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पड़ोसी राज्यों के दलों व नेताओं का राजस्थान विस चुनाव में नजर आ रहा असर, इन दिग्गज नेताओं का रहेगा प्रभाव

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कांग्रेस ने भरतपुर शहर की विधानसभा सीट रालोद के लिए छोड़ी है। हरियाणा से सटे झुंझुनूं चूरू हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिलों में इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो)और जननायक जनता पार्टी (जजपा) का प्रभाव नजर आ रहा है। जजपा इस बार प्रदेश की करीब 30 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। प्रदेश के आधा दर्जन जिलों के कई परिवारों का हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ रोटी-बेटी का संबंध है।

राजस्थान की राजनीति में हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और गुजरात जैसे पड़ोसी राज्यों के दलों व नेताओं का असर हमेशा रहा है और इस बार भी देखा जा रहा है। विशेषकर प्रदेश की जाट राजनीति में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं का प्रभाव है।

दूसरा, प्रदेश के आधा दर्जन जिलों के कई परिवारों का हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ रोटी-बेटी का संबंध है। इसी तरह प्रदेश के आदिवासियों की गुजरात में रिश्तेदारियां हैं। रोटी-बेटी का संबंध और पड़ोसी राज्यों की आपसी जातिगत राजनीति प्रदेश में चुनाव को हर बार प्रभावित करती है।उत्तर प्रदेश से सटे भरतपुर और अलवर जिलों में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) व बसपा का प्रभाव है।

जजपा करीब 30 सीटों पर लड़ रही है विधानसभा चुनाव 

कांग्रेस ने भरतपुर शहर की विधानसभा सीट रालोद के लिए छोड़ी है। हरियाणा से सटे झुंझुनूं, चूरू, हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिलों में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) का प्रभाव नजर आ रहा है। जजपा इस बार प्रदेश की करीब 30 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में हरियाणा की राजनीति के प्रभाव के कारण भाजपा ने इस बार हरियाणा के सीएम मनोहर लाल को इन दोनों जिलों में प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा है। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेन्द्र हुड्डा पड़ोसी जिलों में अगले दो दिन कांग्रेस प्रत्याशियों का प्रचार करेंगे।

पंजाब से सटे श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में शिरोमणि अकाली दल (शिअत) की छाया हमेशा रहती है। इन दोनों जिलों में सिख वोट काफी संख्या में हैं। प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर, बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिलों में गुजरात की भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) का असर है। बीटीपी ने आदिवासी बहुल क्षेत्र में पिछले चुनाव में दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। अब फिर बीटीपी मैदान में है।

इन नेताओं का रहा है राज्य से नाता

हरियाणा के दिग्गज नेता रहे चौधरी देवीलाल 1989 में सीकर सीट से लोकसभा का चुनाव जीतकर देश के उप प्रधानमंत्री बने थे । पंजाब के कांग्रेसी नेता बलराम जाखड़ सीकर और बीकानेर से सांसद रहे। यहीं से सांसद रहते हुए वह लोकसभा अध्यक्ष और केंद्रीय कृषि मंत्री जैसे पदों पर पहुंचे। हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला दांतारामगढ़ और नोहर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे। हरियाणा के नेता सुखबीर सिंह जौनापुरिया वर्तमान में टोंक-सवाईमाधोपुर से सांसद हैं।

फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र भी एक बार बीकानेर से रहे हैं सांसद 

उत्तर प्रदेश के राजेश पायलट दौसा से सांसद रहे और अब उनके पुत्र सचिन पायलट टोंक से विधायक हैं। सचिन प्रदेश प्रदेश के उप मुख्यमंत्री रहने के साथ ही दौसा व अजमेर सीट से सांसद भी रह चुके हैं। नोएड़ा निवासी जोगिंदर सिंह अवाना वर्तमान में भरतपुर की नदबई सीट से विधायक हैं।

भाजपा ने इस बार भरतपुर जिले की कामां सीट से हरियाणा के नूंह जिले की नोक्षम चौधरी को टिकट दिया है। फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र भी एक बार बीकानेर से सांसद रहे हैं। कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने मूल प्रदेश को छोड़कर राजस्थान की राजनीति में अपना भाग्य अजमाया और वे काफी हद तक सफल भी रहे।

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