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तंबाकू की कीमतों में वृद्धि

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चर्चा में क्यों?

ब्राज़ील, ज़िम्बाब्वे और इंडोनेशिया में सूखे तथा बेमौसम वर्षा के कारण फसल के उत्पादन में गिरावट दर्ज़ की गई, जिससे आंध्र प्रदेश में तंबाकू का उत्पादन करने वाले किसान लाभ की स्थिति में हैं।

  • आंध्र प्रदेश में नीलामी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई जिसमें और अधिक वृद्धि होने की संभावना है।

आंध्र प्रदेश में तंबाकू उत्पादक किसान किस प्रकार लाभप्रद स्थिति में है?

  • नीलामी की कीमतों में वृद्धि: तंबाकू की कीमतों में लगभग रिकॉर्ड स्तर की वृद्धि हुई, जो इसकी संभावित कीमतों में 30% की वृद्धि को दर्शाता है।
  • विश्व स्तर पर फसल उत्पादन का प्रभाव: व्यापार विश्लेषकों के अनुसार, ब्राज़ील और ज़िम्बाब्वे में फसल उत्पादन में कमी के फलस्वरूप इसके मूल्य में वृद्धि हुई।
    • एक अन्य तंबाकू उत्पादक देश इंडोनेशिया में भी सूखे की स्थिति के कारण फसल का उत्पादन प्रभावित हुआ।
    • चीन एक अन्य महत्त्वपूर्ण तंबाकू उत्पादक देश है जिसने वैश्विक स्तर पर उत्पादन में हुई कमी से अपने घरेलू सिगरेट उद्योग की रक्षा के लिये तंबाकू निर्यात पर सीमाएँ लगाईं, जिससे तंबाकू उत्पादक देशों में कीमतों में और वृद्धि हुई।
  • भारतीय उत्पादकों पर संभावित प्रभाव: तंबाकू निर्यातकों एवं भारतीय तंबाकू बोर्ड के अनुसार, तंबाकू की मांग और उत्पादन के बीच असमानता के कारण आगामी एक वर्ष तक इसकी कीमतों में बढ़ोतरी बनी रहेगी, जिससे भारतीय उत्पादकों को लाभ होने की संभावना है।

नोट:

  • भारतीय तंबाकू बोर्ड: इसका गठन तंबाकू बोर्ड अधिनियम, 1975 की धारा (4) के तहत 1 जनवरी 1976 को एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था।
  • बोर्ड का नेतृत्व अध्यक्ष करता है और इसका मुख्यालय गुंटूर, आंध्र प्रदेश में स्थित है। यह तंबाकू उद्योग के विकास के लिये उत्तरदायी है।

भारत में तंबाकू उत्पादन के संबंध में प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • कृषि-जलवायु संबंधी तथ्यः
    • तंबाकू मूल रूप से उष्णकटिबंधीय फसल है किंतु यह उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण जलवायु में सफलतापूर्वक उगाया जाता है।
      • प्रायः इसके परिपक्व होने के लिये 80°F के औसत तापमान के साथ लगभग 100 से 120 दिनों की शीत-मुक्त जलवायु की आवश्यकता होती है और प्रतिमाह 88 से 125 मिमी. की वर्षा तंबाकू की फसल के लिये आदर्श होती है।
      • सापेक्षिक आर्द्रता सुबह में 70-80% से लेकर दोपहर में 50-60% तक हो सकती है।
    • तंबाकू के विभिन्न प्रकारों के इष्टतम विकास के लिये विशेष मृदा और जलवायु की आवश्यकता होती है।
      • FCV विभिन्न मृदाओं में उत्पन्न होता है, जिसमें रेतीली दोमट, लाल दोमट और काली मिट्टी सम्मिलित हैं।
  • आर्थिक महत्त्व :
    • विश्व स्तर पर तंबाकू आर्थिक रूप से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण फसलों में से एक है।
      • भारत में तंबाकू की खेती कुल कृषि योग्य क्षेत्र का लगभग 0.27% है, जिससे वार्षिक लगभग 750 मिलियन किलोग्राम तंबाकू पत्ती का उत्पादन होता है।
      • तंबाकू पर लगने वाला उत्पाद शुल्क, राजस्व में वार्षिक 14,000 करोड़ रुपए का योगदान देता है, जो देश के कुल कृषि-निर्यात का 4% है।
    • चीन, भारत और ब्राज़ील को विश्व भर में अग्रणी उत्पादकों में आँका गया
      • जैसे-जैसे मध्य और उच्च आय वाले देशों में नियम सख्त होते जा रहे हैं, तंबाकू कंपनियाँ, तंबाकू का उत्पादन बढ़ाने के लिये तेज़ी से अफ्रीकी देशों का रुख कर रही हैं।
    • भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक एवं दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उपभोक्ता है।
  • उत्पादन में विविधता:
    • भारत विभिन्न प्रकार की तंबाकू का उत्पादन करता है, जिनमें फ्लू-क्यूर्ड वर्जीनिया (FCV)बीड़ी, हुक्का, सिगार-रैपर, चेरूट, बर्ली, ओरिएंटल और अन्य शामिल हैं।
      • भारत के 15 राज्यों में विविध कृषि पारिस्थितिक परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के तंबाकू की खेती की जाती है।
      • देश में तंबाकू के उत्पादन क्षेत्र एवं उत्पादन मात्रा दोनों में गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शीर्ष 3 स्थानों पर हैं।
  • रोज़गार एवं आजीविका:
    • तंबाकू की कृषि भारत में लगभग 36 मिलियन लोगों को आजीविका सुरक्षा प्रदान करती है, जिनमें किसान, कृषि श्रमिक एवं प्रसंस्करण, विनिर्माण तथा निर्यात क्षेत्र में कार्यरत श्रमिक शामिल हैं।
    • बीड़ी बनाने से लगभग 4.4 मिलियन लोगों को रोज़गार मिलता है, तथा 2.2 मिलियन आदिवासी लोग तेंदू पत्ता संग्रहण में लगे हुए हैं।
  • निर्यात बाज़ार एवं प्रतिस्पर्द्धा:
    • भारत ने वर्ष 2022-23 में 9,740 करोड़ रुपए की तंबाकू और तंबाकू निर्मित उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें FCV और बर्ली जैसे सिगरेट-प्रकार के तंबाकू का बड़ा योगदान था।
      • भारतीय FCV तंबाकू के प्रमुख आयातकों में यूके, जर्मनी, बेल्जियम, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
    • ब्राज़ील, ज़िम्बाब्वे, तुर्की, चीन और इंडोनेशिया निर्यात बाज़ार में प्रमुख प्रतिस्पर्धी हैं।
    • विश्व के तंबाकू उत्पादन में 13% हिस्सेदारी के बावजूद, वैश्विक तंबाकू पत्ती निर्यात में भारत की हिस्सेदारी केवल 5% है।
      • भारत, उत्पादित तंबाकू का केवल 30% निर्यात करता है जबकि अन्य प्रमुख तंबाकू उत्पादक देश ब्राज़ील, अमेरिका और ज़िम्बाब्वे अपने उत्पादन का 60-90% निर्यात करते हैं।
  • भारतीय तंबाकू का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ:
    • भारतीय तंबाकू में अन्य तंबाकू उत्पादक देशों की तुलना में भारी धातुओं, तंबाकू विशिष्ट नाइट्रोसामाइन (TSNA) एवं कीटनाशक अवशेषों का स्तर न्यूनतम होता है।
    • भारत की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ विश्व स्तर पर विविध ग्राहकों की प्राथमिकताओं को पूर्ण करते हुए, विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पादन की अनुमति देती हैं।
    • कम उत्पादन लागत और निर्यात कीमतों के मामले में भारत को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्राप्त है, जिस कारण भारतीय तंबाकू को ‘किफायती’ माना जाता है।

तंबाकू द्वारा स्वास्थ्य पर प्रभाव:

  • वैश्विक:
    • तंबाकू के कारण प्रत्येक वर्ष 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है, जिसमें अनुमानित 13 लाख गैर-धूम्रपान करने वाले लोग भी शामिल हैं जो अन्य लोगों द्वारा किये जाने वाले धूम्रपान के संपर्क में आते हैं।
    • दुनिया के 1.3 अरब तंबाकू उपयोगकर्त्ताओं में से लगभग 80% निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
  • भारत:
    • भारत में वर्ष 2040 तक 2.1 मिलियन कैंसर के मामले सामने आने का अनुमान है, जिसमें मुख संबंधित कैंसर सबसे प्रचलित रूप है।
      • 80-90% व्यक्ति तंबाकू उपभोक्ता मुँह के कैंसर से पीड़ित हैं।
    • धूम्रपान करने के साथ-साथ धुआँँ रहित तंबाकू सेवन करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और सेवन करने वाले व्यक्ति की असामयिक मृत्यु हो जाती है।
      • धुआँँ रहित तंबाकू उत्पादों के उदाहरणों में गुटखा, खैनी और ज़र्दा शामिल हैं, जिनका उपयोग चबाने वाले तंबाकू के रूप में किया जाता है।
    • भारत में तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों में स्ट्रोक (78%), तपेदिक (65.6%), इस्केमिक हृदय रोग (85.2%), मुँह का कैंसर (38%) और फेफड़ों का कैंसर (16%) शामिल हैं।
      • भारत में तंबाकू के कारण 13.5 लाख से अधिक मृत्यु होने का अनुमान है और यह अनुमान लगाया गया है कि यदि तंबाकू की खपत को नियंत्रित करने के लिये प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो वर्ष 2020 तक भारत में हर वर्ष होने वाली सभी मौतों में से 13% का कारण तंबाकू का सेवन होगाI
    • तंबाकू का सेवन कुछ क्षेत्रों, विशेष रूप से उत्तरी भारत की जीवनशैली का अभिन्न अंग बना हुआ।

तंबाकू से संबंधित नई पहलें क्या हैं?

  • वैश्विक:
    • तंबाकू महामारी से निपटने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने वर्ष 2003 में तंबाकू नियंत्रण पर WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन (Framework Convention on Tobacco Control) (WHO FCTC) को अपनाया।
      • वर्तमान में, 182 देश इस संधि के पक्षकार हैं, जिसमें भारत भी शामिल है।
    • WHO के MPOWER उपाय WHO FCTC के अनुरूप हैं तथा जीवन बचाने एवं स्वास्थ्य देखभाल व्यय को कम करने में सहायक हैं।
    • वैश्विक तंबाकू निगरानी प्रणाली (Global Tobacco Surveillance System- GTSS) का उद्देश्य देशों की तंबाकू नियंत्रण उपायों को लागू करने तथा WHO के FCTC एवं MPOWER तकनीकी उपायों की निगरानी करने की क्षमता को सुदृढ़ करना है।
      • इसमें चार सर्वेक्षणों के माध्यम से डेटा एकत्र करना शामिल है।
  • भारत:
    • राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP):
    • सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध एवं व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003:
      • कानून नाबालिगों को उनके द्वारा की जाने वाली तंबाकू उत्पादों की बिक्री को सीमित करता है, सार्वजनिक क्षेत्रों में धूम्रपान करने से रोकता है और उनके प्रचार, प्रायोजन एवं विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है। यह शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में उनकी बिक्री पर भी रोक लगाता है।
      • इसके अंतर्गत सभी तंबाकू उत्पादों के पैकों पर निर्दिष्ट स्वास्थ्य चेतावनियाँ भी आवश्यक हैं।
        • खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के तहत तंबाकू या निकोटीन युक्त खाद्य उत्पादों का उत्पादन, बिक्री, भंडारण एवं वितरण निषिद्ध है।

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