Current Affairs For India & Rajasthan | Notes for Govt Job Exams

देशी मवेशी नस्लों के संरक्षण हेतु पहल

FavoriteLoadingAdd to favorites

राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NIAB) पशुधन क्षेत्र के संरक्षण और सतत् विकास के लिये कई पहलों पर काम कर रहा है।

राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान

  • राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Animal Biotechnology (NIAB) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
  • NIAB का उद्देश्य नवीन और उभरती हुई जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना तथा पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादकता में सुधार के लिये अत्याधुनिक क्षेत्रों में अनुसंधान करना है।
  • इसका मिशन नवीन प्रौद्योगिकी के माध्यम से एक स्थायी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी पशुधन उद्योग का विकास करना है।
  • संस्थान का अनुसंधान पशु आनुवंशिकी और जीनोमिक्स, ट्रांसजेनिक प्रौद्योगिकी, प्रजनन जैव प्रौद्योगिकी, संक्रामक रोग, जैव सूचना विज्ञान तथा पोषण संवर्द्धन पर केंद्रित है।

देशी मवेशियों की नस्लों के संरक्षण के लिये NIAB की पहल क्या हैं?

  • देशी मवेशियों का आनुवंशिक अनुक्रमण: NIAB द्वारा पंजीकृत मवेशियों की नस्लों के लिये आणविक हस्ताक्षर/मॉलिक्यूलर सिग्नेचर स्थापित करने के लिये नेक्स्ट जेनरेशन सिक्वेंसिंग (NGS) डेटा और जीनोटाइपिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
    • आणविक हस्ताक्षर स्वदेशी मवेशियों की नस्लों की शुद्धता को सटीक रूप से पहचानने और बनाए रखने तथा अद्वितीय आनुवंशिक लक्षणों को संरक्षित करने में मदद करते हैं।
  • टीका विकास (Vaccine Development): NIAB द्वारा पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और आर्थिक नुकसान को कम करने के लिये ब्रुसेलोसिस जैसी बीमारियों के खिलाफ नेक्स्ट जेनरेशन के टीके विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
  • उन्नत अनुसंधान और मॉडल: NIAB प्राकृतिक और 3D-प्रिंटेड पदार्थों का उपयोग करके ऊतक की मरम्मत तथा दवा वितरण के लिये ‘बायो-स्कैफोल्ड’ के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
    • स्कैफोल्ड एक मौलिक पदार्थ है, जिसमें कोशिकाओं और विकास कारकों को एक स्थानापन्न ऊतक बनाने के लिये एम्बेड किया जाता है।
    • तपेदिक दवा स्क्रीनिंग और रोग मॉडलिंग के लिये एक गोजातीय फेफड़े का एक कोशिका-आधारित 3D मॉडल बनाया गया है।
  • स्थायी जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: NIAB जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा निर्धारित छह विषयगत क्षेत्रों के अनुरूप काम कर रहा है ताकि वैकल्पिक प्रोटीन और संधारणीय जैव-निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक जैव-आधारित चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके।
  • एंटीबायोटिक्स के विकल्प: NIAB ने स्टैफिलोकोकी, ई. कोली और स्ट्रेप्टोकोकी जैसे बैक्टीरिया को लक्षित करने के लिये एंटीबायोटिक्स के विकल्प के रूप में बैक्टीरियोफेज़ तथा उनके ‘लिटिक’ प्रोटीन का उपयोग करने की योजना बनाई है।
    • बैक्टीरियोफेज, जिन्हें फेज भी कहा जाता है, वे वायरस हैं जो केवल बैक्टीरिया कोशिकाओं में ही संक्रमित होते हैं और उनमें ही प्रजनन करते हैं। बैक्टीरियोफेज बैक्टीरिया को मारते हैं।
    • फेज लाइटिक प्रोटीन एंजाइम आधारित एंटीबायोटिक दवाओं का एक चिकित्सकीय रूप से उन्नत वर्ग है, जिसे एंजाइमोयटिक्स कहा जाता है।
  • पोषण संबंधी तनाव के लिये बायोमार्कर: पोषण संबंधी तनाव के प्रारंभिक आकलन हेतु एक बायोमार्कर (मेटाबोलाइट और प्रोटीन) विकसित किया गया है, जो मवेशियों की आबादी में उत्पादकता और बाँझपन में कमी ला सकता है।
  • सामुदायिक पहुँच और सतत् कृषि: NIAB सामुदायिक सहभागिता और मिलन (MILAN) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सतत् पशुधन खेती को बढ़ावा देता है, जो नई प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने के लिये पशुधन किसानों के साथ जुड़ता है।

अगली पीढ़ी का अनुक्रमण (NGS) क्या है?

  • NGS एक नई तकनीक है, जिसका उपयोग DNA और RNA अनुक्रमण तथा भिन्नता/उत्परिवर्तन का पता लगाने के लिये किया जाता है।
  • NGS बहुत कम समय में सैकड़ों-हज़ारों जीनों या संपूर्ण जीनोम को अनुक्रमित कर सकता है।
  • इसमें DNA विखंडन, बड़े पैमाने पर समानांतर अनुक्रमण, जैव सूचना विज्ञान विश्लेषण तथा भिन्नता/उत्परिवर्तन समीक्षा और व्याख्या शामिल है।
  • NGS को व्यापक समानांतर अनुक्रमण या गहन अनुक्रमण के रूप में भी जाना जाता है।

भारत में BioE3 नीति और जैव प्रौद्योगिकी क्या है?

  • अगस्त 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रस्ताव ‘BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार के लिये जैव प्रौद्योगिकी) नीति’ को मंज़ूरी दी।
  • BioE3 को जैव-विनिर्माण को बढ़ाने के लिये अभिकल्पित किया गया है, जो विभिन्न क्षेत्रों में ईंधन योजक जैसे जैव आधारित उत्पादों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • यह एक वृत्ताकार जैव-अर्थव्यवस्था के माध्यम से ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था और मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिये जीवनशैली) को प्राप्त करने जैसे राष्ट्रीय उद्देश्यों का समर्थन करता है।
  • यह अनुसंधान एवं विकास नवाचार और उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करता है, जैव विनिर्माण तथा  जैव-AI केंद्रों की स्थापना करता है एवं भारत के जैव प्रौद्योगिकी कार्यबल का विस्तार करना चाहता है।
  • स्वास्थ्य देखभाल परिणामों में सुधार के लिये प्रेसिजन बायोथेराप्यूटिक्स (सटीक चिकित्सा) BioE3 नीति के मुख्य विषयों में से एक है।

पशुधन क्षेत्र के विकास के लिये सरकारी योजनाएँ क्या हैं?

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
Scroll to Top