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पड़ोसी राज्यों के दलों व नेताओं का राजस्थान विधानसभा चुनाव में नजर आ रहा असर

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अब तक प्रदेश के आधा दर्जन जिलों में पड़ोसी राज्यों के नेता हवा का रूख काफी हद तक बदलते रहे हैं। हरियाणा के दिग्गज नेता स्व. चौधरी देवीलाल 1989 में सीकर सीट से लोकसभा का चुनाव जीतकर देश के उप प्रधानमंत्री बने। वहीं पंजाब के कांग्रेसी नेता स्व. बलराम जाखड़ भी सीकर और बीकानेर से सांसद रहे।

राजस्थान की राजनीति में हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और गुजरात जैसे पड़ोसी राज्यों के दलों व नेताओं का असर हमेशा नजर आता है। विशेषकर प्रदेश की जाट राजनीति में हमेशा ही हरियाणा और उत्तरप्रदेश के दिग्गज नेताओं का प्रभाव रहा है।

अब तक प्रदेश के आधा दर्जन जिलों में पड़ोसी राज्यों के नेता हवा का रूख काफी हद तक बदलते रहे हैं।हरियाणा के दिग्गज नेता स्व. चौधरी देवीलाल ने 1989 में सीकर सीट से लोकसभा का चुनाव जीतकर देश के उप प्रधानमंत्री बने।

पंजाब के नेता बीकानेर से रहे सांसद

वहीं, पंजाब के कांग्रेसी नेता स्व.बलराम जाखड़ सीकर और बीकानेर से सांसद रहे। यहीं से सांसद रहते हुए वे लोकसभा अध्यक्ष और केंद्रीय कृषिमंत्री जैसे पदों पर पहुंचे। हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला दांतारामगढ़ और नोहर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे हैं।

हरियाणा के नेता सुखबीर सिंह जौनापुरिया वर्तमान में टोंक-सवाईमाधोपुर से सांसद हैं। उत्तर प्रदेश के स्व.राजेश पायलट दौसा से सांसद रहे और अब उनके पुत्र सचिन पायलट टोंक से विधायक हैं। सचिन प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहने के साथ ही दौसा व अजमेर सीट से सांसद भी रह चुके हैं।

नोएडा के जोगिंदर अवाना भरतपुर से विधायक

नोएडा निवासी जोगिंदर सिंह अवाना वर्तमान में भरतपुर की नदबई सीट से विधायक हैं। भाजपा ने इस बार भरतपुर जिले की कामां सीट से हरियाणा के नूंह जिले की नोक्षम चौधरी को टिकट दिया है। फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र भी एक बार बीकानेर से सांसद रहे हैं। कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने मूल प्रदेश को छोड़कर राजस्थान की राजनीति में अपना भाग्य अजमाया और वे काफी हद तक सफल भी रहे।  

इन दलों का राजस्थान में प्रभाव 

उत्तरप्रदेश से सटे भरतपुर और अलवर जिलों में राष्ट्रीय लोकदल व बसपा का प्रभाव है। कांग्रेस ने भरतपुर शहर की विधानसभा सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ी है। हरियाणा से सटे झुंझुनूं,चूरू,हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिलों में इंडियन नेशनल लोकदल और जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रभाव नजर आ रहा है।

जेजेपी इस बार प्रदेश की ढ़ाई दर्जन विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में हरियाणा की राजनीति के प्रभाव के कारण भाजपा ने इस बार हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को इन दोनों जिलों में प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा है।

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेन्द्र हुड्डा सहित पड़ोसी जिलों में अगले दो दिन में कांग्रेस प्रत्याशियों का प्रचार करेंगे। पंजाब से सटे श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में अकाली दल की छाया हमेशा रहती है। इन दोनों जिलों में सिख वोट काफी संख्या में है।

प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर,बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिलों में गुजरात की भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) का असर है। बीटीपी ने आदिवासी बहुल क्षेत्र में पिछले चुनाव में दो सीटों पर जीत दर्ज  की थी। अब फिर बीटीपी फिर चुनाव मैदान में है।

रोटी-बेटी के संबंध का असर  

प्रदेश के आधा दर्जन जिलों के परिवारों का हरियाणा और उत्तरप्रदेश के लोगों के साथ रोटी-बेटी का संबंध काफी है। इन जिलों के कई परिवारों के लड़के-लड़कियों की शादी हरियाणा व उत्तरप्रदेश में हुई है। इसी तरह प्रदेश के आदिवासियों की गुजरात में रिश्तेदारियां है। रोटी-बेटी का संबंध और पड़ोसी राज्यों की आपसी जातिगत राजनीति प्रदेश में चुनाव को हर बार प्रभावित करती है।

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