

चर्चा में क्यों? विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विकास दर 2023 की तुलना में 2024 में आधी होने की संभावना है। इस मंदी का कारण “तेल की कीमतों में गिरावट और उत्पादन में कटौती के बीच खाड़ी सहयोग परिषद (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल- जीसीसी) देशों से होने वाले बहिष्कार में कमी” को माना जा रहा है। धनप्रवेशन क्या है? परिचय:
धनप्रेषण वह धन या वस्तुएं हैं जो प्रवासी अपने देश में अपने परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए जाते हैं। वे कई विकासशील देशों, दक्षिण एशिया के देशों के लिए आय और विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। धन प्रेषण से गरीबी कम करने, जीवन स्तर खराब करने, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल को समर्थन देने तथा आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। भारत 2023 में 18.7 मिलियन पाउंड को बाहर भेजेगा। धन प्रेषण में वृद्धि:
भारत को वर्ष 2023 में 7.5% की वृद्धि के साथ 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर का धन प्रेषण प्राप्त होगा। वर्ष 2024 में इसकी 3.7% की दर से बढ़कर 124 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2025 के लिए 4% की वृद्धि का अनुमान है और वर्ष 2025 तक इसकी 129 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। देशों में धन प्रेषण प्रवाह:
वर्ष 2023 में भारत प्रेषण प्रवाह सूची में शीर्ष पर होगा, उसके बाद मेक्सिको (66 बिलियन अमेरिकी डॉलर), चीन (50 बिलियन अमेरिकी डॉलर), फिलीपींस (39 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और पाकिस्तान (27 बिलियन अमेरिकी डॉलर) ) का स्थान होगा। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में भारत की विदेशी संपत्तियां विस्थापितों से अधिक लाभदायक होंगी। प्रवास के रुझान:
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर लगभग 302.1 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी होंगे।
कुल अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकट की संख्या लगभग 252 मिलियन है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के अनुसार, वर्ष 2023 में शरणार्थियों और शरणार्थियों की संख्या लगभग 50.3 मिलियन होगी। भारत में धन प्रेषण प्रवाह को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं? भारत में धन प्रेषण के शीर्ष स्रोत:
भारत में कुल धन प्रेषण प्रवाह का लगभग 36% संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर जैसे 3 उच्च आय वाले देशों में निवास करने वाले उच्च कुशल भारतीय प्रवासियों द्वारा होता है। महामारी के बाद की प्रगति ने इन क्षेत्रों में श्रम बाज़ार को बाधित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप वेतन वृद्धि हुई और धन प्रेषण को बढ़ावा मिला। भारतीय पहाड़ियों से अन्य उच्च आय वाले गंतव्यों, जैसे कि खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों, संयुक्त अरब अमीरात से भारत को धन प्रेषण प्रवाह का 18% हिस्सा प्राप्त हुआ, जबकि सऊदी अरब, कुवैत, ओमान और कतर से 11% हिस्सा प्राप्त हुआ । निरंतर धन प्रेषण प्रवाह के कारण:
मजबूत आर्थिक परिस्थितियाँ:
अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में, न्यून मुद्रास्फीति और मजबूत श्रम बाज़ारों ने कुशल भारतीय पेशेवरों को विश्वव्यापी किया है, जिसके परिणामस्वरूप भारत में धन प्रेषण प्रवाह में वृद्धि हुई है।
यूरोप में उच्च दैनिक वेतन वृद्धि और सामान्य रूप से मुद्रास्फीति में कमी से विश्व में धन प्राप्ति में वृद्धि हुई है। विविध प्रवासी समूह:
भारत का प्रवासी समूह अब केवल उच्च आय वाले देशों तक ही सीमित नहीं है। इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) में निवासरत है, जो किसी भी क्षेत्र में आर्थिक मंदी के दौरान एक अंतस्थ (बफर) प्रदान करता है। जीसीसी ने अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों में, जिसमें उच्च ऊर्जा मूल्य और नियंत्रित खाद्य मूल्य दरें शामिल हैं, भारतीय प्रतिबंधों को विशेष रूप से कम-कुशल क्षेत्रों में रोजगार और आय को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सीमा पार मोटू के लिए भारतीय रुपये (आईएनआर) और यूएई दिरहम (एईडी) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (एलसीएसएस) की स्थापना करने के लिए वर्ष 2023 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रदान करें, जिससे प्रस्तुति प्रवाह को और बढ़ावा मिलेगा। बेहतर धन प्रेषण केंद्र:
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) जैसे पहलों ने वास्तविक समय में फंड ट्रांसफर को सक्षम किया है, जिससे धन को जल्दी भेजा और प्राप्त किया जा सकता है। राष्ट्रीय भुगतान आयोग (एनपीसीआई) ने एनआरआई के लिए सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हांगकांग, ओमान, कतर, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूनाइटेड किंगडम, श्रीलंका, भूटान, मोरीशस, फ्रांस, नेपाल सहित कई देशों में यूपीआई का उपयोग किया है। का उपयोग करने की अनुमति दी है। भारत में धन प्रेषण प्रवाह को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है? वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना: विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, केवल 80% भारतीयों के पास बैंक खाते हैं। हालांकि, प्रारंभिक वित्तीय सेवाओं का विस्तार, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक हस्तांतरण, एटीएम और डिजिटल प्लेटफॉर्म के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से फंड हस्तांतरण में सुविधा प्रदान कर सकता है। धन प्रेषण लागत में कमी: विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत में धन प्रेषण लागत अधिक (5-6%) है। धन प्रेषण सेवा के बीच प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने और डिजिटल केंद्रों को बढ़ावा देने से कम की लागत में कमी हो सकती है, इसलिए औपचारिक केंद्रों में सरकारी प्रोत्साहन के प्रोत्साहन को बढ़ावा मिल सकता है। धन प्रेषण अवसंरचना को बढ़ाना: भुगतान राशि को उन्नत करना और ब्लॉकचेन जैसी नवीन चीजों का लाभ उठाना, धन प्रेषण प्रक्रिया को बढ़ावा दे सकता है। भार