संदर्भ:
भारत के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के 5 वर्ष पूरे होने पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री (Union Minister of Electronics & IT) ने कहा है कि डिजिटल यात्रा (Digital Journey) ने सशक्तीकरण, समावेश एवं डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया है और इसका सकारात्मक प्रभाव भारतीय नागरिकों के जीवन के सभी पहलुओं में महसूस किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- इस अवसर पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने जैम ट्रिनिटी (JAM Trinity- Jan Dhan, Aadhaar and Mobile) की उपलब्धियाँ बताते हुए कहा की COVID-19 महामारी में भी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के कारण ही लोग घर से काम करने; डिजिटल पेमेंट करने; छात्र TV, मोबाइल, लैपटॉप से शिक्षा प्राप्त करने; मरीज़ टेली-परामर्श लेने में तथा भारत के सुदूर क्षेत्र के किसान सीधे अपने बैंक खातों में पीएम-किसान (PM-KISAN) योजना का लाभ प्राप्त करने में सक्षम हैं।
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, कॉमन सर्विस सेंटर, डिजीलॉकर, मोबाइल आधारित उमंग (UMANG) सेवाएँ, MyGov के माध्यम से शासन में भागीदारी, आयुष्मान भारत, ई-अस्पताल, पीएम-किसान, ई-नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, स्वयं (SWAYAM), स्वयं प्रभा (SWAYAM PRABHA), राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल, ई-पाठशाला आदि के माध्यम से भारतीय नागरिकों के जीवन के सभी पहलुओं को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
- ‘राष्ट्रीय AI पोर्टल’ (National AI Portal) और ‘युवाओं के लिये ज़िम्मेदार AI’ (Responsible AI for Youth) को हाल ही में एआई-संचालित भविष्य की नींव रखने के लिये शुरू किया गया।
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने COVID-19 स्थिति के दौरान भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है जैसे- आरोग्य सेतु, ई-संजीवनी, MyGov के माध्यम से सेनेटाइजेशन एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आदि।
भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से संबंधित महत्त्वपूर्ण आँकड़े:
- ई-सेवाओं की संख्या वर्ष 2014 में 2,463 से बढ़कर मई 2020 तक 3,858 हो गई है।
- वर्ष 2014 में दैनिक औसत इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन 66 लाख रुपए से बढ़कर वर्ष 2020 में 16.3 करोड़ रुपए हो गया है।
- अब तक 125.7 करोड़ नागरिकों को आधार (Aadhaar) जारी किया जा चुका है और 4,216 करोड़ प्रमाणीकरणों को सुगम बनाया गया है।
- भारत सरकार के 56 मंत्रालयों की 426 योजनाओं के अंतर्गत 11.1 लाख करोड़ रुपए को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत वितरित किया गया है और जिससे 1.7 लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है।
- लाभार्थियों के बैंक खातों में कुल 1.33 लाख करोड़ रुपए के साथ जन-धन खातों की संख्या 38.73 करोड़ तक पहुँच चुकी है।
- मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग क्रमशः 117 करोड़ तथा 68.8 करोड़ उपयोगकर्त्ताओं द्वारा किया जा रहा है।
- 1 जुलाई, 2015 को लॉन्च हुए डिजीलाकर (DigiLocker) में अब तक 378 करोड़ दस्तावेज़ पंजीकृत किये जा चुके हैं।
- न्यू-एज़ गवर्नेंस के लिये यूनिफाइड मोबाइल एप (उमंग-UMANG) में 860+ सेवाएँ चालू हैं और इसे अब तक 3 करोड़ से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं।
- MyGov को देश में सहभागी शासन की सुविधा के लिये शुरू किया गया है जिसमें कुल 1.17 करोड़ पंजीकृत प्रतिभागी हैं।
COVID-19 महामारी के दौरान डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की भूमिका:
- COVID-19 स्थिति के दौरान डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत आरोग्य सेतु को 3 सप्ताह में 12 भारतीय भाषाओं के साथ विकसित किया गया है जिसे अब तक लगभग 13 करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया है इस एप ने 350 से अधिक COVID-19 हॉटस्पॉट की पहचान करने में मदद की।
- COVID-19 से निपटने हेतु सोशल मीडिया के लिये ग्राफिक्स, वीडियो, उद्धरणों के माध्यमों के द्वारा नागरिकों को जागरूक करने में MyGov वेबसाइट और फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डिन जैसे सोशल मीडिया चैनलों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- उल्लेखनीय है कि भारत सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिये ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दे रही है जिससे ‘पारंपरिक अर्थव्यवस्था’ से ‘डिजिटल अर्थव्यवस्था’ की तरफ तेज़ी से बढ़ा जा सके।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिये डिजिटल साक्षरता:
- नागरिकों द्वारा सामान्य जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में दैनिक कार्यों के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की क्षमता को डिजिटल साक्षरता कहा जाता है।
राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता अभियान:
- यह योजना देशभर में 52.5 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने के लिये चलाई जा रही है, जिसके तहत देशभर में सभी राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों में अधिकृत राशन डीलरों सहित आँगनवाड़ी और आशा कार्यकर्त्ताओं को सामान्य सूचना प्रौद्योगिकी (IT) का ज्ञान और प्रशिक्षण दिया जाता है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम और भविष्य के लिये रणनीति:
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India- UIDAI) के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणी ने हाल ही में कहा कि आने वाले वर्षों में भारत सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिये मुख्य फोकस क्षेत्र ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ एवं ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ होना चाहिये।
- आने वाले वर्षों में भारत को ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ के लिये प्रौद्योगिकी को प्रमुखता देने और उद्यमों को सरकारी सेवाओं में न्यूनतम मानव इंटरफेस के साथ फलने-फूलने की अनुमति देनी चाहिये।
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत कर संग्रह में सुधार लाने, कृषि एवं चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में कृत्रिम प्रौद्योगिकी (Artificial Technology) के निर्माण पर भी ज़ोर दिया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि समय आ गया है कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ को राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने में लागू किया जाए ताकि इससे भारत के समावेशी विकास में तकनीकी की अहम् भूमिका को परिभाषित किया जा सके और वैश्विक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सके।