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परिवर्तन | सबसे पुराना रेलवे स्टेशन | विरासत संरक्षण

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चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (UNESCO) का एशिया-प्रशांत सांस्कृतिक विरासत पुरस्कार भायखला/बाइकुला रेलवे स्टेशन (Byculla Railway Station) को प्रदान किया गया।

  • मुंबई स्थित 169 वर्ष पुराना भायखला रेलवे स्टेशन भारत के सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में से एक है जो अभी भी उपयोग में है।

 

प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • स्टेशन के बारे में:
    • यह बॉम्बे-ठाणे रेलवे लाइन पर सबसे पहले के स्टेशनों में से एक था, जिसने वर्ष 1853 में मुंबई में रेल यात्रा की शुरुआत की थी।
  • बदलाव का साक्षी:
    • भायखला ने 169 वर्षों से अधिक समय तक मुंबई को विकसित होते देखा है। समय के साथ यह स्टेशन एक साधारण लकड़ी की संरचना से वर्तमान समय की भव्य इमारत में बदल गया है।
  • पुनर्स्थापित विरासत:
    • स्टेशन पर सावधानीपूर्वक एक पुनर्स्थापन परियोजना शुरू की गई, जिसने यूनेस्को पुरस्कार के साथ अपनी पहचान अर्जित की। यह सुनिश्चित करती है कि इसकी स्थापत्य सुंदरता और ऐतिहासिक महत्त्व भावी पीढ़ियों के लिये संरक्षित रहे।
  • पुनर्स्थापन कार्य:
    • एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने विरासत संरक्षण वास्तुकारों की मदद से स्टेशन के पुनर्स्थापन का कार्य शुरू किया, जिसने संरक्षण कार्य में भागीदारी की।

सांस्कृतिक विरासत संरक्षण हेतु यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार क्या है?

  • परिचय: 
    • यूनेस्को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिये क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में निजी क्षेत्र की भागीदारी और सार्वजनिक-निजी सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहता है।
    • वर्ष 2000 से सांस्कृतिक विरासत संरक्षण हेतु यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार क्षेत्र में विरासत मूल्य की संरचनाओं, स्थानों और संपत्तियों को सफलतापूर्वक संरक्षित या पुनर्स्थापित करने में निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक-निजी पहल की उपलब्धियों को मान्यता दे रहा है।
    • वर्ष 2020 में यूनेस्को ने सतत् विकास के लिये विशेष मान्यता और सतत् विकास में सांस्कृतिक विरासत के योगदान को उजागर करने हेतु पुरस्कार के मानदंडों का एक अद्यतन सेट पेश किया।
    • इसके अलावा यूनेस्को बैंकॉक पुरस्कार विजेता परियोजनाओं के उदाहरणों का उपयोग करके क्षमता निर्माण गतिविधियों का विकास कर रहा है और एक प्रशिक्षुता कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को अनुभवी विरासत चिकित्सकों से सीखने के अवसर प्रदान कर रहा है।
  • उद्देश्य:
    • कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों (पूर्वी एशिया, मध्य एशिया एवं प्रशांत देशों) से बढ़ती भागीदारी के साथ विरासत संरक्षण में अनुकरणीय प्रथाओं की पहचान करना और उन्हें बढ़ावा देना।
    • विरासत संरक्षण से संबंधित अनुसंधान और पेशेवर अभ्यास के आदान-प्रदान में सुधार करना।
    • विरासत संरक्षण में क्षमता निर्माण।
    • सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और प्रचार में युवाओं, पेशेवरों तथा जनता की भागीदारी में सुधार करना।
    • सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिये यूनेस्को पुरस्कारों से क्षेत्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं सहित एशियाई विरासत के ज्ञान प्रबंधन में सुधार करना।
  • इन पुरस्कारों से लोगों में अपनी विरासत के प्रति गर्व और स्वामित्व की भावना उत्पन्न हुई

महाराष्ट्र में अन्य यूनेस्को विरासत स्थल कौन-कौन से हैं?

  • छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CST): 
    • छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CST) को पहले विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता था और यह मुंबई, महाराष्ट्र में एक ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन है। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त इसकी विशिष्टता का कारण इसकी उल्लेखनीय विक्टोरियन गोथिक पुनरुद्धार वास्तुकला है।
  • अजंता की गुफाएँ:
    • अपने उत्कृष्ट चट्टानों को काटकर बनाए गए बौद्ध गुफा स्मारकों के लिये प्रसिद्ध, अजंता की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में स्थित हैं।
    • ये गुफाएँ दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की हैं और उल्लेखनीय प्राचीन भारतीय कला एवं वास्तुकला का प्रदर्शन करती हैं।
  • एलोरा की गुफाएँ:
    • महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास स्थित एलोरा की गुफाओं में बौद्ध, हिंदू एवं जैन गुफा मंदिरों और मठों का एक परिसर शामिल है।
    • ठोस चट्टान को काटकर बनाई गई ये गुफाएँ 6वीं से 10वीं शताब्दी ईस्वी की अवधि में विस्तृत  असाधारण शिल्प कौशल और धार्मिक विविधता को प्रदर्शित करती हैं।
  • एलीफेंटा गुफाएँ:
    • मुंबई हार्बर में एलिफेंटा द्वीप (घारपुरी) पर स्थित एलिफेंटा गुफाओं में हिंदू भगवान शिव को समर्पित गुफा मंदिर शामिल हैं। ये जटिल नक्काशीदार गुफाएँ 5वीं से 8वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की हैं और अपने धार्मिक महत्त्व तथा कलात्मक उत्कृष्टता के लिये जानी जाती हैं।

 

सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिये क्या उपाय किये गए हैं?

  • अंतर्राष्ट्रीय पहल:
    • यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची:
      • ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये कड़े उपायों की आवश्यकता है।
      • वर्तमान में भारत में 42 स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित हैं।
      • सांस्कृतिक धरोहर/संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को रोकने एवं प्रतिबंधित करने के साधनों पर कन्वेंशन, 1977।
      • अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिये कन्वेंशन, 2005
      • सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की विविधता के संरक्षण और संवर्द्धन पर कन्वेंशन, 2006
      • संयुक्त राष्ट्र विश्व धरोहर समिति
  • भारतीय पहल:
    • प्रसाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन अभियान) योजना
    • चारधाम सड़क परियोजना
    • स्वदेश दर्शन योजना
    • हृदय (विरासत शहर विकास और संवर्द्धन योजना) योजना
    • एक भारत श्रेष्ठ भारत
    • काशी तमिल संगमम

धरोहर स्थलों और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?

  • मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 के तहत भारत के क्षेत्र या किसी हिस्से में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण का अधिकार है।
  • मौलिक कर्त्तव्य: देश की समग्र संस्कृति की समृद्ध धरोहर को महत्त्व देना और संरक्षित करना (अनुच्छेद 51A के तहत) भारत के प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्त्तव्य है।
  • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP): भारतीय संविधान के अनुच्छेद 49 के तहत राज्य कलात्मक या ऐतिहासिक रुचि के प्रत्येक स्मारक या स्थल की लूट, विरूपण, विनाश, हटाना/अवनयन, विक्रय या निर्यात से रक्षा करेगा।
  • प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958: यह भारत की संसद का एक अधिनियम है जो पुरातात्त्विक उत्खनन के विनियमन और मूर्तियों, नक्काशी व अन्य इसी प्रकार की वस्तुओं की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों तथा पुरातात्त्विक स्थलों एवं अवशेषों के संरक्षण का प्रावधान करता है।

भारत में धरोहर प्रबंधन से संबंधित मुद्दे क्या हैं?

  • स्थलों के उत्खनन और अन्वेषण हेतु पुराना/अप्रचलित तंत्र: देश में पुरातन तंत्रों की ही व्यापकता है जहाँ अन्वेषण की पाक्रिया में भौगोलिक सूचना प्रणाली और रिमोट सेंसिंग का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है।
    • इसके अलावा शहरी धरोहर परियोजनाओं में शामिल स्थानीय निकाय प्रायः विरासत संरक्षण के प्रबंधन के लिये पर्याप्त रूप से साधन-संपन्न नहीं होते हैं।
  • पर्यावरणीय क्षरण और प्राकृतिक आपदाएँ: भारत में विरासत स्थल पर्यावरणीय क्षरण और प्रदूषण, अपरदन, बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील हैं जो उनकी भौतिक संरचनाओं तथा सांस्कृतिक महत्त्व को अपरिवर्तनीय क्षति पहुँचा सकती हैं।
    • उदाहरण के लिये उत्तर प्रदेश में ताजमहल को वायु प्रदूषण के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिससे इसका संगमरमर पीले रंग का हो गया है और खराब होने लगा है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल एवं भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक प्रतिष्ठित प्रतीक है।
  • अस्थिर पर्यटन: भारत में लोकप्रिय विरासत स्थलों को प्रायः उच्च पर्यटन दबाव का सामना करना पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप स्थल पर भीड़भाड़, अनियमित आगंतुक गतिविधियाँ और अपर्याप्त आगंतुक प्रबंधन जैसे मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं।
    • अनियंत्रित पर्यटन से धरोहर संरचनाओं को नुकसान पहुँच सकता है, स्थानीय पर्यावरण प्रभावित हो सकता है और स्थानीय समुदाय की जीवन-शैली बाधित हो सकती है।

आगे की राह 

  • धारणीय वित्तपोषण मॉडल: धरोहर के संरक्षण के लिये नवीन वित्तपोषण मॉडल की खोज कर उनका कार्यान्वयन करने की आवश्यकता है जिसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉर्पोरेट प्रायोजन, क्राउडफंडिंग और समुदाय-आधारित फंडिंग शामिल है।
    • यह धरोहर स्थलों के लिये अतिरिक्त वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करने और उनका सतत् संरक्षण एवं रख-रखाव सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।
    • उदाहरण: विशिष्ट संरक्षण परियोजनाओं के लिये कॉर्पोरेट प्रायोजन को प्रोत्साहित करना, जहाँ कंपनियाँ ब्रांड पहचान और प्रचार के अवसरों के बदले धन एवं संसाधनों का योगदान कर सकती हैं।
  • प्रौद्योगिकी-सक्षम संरक्षण: धरोहर स्थलों के प्रलेखन, अनुवीक्षण और संरक्षण के लिये उन्नत तकनीकों जैसे- रिमोट सेंसिंग, 3डी स्कैनिंग, वर्चुअल रियलिटी और डेटा विश्लेषण का अनुप्रयोग।
    • यह विधि विरासत प्रबंधन प्रथाओं को और अधिक कुशल एवं प्रभावी बनाने में मदद कर सकती है जिसमें स्थिति मूल्यांकन, निवारक संरक्षण और वर्चुअल पर्यटन की सुविधा शामिल है।
    • उदाहरण: विरासत संरचनाओं की डिजिटल प्रतिकृतियाँ बनाने के लिये 3डी स्कैनिंग और वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करना, ताकि आभासी पर्यटन, शैक्षिक उद्देश्यों और बहाली एवं संरक्षण का कार्य सुनिश्चित किया जा सके।
  • व्यवसाय बढ़ाने हेतु नवीन उपाय: जो स्मारक बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित नहीं करते हैं और जो सांस्कृतिक/धार्मिक रूप से संवेदनशील नहीं है, उनके सांस्कृतिक महत्त्व को निम्नलिखित उपायों द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिये:
    • संबंधित अमूर्त धरोहर का संवर्द्धन।
    • ऐसी साइट्स पर आगंतुकों की संख्या में वृद्धि करना।

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