

इस योजना का उद्देश्य भारत में पहली बार अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करना है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) योजना को मंजूरी दे दी। इस योजना का कुल परिव्यय 7453 करोड़ रुपये है। इसमें 1 गीगावाट की अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं (गुजरात और तमिलनाडु के तट पर 500-500 मेगावाट) की स्थापना और चालू करने के लिए 6853 करोड़ रुपये का परिव्यय और अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए रसद आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दो बंदरगाहों के उन्नयन के लिए 600 करोड़ रुपये का अनुदान शामिल है। वीजीएफ योजना 2015 में अधिसूचित राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति के कार्यान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसका उद्देश्य भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में मौजूद विशाल अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता का दोहन करना है। सरकार से मिलने वाले वीजीएफ समर्थन से अपतटीय पवन परियोजनाओं से बिजली की लागत कम होगी और उन्हें डिस्कॉम द्वारा खरीद के लिए व्यवहार्य बनाया जा सकेगा। जबकि परियोजनाएं पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए निजी डेवलपर्स द्वारा स्थापित की जाएंगी, अपतटीय सबस्टेशनों सहित बिजली उत्खनन अवसंरचना का निर्माण पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) द्वारा किया जाएगा। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, नोडल मंत्रालय के रूप में, योजना के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के साथ समन्वय करेगा।
अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण और इसके संचालन के लिए विशिष्ट बंदरगाह अवसंरचना की भी आवश्यकता होती है, जो भारी और बड़े आकार के उपकरणों के भंडारण और आवाजाही को संभाल सके। इस योजना के तहत, देश के दो बंदरगाहों को अपतटीय पवन विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
अपतटीय पवन नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्रोत है जो तटवर्ती पवन और सौर परियोजनाओं की तुलना में कई लाभ प्रदान करता है, जैसे उच्च पर्याप्तता और विश्वसनीयता, कम भंडारण आवश्यकता और अधिक रोजगार क्षमता। अपतटीय पवन क्षेत्र के विकास से निवेश आकर्षित करने, स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं के विकास, मूल्य श्रृंखला में रोजगार के अवसरों का सृजन और देश में अपतटीय पवन के लिए प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से अर्थव्यवस्था-व्यापी लाभ होगा। यह भारत के ऊर्जा संक्रमण लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी योगदान देगा।
1 गीगावाट की अपतटीय पवन परियोजनाओं के सफल संचालन से प्रतिवर्ष लगभग 3.72 बिलियन यूनिट नवीकरणीय बिजली का उत्पादन होगा, जिसके परिणामस्वरूप 25 वर्षों की अवधि के लिए प्रतिवर्ष 2.98 मिलियन टन CO2 समतुल्य उत्सर्जन में कमी आएगी। इसके अलावा, यह योजना न केवल भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा विकास को गति देगी, बल्कि देश में समुद्र आधारित आर्थिक गतिविधियों के पूरक के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की ओर भी ले जाएगी। यह पारिस्थितिकी तंत्र लगभग 4,50,000 करोड़ रुपये के निवेश से प्रारंभिक 37 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा के विकास का समर्थन करेगा।