Current Affairs For India & Rajasthan | Notes for Govt Job Exams

टोंगा ज्वालामुखी का मौसम पर प्रभाव

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चर्चा में क्यों?

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

  • वनों की कटाई को नियंत्रित करने और जैवविविधता को बहाल करने की एक उल्लेखनीय पहल में, दो पर्यावरणविदों ने बाघ अभयारण्यों के भीतर भारत के पहले बायोस्फीयर के निर्माण का नेतृत्व किया है।

टाइगर रिज़र्व में भारत का पहला बायोस्फीयर:

  • हाल ही में दो पर्यावरणविदों, जय धर गुप्ता और विजय धस्माना ने उत्तराखंड के राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर एक टाइगर रिज़र्व में भारत का पहला बायोस्फीयर बनाया, जिसे राजाजी राघाटी बायोस्फीयर (RRB) कहा जाता है।
  • बायोस्फीयर एक 35 एकड़ की निजी वन पहल है जिसका उद्देश्य क्षेत्र को शिकारियों और खनन से बचाते हुए देशी वृक्षों की दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान करना और उन्हें पुनर्जीवित करना है।
  • RRB के लिये निर्धारित भूमि पहले बंजर और क्षरित अवस्था में थी।
  • वे पश्चिमी घाट के साथ महाराष्ट्र के पुणे के पास सह्याद्री टाइगर रिज़र्व के बफर जोन में कोयना नदी के ऊपर एक दूसरा बायोस्फीयर भी विकसित कर रहे हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • संयुक्त राष्ट्र सभा ने वर्ष 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना की, जो मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम कन्वेंशन का प्रथम दिन था।
    • विश्व पर्यावरण दिवस (WED) प्रतिवर्ष एक विशिष्ट थीम और नारे के साथ मनाया जाता है जो उस समय के प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित होता है।
      • वर्ष 2024 में WED की मेज़बानी सऊदी अरब करेगा।
      • भारत ने वर्ष 2018 में ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएँ’ थीम के अंतर्गत विश्व पर्यावरण दिवस के 45वें समारोह की मेज़बानी की।
    • वर्ष 2021 में WED समारोह ने पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) की शुरुआत की, जो वनों से लेकर खेतों तक, पर्वतों की चोटियों से लेकर सागर की गहराई तक अरबों हेक्टेयर भूमि को पुनर्जीवित करने का एक वैश्विक मिशन है।
  • वर्ष 2024 की थीम:
    • भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता।
    • वर्ष 2024 मरुस्थलीकरण रोकथाम हेतु संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention to Combat Desertification- UNCCD) की 30वीं वर्षगाँठ भी होगी।
    • भूमि पुनरुद्धार का महत्त्व:
      • पर्यावरणीय क्षति को उलटना: भूमि क्षरण, सूखा और मरुस्थलीकरण का मुकाबला करना।
      • निवेश पर उच्च प्रतिफल: निवेश किये गए प्रत्येक डॉलर से स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र से 30 अमेरिकी डॉलर तक का लाभ प्राप्त हो सकता है।
      • समुदायों को बढ़ावा देना: रोज़गार सृजन करता है, निर्धनता को कम करता है और आजीविका में सुधार करता है।
      • लचीलापन को मज़बूत करना: समुदायों को चरम मौसम की घटनाओं का बेहतर ढंग से सामना करने में सहायता करता है। 
      • जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करता है: मिट्टी में कार्बन भंडारण क्षमता में वृद्धि करता है और तापमान वृद्धि की गति को धीमा करता है।
      • जैवविविधता की रक्षा: केवल 15% क्षरित भूमि को बहाल करने से अपेक्षित प्रजातियों के विलुप्त होने के महत्त्वपूर्ण हिस्से को रोका जा सकता है।

पर्यावरणीय स्थिरता में भारत का योगदान क्या है?

  • मिशन LiFE
  • राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM): इसका उद्देश्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण को बढ़ाना तथा अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण की गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (NAP): इसके अंतर्गत वर्ष 2020 तक 21.47 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वनरोपण किया गया है।
  • राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना
  • नगर वन योजना (शहरी वन योजना): यह शहरों और कस्बों के भीतर छोटे शहरी वन या “नगर वन” विकसित करने पर केंद्रित है।
  • स्कूल नर्सरी योजना: यह स्कूलों को अपनी नर्सरी विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
  • CAMPA कोष: वनरोपण और पुनर्जनन गतिविधियों आदि को बढ़ावा देने के लिये प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority- CAMPA) की स्थापना की गई है।
    • ये कार्यक्रम अनुपयोगी, खाली और बंजर भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देते हैं।
  • आर्द्रभूमि संरक्षण:
    • भारत ने कर्नाटक और तमिलनाडु में नए स्थलों को नामित करके जनवरी 2024 तक अपने रामसर स्थलों की संख्या को 80 तक बढ़ा दिया।
      • भारत की 75वीं स्वतंत्रता वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में अगस्त 2022 में 11 आर्द्रभूमियाँ शामिल की गई।
    • वेटलैंड्स ऑफ इंडिया पोर्टल वेटलैंड्स प्रबंधकों और हितधारकों के लिये ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करता है तथा बहुमूल्य जानकारी एवं संसाधन प्रदान करता है।
  • वन एवं वन्यजीव संरक्षण:
    • पिछले 15 वर्षों में शुद्ध वन क्षेत्र वृद्धि में भारत में तीसरे स्थान पर है।
    • भारत वन स्थिति रिपोर्ट (India State of Forest Report- ISFR) 2021 के अनुसार, भारत का वन क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है।
    • भारत ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष और प्रोजेक्ट एलीफेंट के 30 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया, जिससे प्रजातियों के संरक्षण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई।
    • ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ की शुरुआत वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने तथा बंजर वन भूमि के पुनरुद्धार के लिये की गई है, जिससे जलवायु कार्रवाई पहल में योगदान मिलेगा।
  • मैंग्रोव पुनरुद्धार:
    • भारत सरकार ने तटीय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये संवर्द्धनात्मक एवं विनियामक उपाय लागू किये हैं।
    • राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत ‘मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों का संरक्षण एवं प्रबंधन’ नामक एक केंद्रीय क्षेत्र योजना कार्यान्वित की जा रही है।
    • मैंग्रोव को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिये केंद्रीय बजट 2023-24 में तटीय पर्यावास एवं ठोस आमदनी हेतु मैंग्रोव पहल (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats and Tangible Incomes – MISHTI) की घोषणा की गई थी।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध:
    • सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन किया गया हैं।
    • नियम चिह्नित एकल-उपयोग प्लास्टिक (Single-Use Plastic- SUP) के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा:
    • जनवरी 2023 में 19,744 करोड़ रुपए के निवेश के साथ शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिये एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम होगा।
    • इस मिशन का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाना है।
    • यह प्रयास जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को महत्त्वपूर्ण रूप से कम करेगा, अर्थव्यवस्था को कार्बन-मुक्त करेगा तथा वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को प्रेरित करेगा।
  • भारत की वैश्विक पहलें:
    • भारत सर्कुलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता के लिये वैश्विक गठबंधन (Global Alliance for Circular Economy and Resource Efficiency- GACERE) तथा अंतर्राष्ट्रीय संसाधन पैनल (International Resource Panel- IRP) की संचालन समिति का सदस्य है।
      • ये मंच वैश्विक एवं न्यायसंगत चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) परिवर्तन तथा सतत् प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की वकालत करते हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) की छठी सभा 31 अक्तूबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें 116 सदस्य और हस्ताक्षरकर्त्ता देशों के मंत्री एवं प्रतिनिधि भाग लेंगे।

पर्यावरण दिवस पर कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट:

  • कोयला मंत्रालय के तहत कोयला तथा लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, कोयला-धारक क्षेत्रों और उसके आसपास के क्षेत्रों में व्यापक वृक्षारोपण प्रयासों के माध्यम से खनन में छूट वाले क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने के उपायों को क्रियान्वित कर रहे हैं।
  • कोयला मंत्रालय ने “कोयला एवं लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में हरित पहल” (Greening Initiative in Coal & Lignite PSUs) शीर्षक के नाम पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें खनन द्वारा नष्ट हुई भूमि को बहाल करने और पुनर्जीवित करने में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है।
    • रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि कोयला क्षेत्र भूमि पुनरुद्धार के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने तथा पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    • कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ने कोयला खनन क्षेत्रों में और उसके आसपास लगभग 50,000 हेक्टेयर का हरित आवरण बनाया है। इसमें कोयला रहित भूमि को पुनः प्राप्त करना तथा खदान पट्टे के आंतरिक और बाह्य भाग में वृक्ष लगाना शामिल है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 2.5 मिलियन टन CO2 समतुल्य कार्बन सिंक (Carbon Sink) का उत्सर्जन होने का अनुमान है।
    • इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन कार्बन सिंक बनाने के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता के लिये भारत के हरित आवरण में वृद्धि करना है।

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