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चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) महासचिव ने महत्त्वपूर्ण ऊर्जा संक्रमण खनिजों पर संयुक्त राष्ट्र पैनल (UN Panel on Critical Energy Transition Minerals) का गठन किया। इसका उद्देश्य पर्यावरणीय और सामाजिक मानकों की सुरक्षा करने तथा न्याय को ऊर्जा संक्रमण का हिस्सा बनाने हेतु खनिज मूल्य शृंखला के लिये वैश्विक स्तर पर समान रूप से लागू होने वाले एवं स्वैच्छिक सिद्धांत विकसित करना है।

ऊर्जा संक्रमण हेतु महत्त्वपूर्ण खनिजों पर संयुक्त राष्ट्र पैनल से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • यह पैनल नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की बढती मांग के संदर्भ में समानता, पारदर्शिता, निवेश, संधारणीयता और मानवाधिकार से संबंधित मुद्दों को संबोधित करेगा।
    • विकासशील देश महत्त्वपूर्ण खनिजों को रोज़गार सृजित करने, अर्थव्यवस्था में विविधता लाने तथा राजस्व बढ़ाने के अवसर के रूप में देखते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में गरीबों को दमन से सुरक्षित रखने के लिये उचित प्रबंधन अत्यावश्यक है।
  • साझा समृद्धि के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की क्षमता का दोहन करने और समावेशी विकास सुनिश्चित करने हेतु गठित इस पैनल का उद्देश्य सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय और पेरिस समझौते के अनुरूप है।
  • यह पैनल संयुक्त राष्ट्र की विगत पहलों, विशेष रूप से सतत्  निष्कर्षण उद्योगों पर कार्य समूह की ‘सतत् विकास के लिये महत्त्वपूर्ण ऊर्जा संक्रमण खनिजों का प्रयोग(Harnessing Critical Energy Transition Minerals for Sustainable Development) पहल पर आधारित है।
    • यह विश्व स्तर पर और संपूर्ण मूल्य शृंखला में स्थानीय समुदायों के लिये उच्चतम संधारणीयता एवं मानव विकास मानकों को बनाए रखते हुए एक निष्पक्ष तथा पारदर्शी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिये सिद्धांतों को विकसित करने में सहायता करेगा।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य महत्त्वपूर्ण ऊर्जा संक्रमण खनिजों की सुरक्षित एवं सुलभ आपूर्ति पर निर्भर करता है।
    • ताँबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा तत्त्व जैसे ये खनिज एक संधारणीय भविष्य के निर्माण के लिये पवन टरबाइन, सौर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन तथा बैटरी भंडारण जैसी स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के आवश्यक घटक हैं।

महत्त्वपूर्ण खनिज क्या हैं?

  • महत्त्वपूर्ण खनिज:
    • ये आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आवश्यक खनिज हैं, इन खनिजों की उपलब्धता में कमी अथवा कुछ विशिष्ट भौगोलिक स्थानों पर अधिक निष्कर्षण अथवा प्रसंस्करण आपूर्ति शृंखला को सरल बनाते हैं।

 

  • महत्त्वपूर्ण खनिजों की घोषणा:
    • महत्त्वपूर्ण खनिजों की घोषणा एक परिवर्तनीय प्रक्रिया है, और यह समय के साथ नई प्रौद्योगिकियों, बाज़ार गतिशीलता एवं भू-राजनीतिक स्थितियों पर निर्भर कर सकती है।
    • अपनी विशिष्ट परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के आधार पर विभिन्न देशों के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की सूची भिन्न-भिन्न हो सकती है।
      • संयुक्त राज्य अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा अथवा आर्थिक विकास में उनकी भूमिका के आधार पर 50 खनिजों को महत्त्वपूर्ण घोषित किया है।
      • अपनी अर्थव्यवस्था के लिये जापान ने 31 खनिजों के एक समूह को महत्त्वपूर्ण माना है।
      • यूनाइटेड किंगडम के लिये 18 खनिज महत्त्वपूर्ण हैं, वहीं यूरोपीय संघ और कनाडा के लिये यह संख्या क्रमशः (34) व (31) है
  • भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज:
    • खान मंत्रालय के तहत विशेषज्ञ समिति ने भारत के लिये 30 महत्त्वपूर्ण खनिजों के एक समूह की पहचान की है।
    • इनमें एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, कॉपर, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हेफनियम, इंडियम, लिथियम, मोलिब्डेनम, नायोबियम, निकल, PGE, फॉस्फोरस, पोटाश, दुर्लभ मृदा तत्त्व (REE), रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटलम , टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, ज़िरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम।
    • इस समिति ने खान मंत्रालय में महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये उत्कृष्टता केंद्र (CECM) के निर्माण की भी सिफारिश की है।
      • CECM आवधिक रूप से भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की सूची को अद्यतन करेगा और समय-समय पर महत्त्वपूर्ण खनिज संबंधी रणनीति अधिसूचित करेगा।

प्रमुख महत्त्वपूर्ण खनिज और उनके अनुप्रयोग क्या हैं?

  • लिथियम, कोबाल्ट और निकल:
    • ये खनिज लिथियम-आयन बैटरी के अपरिहार्य घटक हैं, इसका इलेक्ट्रिक वाहनों, पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है।
  • दुर्लभ मृदा तत्त्व (REE):
    • 17 तत्त्वों से युक्त REE का प्रमुख तौर पर शक्तिशाली मैग्नेट, इलेक्ट्रॉनिक्स, पवन टरबाइन और सैन्य उपकरणों के निर्माण में प्रयोग किया किया जाता है।
    • नियोडिमियम और डिस्प्रोसियम विशेष रूप से मोटरों में प्रयोग किये जाने वाले स्थायी चुंबकों के उत्पादन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • ताँबा:
    • असाधारण विद्युत चालकता के कारण विद्युत तारों, नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना और इलेक्ट्रिक वाहन के घटकों में इसका अत्यधिक महत्त्व है।
  • टाइटेनियम:
    • असाधारण स्ट्रेंथ-टू-वेट अनुपात के कारण टाइटेनियम का एयरोस्पेस उद्योग में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है, यह इसकी संक्षारण प्रतिरोध और उच्च तापमान को सहन करने की क्षमता को बेहतर बनाता है।
  • प्लैटिनम समूह धातुएँ (PGMs):
    • वाहनों, फ्यूल सेल्स (बैटरियों) और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिये कैटेलिटिक कनवर्टर के निर्माण में अनिवार्य रूप से PGMs का प्रयोग किया जाता है।
  • ग्रेफाइट:
    • यह लिथियम-आयन बैटरी के एनोड के लिये एक प्रमुख सामग्री है और इसके विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोग भी है।

भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों का क्या महत्त्व है?

  • आर्थिक आत्मनिर्भरता:
    • हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स: लिथियम जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों का प्रयोग लिथियम-आयन बैटरी, लैपटॉप, स्मार्टफोन और अन्य उपकरणों को ऊर्जा प्रदान करने के लिये किया जाता है। भारत का बढ़ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग काफी हद तक इसकी स्थिर आपूर्ति पर निर्भर करता है।
    • दूरसंचार: फाइबर ऑप्टिक केबल और उन्नत दूरसंचार उपकरण, तेज़ इंटरनेट गति एवं नेटवर्क क्षमता के लिये दुर्लभ मृदा तत्त्व अत्यंत आवश्यक हैं।
    • इलेक्ट्रिक वाहन: लिथियम, कोबाल्ट और निकल इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के लिये महत्त्वपूर्ण घटक हैं। भारत द्वारा स्वच्छ परिवहन को प्रोत्साहन दिया जाना घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन हेतु इन खनिजों की आपूर्ति पर काफी निर्भर करता है।
  • प्रौद्योगिकीय नवाचार:
    • रक्षा विमान: उच्च क्षमता वाले जेट इंजन और एयरफ्रेम में दुर्लभ मृदा तत्त्वों एवं टाइटेनियम का प्रयोग किया जाता है।
    • नाभिकीय ऊर्जा: वैनेडियम और ज़िरकोनियम नाभिकीय संयंत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, ये सुरक्षित एवं विश्वसनीय नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन सुनिश्चित करते हैं।
    • अंतरिक्ष अन्वेषण: रॉकेट और उपग्रहों के निर्माण हेतु हल्के तथा अत्यधिक मज़बूत सामग्रियों के रूप में लिथियम व बेरिलियम का प्रयोग किया जाता है, ये खनिज भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • पर्यावरणीय संधारणीयता:
    • सौर पैनल: सिलिकॉन सोलर फोटोवोल्टिक सेल्स का एक प्रमुख घटक है, यह सौर ऊर्जा को स्वच्छ विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने में सक्षम बनाता है।
    • पवन टरबाइन: नियोडिमियम और डिस्प्रोसियम का प्रयोग पवन टरबाइन जनरेटर के लिये उच्च शक्ति वाले मैग्नेट में किया जाता है।
    • बैटरी स्टोरेज: सौर और पवन जैसे नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा भंडारण के लिये लिथियम तथा कोबाल्ट युक्त लिथियम-आयन बैटरी आवश्यक हैं, ये जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण को संभव बनाने में सहयता कर सकते हैं।

भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • आपूर्ति शृंखला में व्यवधान:
    • महत्त्वपूर्ण खनिजों के प्रमुख उत्पादक रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण मौज़ूदा आपूर्ति शृंखलाएँ बाधित हुई हैं, यह भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की विश्वसनीय आपूर्ति के लिये जोखिमपूर्ण है।
  • सीमित घरेलू भंडार:
    • भारत में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये महत्त्वपूर्ण लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा तत्त्वों जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों का सीमित भंडार है।
  • आयात पर अति निर्भरता:
    • घरेलू भंडार की कमी के कारण भारत को महत्त्वपूर्ण खनिजों के आयात पर काफी अधिक निर्भर रहना पड़ता है, यह भारत को निम्नलिखित कारकों के प्रति सुभेद्य बनाता है:
      • कीमतों में उतार-चढ़ाव: वैश्विक बाज़ार में महत्त्वपूर्ण खनिजों की कीमतों में उतार-चढ़ाव इसकी आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है।
      • भू-राजनीतिक कारक: आपूर्तिकर्त्ता देशों के साथ तनावपूर्ण संबंध महत्त्वपूर्ण खनिजों तक पहुँच को प्रतिबंधित करता है।
      • आपूर्ति में व्यवधान: युद्ध अथवा प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति शृंखला बाधित होती है।
  • मांग में वृद्धि:
    • स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे भारत के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की निरंतर मात्रा में आपूर्ति आवश्यक है।
    • भारत ने अपने जलवायु कार्य योजना के संबंध में “पंचामृत” लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें शामिल हैं:
      • वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना।
      • वर्ष 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करना।
    • बढ़ती मांग और सीमित घरेलू भंडार संयुक्त रूप से विदेशी आपूर्तिकर्त्ताओं पर भारत की निर्भरता में वृद्धि करते हैं।

निष्कर्ष:

समानता, संधारणीयता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान देने के साथ संयुक्त राष्ट्र की यह पहल आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने, राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं पर्यावरणीय संधारणीयता को आगे बढ़ाने (विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में) महत्त्वपूर्ण खनिजों के महत्त्व को रेखांकित करती है। अपने महत्त्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है, जोकि आर्थिक तथा सतत् पर्यावरणीय भविष्य के लिये एक व्यापक व समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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