चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के ग्लोबल मीथेन ट्रैकर 2024 के अनुसार वर्ष 2023 में ईंधन के उपयोग से मीथेन उत्सर्जन अपने उच्चतम रिकॉर्ड स्तर पर रहा जो वर्ष 2022 की तुलना में मामूली वृद्धि दर्शाता है।
ग्लोबल मीथेन ट्रैकर 2024 से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- मीथेन उत्सर्जन अवलोकन: वर्ष 2023 में जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जित मीथेन की मात्र लगभग 120 मिलियन टन (माउंट) थी।
- बायोएनर्जी (बड़े पैमाने पर बायोमास उपयोग से) से उत्सर्जित मीथेन 10 माउंट रहा। यह स्तर वर्ष 2019 से निरंतर बना हुआ है।
- प्रमुख मीथेन उत्सर्जन घटनाओं में वृद्धि: प्रमुख मीथेन उत्सर्जन घटनाओं में वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में 50% से अधिक की वृद्धि हुई।
- इन घटनाओं में विश्व स्तर पर जीवाश्म ईंधन रिसाव से हुआ 5 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक मीथेन उत्सर्जन शामिल है।
- एक प्रमुख घटना कज़ाखस्तान में घटित हुई जहाँ एक बड़े कुँए में हुए विस्फोट से होने वाला रिसाव 200 दिनों तक जारी रहा।
- शीर्ष उत्सर्जक देश: जीवाश्म ईंधन से होने वाले मीथेन उत्सर्जन में लगभग 70% योगदान शीर्ष 10 उत्सर्जक देशों का होता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका तेल और गैस परिचालन से मीथेन का सबसे बड़ा उत्सर्जक है जिसके बाद रूस का स्थान है।
- कोयला क्षेत्र में सबसे अधिक मीथेन उत्सर्जन चीन का है।
- मीथेन उत्सर्जन में कटौती का महत्त्व: ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिये वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन से होने वाले मीथेन उत्सर्जन में 75% की कटौती करना महत्त्वपूर्ण है।
- IEA का अनुमान है कि इस लक्ष्य के लिये लगभग 170 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करने की आवश्यकता होगी। यह वर्ष 2023 में जीवाश्म ईंधन उद्योग द्वारा उत्पन्न आय का 5% से भी कम है।
- वर्ष 2023 में जीवाश्म ईंधन से लगभग 40% उत्सर्जन को बिना किसी शुद्ध लागत के टाला जा सकता था।
मीथेन क्या है?
- परिचय: मीथेन सबसे सरल हाइड्रोकार्बन है, जिसमें एक कार्बन परमाणु और चार हाइड्रोजन परमाणु (CH4) होते हैं।
- यह प्राकृतिक गैस का प्राथमिक घटक है, जिसमें प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- गंधहीन, रंगहीन और स्वादहीन गैस।
- हवा से भी हल्की गैस।
- पूर्ण दहन में नीली लौ के साथ जलता है, जिससे ऑक्सीजन की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और जल (H2O) मुक्त होता है।
- यह प्राकृतिक गैस का प्राथमिक घटक है, जिसमें प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- ग्लोबल वार्मिंग में योगदान: कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद मीथेन दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है।
- इसकी 20 वर्षीय ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) 84 है, जो दर्शाता है कि यह 20 वर्ष की अवधि में CO2 की तुलना में प्रति द्रव्यमान इकाई 84 गुना अधिक गर्मी को अवशोषित करता है, जिससे यह एक प्रबल GHG बन जाता है।
- अपनी क्षमता के बावजूद, मीथेन का वायुमंडलीय जीवनकाल CO2 की तुलना में कम होता है, इसे अल्पकालिक GHG के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- ग्लोबल वार्मिंग में इसका बहुत बड़ा योगदान है, जो पूर्व-औद्योगिक युग के बाद से वैश्विक तापमान में लगभग 30% वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार है।
- मीथेन ज़मीनी स्तर पर ओज़ोन के निर्माण में भी योगदान देता है।
- इसकी 20 वर्षीय ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) 84 है, जो दर्शाता है कि यह 20 वर्ष की अवधि में CO2 की तुलना में प्रति द्रव्यमान इकाई 84 गुना अधिक गर्मी को अवशोषित करता है, जिससे यह एक प्रबल GHG बन जाता है।
- मीथेन उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत:
- प्राकृतिक स्रोत:
- कार्बनिक पदार्थों के अवायवीय अपघटन के कारण प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार की आर्द्रभूमियाँ मीथेन उत्सर्जन के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
- कृषि गतिविधियाँ:
- बाढ़ वाले धान के खेतों में अवायवीय स्थितियों के कारण बढ़ते धान के खेतों में मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है।
- मवेशियों और अन्य पशुओं के मल का आंत्र किण्वन होता है, जिससे उपोत्पाद के रूप में मीथेन का उत्पादन होता है।
- दहन और औद्योगिक प्रक्रियाएँ:
- तेल और प्राकृतिक गैस सहित जीवाश्म ईंधन के दहन से मीथेन का उत्सर्जन होता है।
- लकड़ी और कृषि अवशेष जैसे बायोमास के दहन से भी मीथेन स्तर में योगदान होता है।
- लैंडफिल और अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र जैसी औद्योगिक गतिविधियाँ अवायवीय वातावरण में जैविक अपशिष्ट अपघटन के दौरान मीथेन उत्पन्न करती हैं।
- उर्वरक कारखाने और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाएँ भी उत्पादन तथा परिवहन के दौरान मीथेन उत्सर्जित कर सकती हैं।
- प्राकृतिक स्रोत:
- मीथेन उत्सर्जन से निपटने की पहल:
वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा क्या है?
- परिचय:
- मीथेन उत्सर्जन में कमी हेतु कार्रवाई को उत्प्रेरित करने के लिये नवंबर 2021 में COP (पार्टियों का सम्मेलन) 26 में वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा शुरू की गई थी। इसका नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने किया था। इसमें 111 देश प्रतिभागी हैं जो मानव-जनित वैश्विक मीथेन उत्सर्जन के 45% हिस्से के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- इसका अधिकांश उत्सर्जन कृषि क्षेत्र में देखा जा सकता है।
- इस प्रतिज्ञा में शामिल होकर देश वर्ष 2030 तक वर्ष 2020 के स्तर से कम-से-कम 30% मीथेन उत्सर्जन को सामूहिक रूप से कम करने के लिये मिलकर काम करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
- मीथेन उत्सर्जन में कमी हेतु कार्रवाई को उत्प्रेरित करने के लिये नवंबर 2021 में COP (पार्टियों का सम्मेलन) 26 में वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा शुरू की गई थी। इसका नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने किया था। इसमें 111 देश प्रतिभागी हैं जो मानव-जनित वैश्विक मीथेन उत्सर्जन के 45% हिस्से के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- इस निर्णय के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- भारत का तर्क है कि जलवायु परिवर्तन में प्राथमिक योगदानकर्त्ता CO2 है, जिसका जीवनकाल 100-1000 वर्ष है।
- इसने मीथेन कटौती पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसका जीवनकाल केवल 12 वर्ष है, इस प्रकार CO2 क्षरण के बाद परिवर्तित हो जाती है।
- भारत में मीथेन उत्सर्जन मुख्य रूप से आंत्र किण्वन और धान की खेती जैसी कृषि गतिविधियों से होता है, जो छोटे, सीमांत तथा मध्यम किसानों को प्रभावित करता है जिनकी आजीविका प्रतिज्ञा से खतरे में पड़ जाएगी।
- यह विकसित देशों में प्रचलित औद्योगिक कृषि से भिन्न है।
- इसके अलावा चावल उत्पादक और निर्यातक के रूप में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करने से व्यापार तथा आर्थिक संभावनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
- भारत दुनिया की सबसे बड़ी पशुधन आबादी का घर है, जो कई लोगों की आजीविका का समर्थन करता है।
- हालाँकि कृषि उप-उत्पादों और अपरंपरागत आहार सामग्री से भरपूर उनके आहार के कारण वैश्विक आंत्र (enteric) मीथेन में भारतीय पशुधन का योगदान न्यूनतम है।
- भारत का तर्क है कि जलवायु परिवर्तन में प्राथमिक योगदानकर्त्ता CO2 है, जिसका जीवनकाल 100-1000 वर्ष है।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी क्या है?
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी एक स्वायत्त अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1974 में पेरिस, फ्राँस में की गई थी।
- IEA मुख्य रूप से अपनी ऊर्जा नीतियों पर ध्यान केंद्रित करता है जिसमें आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण शामिल है। इन नीतियों को IEA के 3 E के रूप में भी जाना जाता है।
- भारत मार्च 2017 में IEA का सहयोगी सदस्य बना।
आगे की राह
- उन्नत कृषि पद्धतियाँ: सटीक खेती, संरक्षित जुताई और एकीकृत फसल-पशुधन प्रणाली जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने तथा अपनाने से कृषि गतिविधियों से मीथेन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिल सकती है।
- मीथेन-कैप्चरिंग तकनीकें: पशुधन संचालन और लैंडफिल में मीथेन कैप्चर प्रौद्योगिकियों को लागू करने से वायुमंडल में जारी होने से पहले मीथेन को कैप्चर किया जा सकता है, इसे उपयोगी ऊर्जा या अन्य उत्पादों में परिवर्तित किया जा सकता है।
- चावल की खेती की तकनीकें: पहले उल्लिखित चावल गहनता प्रणाली और चावल का प्रत्यक्ष बीजारोपण जैसी प्रथाओं को बढ़ावा देने से चावल के खेतों से मीथेन उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है।
- बायोगैस उत्पादन: जैविक कचरे से बायोगैस के उत्पादन और उपयोग को प्रोत्साहित करने से अपशिष्ट अपघटन से मीथेन उत्सर्जन को कम करते हुए एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत प्रदान किया जा सकता है।
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प्रिलिम्स:
प्रश्न 1. ‘मेथैन हाइड्रेट’ के निक्षेपों के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं? (2019)
- भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मेथेन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है।
- ‘मेथैन हाइड्रेट’ के विशाल निक्षेप उत्तरध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं।
- वायुमंडल के अंदर मेथैन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3उत्तर: (d)
मेन्स:
प्रश्न. “वहनीय (एफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनबल) विकास लक्ष्यों (S.D.G.) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।” भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)