Current Affairs For India & Rajasthan | Notes for Govt Job Exams

चीनी यात्री फाहियान के वृत्तांत भारतीय इतिहास की पुनर्रचना में किस प्रकार सहायता करते हैं?

FavoriteLoadingAdd to favorites

उत्तर :

 

बौद्ध तीर्थ स्थानों का दर्शन करने और बौद्ध धर्मग्रंथों एवं सिद्धांतों की खोज में चीनी तीर्थयात्री, फाहियान ने चंद्रगुप्त द्वितीय के समय भारत की यात्रा की। अपने यात्रा व निवास के दौरान दिये गए वृत्तांतों से तत्कालीन समय के राजनीतिक एवं धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है, जो तत्कालीन इतिहास की पुनर्रचना में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

  • फाहियान ने विशेष रूप से तत्कालीन भारत की राजनीतिक स्थिति के बारे में कुछ भी प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं किया है। फिर भी उसके विवरणों से अनुमान लगाया जाता है कि तत्कालीन गुप्त प्रशासन उदार था, जनता समृद्ध थी और उन पर करों का अधिक भार नहीं था।
  • पाटलिपुत्र में रहने के दौरान अशोक के महल को देखकर प्रभावित हुआ, जिससे पता चलता है कि अशोक के महल गुप्तकाल में भी अस्तित्व में थे।
  • फाहियान ने तत्कालीन समय में परोपकारी संस्थाओं, विश्रामगृहों और मुफ्त अस्पतालों का ज़िक्र किया है। इससे जानकारी मिलती है कि तत्कालीन समाज में परोपकार एवं दान-पुण्य का अत्यंत महत्त्व था।
  • फाहियान ने संस्कृत अध्ययन के लिये तीन साल पाटलिपुत्र और दो साल ‘ताम्रलिप्ति’ बंदरगाह पर निवास किया। अपनी यात्रा के दौरान फाहियान ने किसी प्रकार की मुश्किल नहीं महसूस की, जो तत्कालीन चंद्रगुप्त द्वितीय के उत्तम शासन व्यवस्था की ओर इशारा करता है।
  • फाहियान ने तत्कालीन समाज में चांडालों की अपात्रताओं और इनकी निम्न सामाजिक स्थिति का वर्णन किया है। फाहियान ने लिखा है कि चांडाल गाँव के बाहर बसते थे और मांस का व्यवसाय करते थे। जब कभी वे नगर में प्रवेश करते तो उच्च वर्ग के लोग उनसे दूर ही रहते क्योंकि वे चांडालों के स्पर्श को अपवित्र मानते थे।
  • फाहियान ने लिखा है कि उस समय हिंदू और बौद्ध सर्वाधिक प्रचलित धर्म थे। हालाँकि शासक, चंद्रगुप्त द्वितीय, विष्णु का उपासक था, फिर भी वह अन्य धर्मों के प्रति भी सहिष्णु और उदार था।
  • फाहियान पाटलिपुत्र में हीनयान और महायान के संघों का वर्णन करता है, जो भारत में सभी हिस्सों से एकत्र छात्रों को शिक्षा प्रदान करते थे।
  • फाहियान ने तत्कालीन समय में भारत के आंतरिक और बाहरी व्यापार और इसके बंदरगाहों की चर्चा की है। फाहियान के अनुसार भारत का व्यापार प्रगतिशील अवस्था में था और चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया एवं पश्चिम एशिया के साथ व्यापारिक संबंध थे। भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्रसिद्ध बंदरगाह ‘ताम्रलिप्ति’ का भी फाहियान ने उल्लेख किया है।

अंत में हालाँकि फाहियान द्वारा दिये गए वृत्तांत इतिहासकारों की सभी जिज्ञासाओं को संतुष्ट नहीं करते, फिर भी तत्कालीन भारतीय सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक स्थिति के बारे में उपयोगी जानकारियाँ प्रदान करते हैं जो गुप्तकालीन इतिहास की पुनर्रचना के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
Scroll to Top