चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry – CII) ने स्टार्टअप्स के लिये एक कॉर्पोरेट गवर्नेंस चार्टर लॉन्च किया है, जिसमें एक स्व-मूल्यांकन स्कोरकार्ड भी शामिल है।
- यह उस अवधि के दौरान हुआ है जब Byju’s, BharatPe और Zilingo जैसी कंपनियों ने पिछले 12-18 महीनों में शासन मानदंडों के विषय में चिंता व्यक्त की है।
चार्टर के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
चार्टर स्टार्टअप्स के लिये कॉर्पोरेट गवर्नेंस के लिये सुझाव प्रदान कर स्टार्टअप के विभिन्न चरणों के लिये उपयुक्त दिशानिर्देश प्रदान करेगा, जिसका लक्ष्य शासन प्रथाओं को बढ़ाना है।
- भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस नियमों, प्रथाओं और प्रक्रियाओं का एक समूह है जिसके द्वारा एक कंपनी निर्देशित तथा नियंत्रित होती है।
- स्व-मूल्यांकनात्मक गवर्नेंस स्कोरकार्ड:
- चार्टर में एक ऑनलाइन स्व-मूल्यांकनात्मक गवर्नेंस स्कोरकार्ड शामिल है जिसका उपयोग स्टार्टअप अपनी वर्तमान शासन स्थिति और समय के साथ इसके सुधार का मूल्यांकन करने के लिये कर सकते हैं।
- यह स्टार्टअप्स को अपनी शासन प्रगति को मापने की अनुमति देगा, समय-समय पर स्कोरकार्ड के आधार पर मूल्यांकन किये गए स्कोर परिवर्तन के साथ शासन प्रथाओं में सुधार का संकेत मिलेगा।
- चार्टर में एक ऑनलाइन स्व-मूल्यांकनात्मक गवर्नेंस स्कोरकार्ड शामिल है जिसका उपयोग स्टार्टअप अपनी वर्तमान शासन स्थिति और समय के साथ इसके सुधार का मूल्यांकन करने के लिये कर सकते हैं।
- स्टार्टअप हेतु मार्गदर्शन के 4 प्रमुख चरण:
- आरंभिक चरण में: स्टार्टअप का केंद्र बिंदु इनके गठन पर होगा:
- बोर्ड का गठन,
- अनुपालन निगरानी,
- लेखांकन, वित्त, बाह्य लेखापरीक्षा, संबंधित-पक्ष लेनदेन के लिये नीतियाँ और
- संघर्ष समाधान तंत्र की स्थापना
- प्रगति चरण में: स्टार्टअप अतिरिक्त रूप से निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित कर सकता है:
- प्रमुख व्यावसायिक मेट्रिक्स की निगरानी करना,
- आंतरिक नियंत्रण बनाये रखना,
- निर्णय लेने के पदानुक्रम को परिभाषित करना और
- एक लेखापरीक्षा समिति का गठन.
- विकास चरण हेतु: केंद्र इस पर होगा:
- किसी संगठन के दृष्टिकोण, मिशन, आचार संहिता, संस्कृति और नैतिकता के प्रति हितधारक जागरूकता का निर्माण करना,
- बोर्ड में विविधता व समावेशन सुनिश्चित करना, तथा
- कंपनी अधिनियम 2013 और अन्य लागू कानूनों तथा विनियमों के अनुसार, वैधानिक आवश्यकताओं को पूर्ण करना।
- सार्वजनिक मंच पर: स्टार्टअप का ध्यान इन केंद्र इस पर होगा:
- विभिन्न समितियों की कार्यप्रणाली की निगरानी के संदर्भ में अपने गवर्नेंस का विस्तार करना,
- धोखाधड़ी की रोकथाम और पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करना,
- सूचना विषमता को न्यूनतम करना,
- बोर्ड के प्रदर्शन का मूल्यांकन करनाI
- आरंभिक चरण में: स्टार्टअप का केंद्र बिंदु इनके गठन पर होगा:
- मूल्यांकन: व्यवसायों का मूल्यांकन यथासंभव यथार्थवादी रखा जाना चाहिये।
- स्टार्टअप अल्पकालिक मूल्यांकन के बजाय दीर्घकालिक मूल्य निर्माण हेतु प्रयास कर सकते हैं।
- दीर्घकालिक लक्ष्य: व्यावसायिक इकाई की ज़रूरतों को उसके निर्माता या संस्थापकों की व्यक्तिगत ज़रूरतों से अलग रखा जाना चाहिये, संस्थापकों, प्रमोटरों और मूल निवेशकों की आवश्यकताएँ एवं महत्त्वाकांक्षाएँ भी कंपनी के दीर्घकालिक उद्देश्यों के अनुरूप होनी चाहिये।
- अलग कानूनी संस्थाः स्टार्टअप को एक अलग कानूनी इकाई के रूप में बनाए रखा जाना चाहिये, जिसमें संगठन की संपत्ति संस्थापकों की संपत्ति से अलग हो।