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ओरछा वन्य जीव अभयारण्य में अवैध खनन

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चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने ओरछा वन्यजीव अभयारण्य के इको-सेंसिटिव ज़ोन में पत्थर तोड़ने वाले और खनन खदानों के अवैध संचालन की शिकायत पर गौर करने के लिये एक समिति का गठन किया।

मुख्य बिंदु:

  • NGT के अनुसार, 337 टन रासायनिक अपशिष्ट के निपटान, भूजल प्रदूषण, पाइप से पानी की कमी और अनुमेय सीमा से अधिक लौह, मैंगनीज़ तथा नाइट्रेट सांद्रता की निगरानी के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1994 में हुई थी और यह एक बड़े वन क्षेत्र के भीतर स्थित है।
  • यह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच सीमा क्षेत्र में बेतवा नदी (यमुना की एक सहायक नदी) के पास स्थित है, जो इस अभयारण्य के अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र तथा जैवविविधता में योगदान देती है।

पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016) ने निर्धारित किया कि राज्य सरकारों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं के 10 किमी. के भीतर आने वाली भूमि को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZs) अथवा पर्यावरण नाज़ुक क्षेत्र के रूप में घोषित करना चाहिये
  • जबकि 10 किमी. का नियम एक सामान्य सिद्धांत के रूप में लागू किया गया है, इसके आवेदन की सीमा भिन्न हो सकती है। 10 किमी. से अधिक के क्षेत्रों को भी केंद्र सरकार द्वारा ESZ के रूप में अधिसूचित किया जा सकता है, यदि वे बड़े पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण “संवेदनशील गलियारे” रखते हैं।

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