बंगलुरु स्थित अंतरिक्ष विभाग के यू. आर. राव उपग्रह केंद्र {जिसे पहले इसरो सैटेलाइट सेंटर (ISAC)} के नाम से जाना जाता था) में हाल ही में उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस 2024 मनाया गया, यह दिवस 19 अप्रैल, 1975 को भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण, आर्यभट्ट की 50 वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करता है।
- इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाने वाले चंद्रयान-3, आदित्य-L1 और एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट जैसे हालिया मिशनों के साथ-साथ यू. आर. राव उपग्रह केंद्र (URSC) की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
आर्यभट्ट उपग्रह से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- आर्यभट्ट अंतरिक्ष यान का नाम 5वीं शताब्दी के महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री ‘आर्यभट्ट’ के नाम पर रखा गया था, यह भारत का पहला उपग्रह था। इसे पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित किया गया था तथा 19 अप्रैल, 1975 को इसे रूस के ‘कपुस्टिन यार’ नामक स्थान से प्रमोचित किया गया था।
- आर्यभट्ट उपग्रह के प्रमोचन के साथ ही भारत अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने वाला विश्व का 11वाँ देश बना।
- आर्यभट्ट का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा एक्स-रे खगोल विज्ञान, एरोनॉमिक्स और सौर भौतिकी में प्रयोग करने के लिये किया गया था।
आर्यभट्ट उपग्रह | |
पेलोड | एक्स-रे खगोल विज्ञान, एरोनोमी और सौर भौतिकी |
प्रक्षेपण स्थल | वोल्गोग्राड लॉन्च स्टेशन (वर्तमान में रूस में) |
प्रक्षेपण यान | C-1 इंटरकॉसमॉस |
यू. आर. राव सैटेलाइट सेंटर:
- यू. आर. राव सैटेलाइट सेंटर का नाम ISRO के पूर्व अध्यक्ष डॉ. उडुपी रामचंद्र राव के नाम पर रखा गया है, यह ISRO का प्रमुख केंद्र है जो संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, वैज्ञानिक और छोटे उपग्रह मिशनों के डिज़ाइन, विकास, चेकआउट एवं एकीकरण के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- URSC भारत के लिये लागत प्रभावी अंतरिक्ष बुनियादी ढाँचा तैयार करने में सक्रिय रूप से शामिल है।
- यह केंद्र अवधारणा चरण से लेकर कक्षा में अंतरिक्ष यान परिचालन चरण तक कुल अंतरिक्ष यान परियोजना प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।