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पश्चिमी विक्षोभ क्या होता है?

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पश्चिमी विक्षोभ क्या है?

पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यरेखा-क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली वह बाह्य- उष्णकटिबंधीय आंधी है जो जाड़ों में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भागों में अकस्मात् बरसात ले आती है. यह बरसात मानसून की बरसात से भिन्न होती है.

बाह्य-उष्णकटिबंधीय आंधियाँ (Extratropical storms) विश्व में सब जगह होती हैं. इनमें आर्द्रता सामान्यतः ऊपरी वायुमंडल तक पहुँच जाती है जबकि उष्णकटिबंधीय आँधियों में आर्द्रता निचले वायुमंडल में बनी रहती है. भारतीय महाद्वीप में जब ऐसी आंधी हिमालय तक जा पहुंचती है तो आर्द्रता कभी-कभी बरसात के रूप में बदल जाती है.

पश्चिमी विक्षोभ का निर्माण

पश्चिमी विक्षोभ (western disturbance) एक बाह्य उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में भूमध्यसागर में जन्म लेता है. युक्रेन और आस-पास के क्षेत्र में एक उच्च दाब का क्षेत्र बन जाता है जिसके चलते ध्रुवीय क्षेत्रों से ठंडी हवा तुलनात्मक रूप से स्फ्जोल गर्म और उच्च आर्द्रतायुक्त हवा वाले क्षेत्र की ओर दौड़ पड़ती है.  

फलस्वरूप ऊपरी वायुमंडल में चक्रवात उत्पन्न (cyclogenesis) करने के लिए एक उपयुक्त स्थिति बन जाती है जिस कारण पूर्व की दिशा की ओर बढ़ता हुआ एक दाब का निर्माण होता है. यह दाब धीरे-धीरे मध्य-पूर्व से बढ़ता हुआ  और ईरान, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान होता हुआ भारतीय महाद्वीप में प्रवेश कर जाता है.

Western-Disturbance

प्रभाव

  • पश्चिमी विक्षोभ भारतीय उपमहाद्वीप के निचले क्षेत्रों में हल्की से भारी वर्षा और पहाड़ी क्षेत्रों में भारी हिमपात लाने में सहायक होता है.
  • जब पश्चिमी विक्षोभ आता है तो आकाश में बादल छा जाते हैं और रात का तापमान बढ़ जाता है और असमय वर्षा होती है. इस वर्षा का खेती के लिए, विशेषकर रबी फसलों के लिए, बड़ा महत्त्व है. इससे गेहूँ को लाभ होता है जो भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण फसल है और जिसका भारत की खाद्य सुरक्षा में बड़ा योगदान है.
  • यदि पश्चिमी विक्षोभ से अधिक वर्षा हो गयी तो फसल नष्ट हो सकती है तथा साथ ही भूस्खलन, हिमस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएँ घट सकती हैं. गंगा-यमुना के मैदानों में इससे कभी-कभी ठंडी हवाएं चलनी लगती हैं और घाना कुहासा छा जाता है.
  • जब पश्चिमी विक्षोभ मानसून आने के पहले पश्चिमोत्तर भारत की ओर आता है तो कुछ समय के लिए मानसून अपने समय से पहले ही आया हुआ प्रतीत होने लगता है.

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