षों में कार्यान्वित किया जाएगा ताकि निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
- सक्षम बुनियादी ढाँचे का विकास:
- पात्र परिवारों के लिये पक्का आवास: पात्र एसटी परिवारों को PMAY (ग्रामीण) के तहत पक्का आवास मिलेगा, जिसमें नल का जल ( जल जीवन मिशन ) और विद्युत् की आपूर्ति शामिल है। पात्र एसटी परिवारों को आयुष्मान भारत कार्ड (PMJAY) का भी लाभ मिलेगा ।
- गाँव के बुनियादी ढाँचे में सुधार: अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गाँवों में सभी मौसम के लिये सड़क संपर्क सुनिश्चित करना (PMGSY), मोबाइल कनेक्टिविटी ( भारत नेट ) और इंटरनेट तक पहुँच प्रदान करना, स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा में सुधार के लिये बुनियादी ढाँचे ( राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, समग्र शिक्षा और पोषण अभियान ) को बढ़ावा देना।
- आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा: यह प्रशिक्षण ( कौशल भारत मिशन ) तक पहुँच प्रदान करके, जनजातीय बहुउद्देशीय विपणन केंद्र (TMMC) से विपणन सहायता के साथ वन अधिकार अधिनियम, 2006 (FRA) पट्टा धारकों के लिये कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्रों में सहायता के माध्यम से कौशल विकास, उद्यमिता संवर्द्धन और उन्नत आजीविका (स्वरोज़गार) पर केंद्रित है।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच का सार्वभौमिकरण: स्कूल और उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER) को बढ़ाने और ज़िला/ब्लॉक स्तर पर स्कूलों में आदिवासी छात्रावासों की स्थापना करके अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सस्ती और सुलभ बनाने के प्रयास किये जाएंगे (समग्र शिक्षा अभियान) ।
- स्वस्थ जीवन और सम्मानजनक वृद्धावस्था: इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल इकाइयों के माध्यम से IMR, MMR और टीकाकरण कवरेज के राष्ट्रीय मानकों तक पहुँचना है, जो उप केंद्र मैदानी क्षेत्रों में 10 किलोमीटर से अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में 5 किलोमीटर से अधिक दूर हैं ।
- सक्षम बुनियादी ढाँचे का विकास:
- मानचित्रण और निगरानी: इस मिशन के अंतर्गत शामिल जनजातीय गाँवों को पीएम गति शक्ति पोर्टल पर अंकित किया जाएगा, जिसमें संबंधित मंत्रालय द्वारा योजना विशिष्ट आवश्यकताओं के लिये पहचाने गए अंतरालों को शामिल करने के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले ज़िलों को पुरस्कृत किया जाएगा।
नोट:
- DAPST भारत में जनजातीय विकास के लिये एक रणनीति है। जनजातीय मामलों का मंत्रालय और 41 अन्य मंत्रालय एवं विभाग DAPST के तहत जनजातीय विकास परियोजनाओं के लिये धन आवंटित करते हैं ।
- इन परियोजनाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, विद्युतीकरण और रोज़गार शामिल हैं ।
PMJUGA के तहत आदिवासियों के बीच आजीविका को बढ़ावा देने हेतु अभिनव योजनाएँ क्या हैं?
- जनजातीय गृह प्रवास: जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने और वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने के लिये, पर्यटन मंत्रालय द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के तहत 1,000 गृह प्रवासों को बढ़ावा दिया जाएगा।
- पर्यटन की संभावना वाले गाँवों को 5-10 होमस्टे के लिये वित्त पोषण मिलेगा, जिसमें प्रत्येक परिवार को दो नए कमरे बनाने के लिये 5 लाख रुपये, मौजूदा कमरों के नवीनीकरण के लिये 3 लाख रुपये और ग्राम समुदाय की आवश्यकता के लिये 5 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा।
- वन अधिकार धारकों के लिये सतत् आजीविका: इस मिशन का विशेष ध्यान वन क्षेत्रों में वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत 22 लाख पट्टा धारकों पर है। इसका उद्देश्य वन अधिकारों की मान्यता में तेजी लाना, आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाना और विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से इन्हें सतत् आजीविका प्रदान करना है।
- सरकारी आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों के बुनियादी ढाँचे में सुधार: इस पहल में स्थानीय शैक्षिक संसाधनों को उन्नत बनाने, नामांकन को बढ़ावा देने और इन संस्थानों में छात्रों को बनाए रखने के लिये आदिवासी आवासीय विद्यालयों, छात्रावासों एवं आश्रम विद्यालयों के बुनियादी ढाँचे में सुधार करना शामिल है ।
- सिकल सेल रोग के निदान हेतु उन्नत सुविधाएँ: एम्स और उन राज्यों के प्रमुख संस्थानों में सक्षमता केंद्र (CoC) स्थापित किये जाएंगे जहाँ सिकल सेल रोग प्रचलित है।
- CoC के पास प्रसवपूर्व निदान हेतु नवीनतम सुविधाएँ, प्रौद्योगिकी, कार्मिक और अनुसंधान क्षमताएँ होंगी, जिसकी लागत 6 करोड़ रुपये/CoC होगी।
- जनजातीय बहुउद्देशीय विपणन केंद्र (TMMCs): जनजातीय उत्पादों के प्रभावी विपणन तथा विपणन अवसंरचना, जागरूकता, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और परिवहन सुविधाओं में सुधार के लिये 100 TMMC स्थापित किये जाएंगे ।
PMJUGA की आवश्यकता क्या है?
- निर्धनता: जनजातीय समुदाय अक्सर निर्धन होने के साथ संसाधनों तक इनकी पहुँच सीमित होती है। पूर्ववर्ती योजना आयोग ने अनुमान लगाया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों का प्रतिशत 45.3% (2011-12) और शहरी क्षेत्रों में 24.1% (2011-12 ) था।
- PMJUGA के तहत रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने और गरीबी में कमी लाने के लिये आदिवासी ज़िलों में कौशल केंद्र खोले जाएंगे ।
- भूमि अधिकार और विस्थापन: कई आदिवासी समुदायों को विकास परियोजनाओं, खनन एवं वनों की कटाई के कारण विस्थापित होना पड़ता है । आदिवासियों के पास अक्सर औपचारिक भूमि नहीं होती है, जिससे असुरक्षित स्वामित्व के साथ इनके शोषण को बढ़ावा मिलता है।
- PMJUGA के तहत अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत उनके भूमि अधिकारों को मान्यता देते हुए 22 लाख FRA पट्टे जारी होंगे ।
- निम्न साक्षरता दर: जनजातीय आबादी में साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
- जनगणना 2011 के अनुसार अनुसूचित जनजातियों (ST) की साक्षरता दर 59% थी जबकि अखिल भारतीय स्तर पर समग्र साक्षरता दर 73% थी ।
- किफायती शिक्षा के लिये समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत 1000 छात्रावासों का निर्माण किया जाएगा ।
- स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) 2019-21 की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, आदिवासी बच्चों में स्टंटिंग, वेस्टिंग और कम वज़न की व्यापकता क्रमशः 40.9%, 23.2% और 39.5% है। यह राष्ट्रीय औसत 35.5%, 19.3% और 32.1% से काफी अधिक है ।
- जनजातीय लोगों में सिकल सेल रोग (SCD) का प्रकोप भी अधिक देखा जाता है।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ उपलब्ध कराएगा।
- सांस्कृतिक क्षरण और पहचान : कई जनजातीय समुदाय तीव्र शहरीकरण और वैश्वीकरण जैसे बाहरी दबावों के बीच अपनी पारंपरिक प्रथाओं को बनाए रखने के लिये संघर्ष करते हैं ।
- प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखते हुए आदर्श गाँव बनाए जाएंगे।
- सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी: अपनी निर्धनता के बावजूद कई आदिवासी लोग बीपीएल कार्ड, राशन कार्ड या 100 दिन की रोज़गार योजनाओं के लिये जॉब कार्ड के बारे में काफी हद तक अनभिज्ञ हैं। नतीजतन, वे ऐसे लाभों से वंचित रह जाते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय जागरूकता सृजन के लिये विभिन्न डिजिटल इंडिया पहलों को बढ़ावा देगा।