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डॉक्यूमेंट्री: सर्वाधिक ऊँचाई पर एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना

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संदर्भ

लद्दाख एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है, जिसके चलते यहाँ अपशिष्ट उत्पादन में वृद्धि हुई है। अपशिष्ट उत्पादन में वृद्धि को देखते हुए लद्दाख नगरपालिका समिति ने अपनी सर्वोच्च एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना (Integrated Solid Waste Management ProjectISWMP) शुरू की है।

 

प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • इस परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र में बढ़ती अपशिष्ट समस्या का प्रबंधन करना है।
  • पूर्व में उचित अपशिष्ट प्रबंधन योजना के अभाव में अपशिष्ट के ढेर लग जाते थे जिनके चलते दुर्घटनाएँ होती थीं।
  • अब नगरपालिका शहर को साफ-सुथरा रखने तथा अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने का प्रयास कर रही है।
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना लद्दाख में अपशिष्ट चुनौती से निपटने हेतु एक सराहनीय पहल है।
  • वर्ष 2025 में भारत के शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट उत्पादन प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 0.7 किलोग्राम (वर्ष 1999 की तुलना में लगभग चार से छह गुना अधिक) होने की संभावना है।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में भारत प्रत्येक वर्ष  62 मिलियन टन अपशिष्ट (पुनर्चक्रण योग्य और गैर-पुनर्चक्रण योग्य दोनों) उत्पन्न करता है, जिसकी औसत वार्षिक वृद्धि दर 4% है।
  • उपभोग के परिवर्तित स्वरुप और तीव्र आर्थिक विकास के कारण वर्ष 2030 तक ठोस अपशिष्ट उत्पादन के 165 मिलियन टन तक बढ़ने की संभावना है।

सर्वोच्च एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना (ISWMP) क्या है?

  • ISWM योजना एक पैकेज है जिसमें नीतियाँ (नियामक, राजकोषीय, आदि), प्रौद्योगिकी (बुनियादी उपकरण और परिचालन) स्वैच्छिक उपाय (जागरूकता बढ़ाना, स्व-विनियमन) सहित एक प्रबंधन प्रणाली शामिल है।
  • एक प्रबंधन प्रणाली में अपशिष्ट प्रबंधन के सभी पहलुओं जैसे अपशिष्ट उत्पादन से लेकर उसके संग्रहण, स्थानांतरण, परिवहन, छँटाई, उपचार और निपटान शामिल है।
  • यह अपशिष्ट के बारे में आँकड़े एवं जानकारी प्रदान करता है, जैसे कि किस प्रकार और कितना उत्पादन किया जा रहा है तथा वर्तमान अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को समझना ,प्रभावी, स्थान-विशिष्ट अपशिष्ट प्रबंधन योजना निर्माण के लिये आवश्यक है।

अपशिष्ट उपचार कैसे किया जाता है?

  • लैंडफिल:
    • गैर-पुनर्चक्रण योग्य और गैर-निम्नीकरणीय अपशिष्ट का निपटान लैंडफिल में किया जाता है।
    • आधुनिक लैंडफिल में पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिये लाइनर का उपयोग करना और अन्य उपाय शामिल हैं।
  • भस्मीकरण(incineration): 
    • कुछ क्षेत्र अपशिष्ट को जलाने के लिये भस्मीकरण प्रक्रिया का उपयोग करते हैं, जिससे इसकी मात्रा कम हो जाती है और ऊर्जा उत्पन्न होती है।
    • हालाँकि यह विधि पर्यावरण और वायु गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को बढ़ाती है।
  • खाद निर्माण:
    • पोषक तत्त्वों से भरपूर मृदा निर्माण के लिये जैविक अपशिष्ट, जैसे कि खाद्य और यार्ड अपशिष्ट को कम्पोस्ट किया जा सकता है।

अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित पहल क्या हैं?

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये स्वच्छ भारत मिशन:
    • इस योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सहित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये  स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
      • केंद्र सरकार ने “अपशिष्ट मुक्त शहर” बनाने के समग्र दृष्टिकोण के साथ वर्ष 2021 में स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 (SBM-U 2.0) लॉन्च किया, जिसका लक्ष्य सभी शहरी स्थानीय निकायों को कम-से-कम 3-स्टार प्रमाणित किया जाना है (जैसा कि अपशिष्ट मुक्त शहरों के लिये प्रति स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल) जिसमें घर-घर जाकर संग्रहण, स्रोत पृथक्करण और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का वैज्ञानिक प्रसंस्करण शामिल है।
      • यह मिशन स्रोत पृथक्करण, एकल-उपयोग प्लास्टिक को कम करने, निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से अपशिष्ट का प्रबंधन करने तथा परंपरागत अपशिष्ट डंप साइटों के जैव-उपचार पर केंद्रित है।
    • स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण चरण II के तहत, पेयजल और स्वच्छता विभाग ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को परिचालन दिशा-निर्देश जारी किये हैं जिनमें ग्रामीण स्तर पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016:
    • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 ने नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और प्रहस्तन) नियम, 2000 को प्रतिस्थापित कर दिया है। वे स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण पर ज़ोर देते हैं, निर्माताओं को स्वच्छता और पैकेजिंग अपशिष्ट के निपटान के लिये ज़िम्मेदार बनाते हैं एवं बड़े अपशिष्ट जनरेटर से संग्रह, निपटान व प्रसंस्करण के लिये उपयोगकर्त्ता शुल्क पेश करते हैं।
  • अपशिष्ट से संपदा पोर्टल:
    • इसका उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन, वस्तुओं के पुनर्चक्रण और मूल्यवान संसाधनों को पुनर्प्राप्त करने हेतु अपशिष्ट के उपचार के लिये प्रौद्योगिकियों की पहचान करना, विकसित करना तथा उनका उपयोग करना है।
  • अपशिष्ट से उर्जा :
    • अपशिष्ट से ऊर्जा, अपशिष्ट उपचार संयंत्र से प्राप्त ऊर्जा है जो नगरपालिका एवं औद्योगिक ठोस अपशिष्ट को औद्योगिक प्रसंस्करण के लिये विद्युत और/या ऊष्मा में परिवर्तित करती है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (PWM) नियम, 2016:
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (PWM) नियम, 2016 के तहत प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन करने वालों को इसे कम करने, फेलने से रोकने और इसे स्रोत पर संग्रहित करने तथा अन्य कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • प्रोजेक्ट रिप्लान 
    • प्रोजेक्ट रिप्लान का लक्ष्य संसाधित और उपचारित प्लास्टिक अपशिष्ट को 20:80 के अनुपात में कपास फाइबर के कपड़ों के साथ मिलाकर कैरी बैग बनाना है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022:
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 निर्माताओं, आयातकों, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं जैसे विभिन्न हितधारकों की ज़िम्मेदारियों को निर्दिष्ट करता है।
    • इनमें से प्रत्येक हितधारक को यह सुनिश्चित करना है कि प्लास्टिक अपशिष्ट का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जाए और पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जाए।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियाँ क्या हैं?

  • तीव्र शहरीकरण:
    • शहरी क्षेत्रों की वृद्धि से अपशिष्ट उत्पादन में वृद्धि हुई है, जिससे मौजूदा अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों पर भारी दबाव पड़ा है।
    • अनियोजित शहरीकरण के परिणामस्वरूप प्रायः अपशिष्ट संग्रहण और निपटान के लिये बुनियादी ढाँचा तथा अन्य सेवाएँ अपर्याप्त होती हैं।
  • विविध अपशिष्ट रूप :
    • ठोस अपशिष्ट में प्लास्टिक, कागज़, काँच, धातु और जैविक अपशिष्ट सहित विभिन्न सामग्रियाँ शामिल होती हैं। प्रत्येक अपशिष्ट प्रकार के लिये विशिष्ट उपचार विधियों की आवश्यकता होती है, जिससे इसका प्रबंधन जटिल हो जाता है।
    • खतरनाक अपशिष्ट का अनुचित निपटान पर्यावरण और स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है।
  • सीमित पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग:
    • पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग की संभावना के बावजूद, कई क्षेत्र कुशल प्रणाली स्थापित करने के लिये संघर्ष करते हैं।
    • जागरूकता, बुनियादी ढाँचे और प्रोत्साहन में कमी के कारण पुनर्चक्रण प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है।
    • पुनर्चक्रित होने वाली सामग्री के लैंडफिल में चले जाने पर मूल्यवान संसाधन नष्ट हो जाते हैं।
  • अपशिष्ट से उर्जा: चुनौतियाँ
    • जबकि अपशिष्ट-से-ऊर्जा (WTE) प्रौद्योगिकियों से ऊर्जा पुनर्प्राप्त होती हैं किंतु वायु उत्सर्जन और भस्मीकरण के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में चिंताएँ बनी रहती हैं।
    • सतत् अपशिष्ट प्रबंधन के लिये पर्यावरणीय विचारों के साथ ऊर्जा लाभ को संतुलित करना महत्त्वपूर्ण है।

आगे की राह 

  • एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली:
    • व्यापक और एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली विकसित करना जो अपशिष्ट के संपूर्ण जीवनचक्र को ध्यान में रखे।
    • पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये स्रोत में कमी, पुनर्चक्रण, खाद निर्माण और ज़िम्मेदार निपटान का संयोजन।
  • विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी (EPR):
    • निर्माताओं को उनके उत्पादों के अंतिम प्रबंधन के लिये जवाबदेह बनाने हेतु EPR नीतियों को लागू करना।
    • अपशिष्ट उत्पादन को कम करने के लिये पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद डिज़ाइन और पैकेजिंग को प्रोत्साहित करना।
  • पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों के साथ अपशिष्ट-से-ऊर्जा:
    • वायु प्रदूषकों को कम करने के लिये उन्नत उत्सर्जन नियंत्रण प्रौद्योगिकियों के साथ अपशिष्ट-से-ऊर्जा सुविधाओं का विकास करना।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिये कड़े पर्यावरणीय नियम व निगरानी सुनिश्चित करना।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था क्रियान्वयन:
    • एक चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देना, जो अपशिष्ट को न्यूनतम करने, संसाधनों के उपयोग को अधिकतम करने और भौतिक चक्र को पूरा करने पर ज़ोर देता है।
    • उत्पाद डिज़ाइन को प्रोत्साहित करना जो उसके उत्पादन से लेकर निपटान तक संपूर्ण जीवनचक्र पर विचार करता है।

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